Book Title: Prachin evam Madhyakalin Malva me Jain Dharm Ek Adhyayan
Author(s): Tejsinh Gaud
Publisher: Rajendrasuri Jain Granthmala

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Page 11
________________ अध्याय - 3 :: जैनधर्म में भेद-उपभेद महावीर के समय मत वैभिन्न । श्वेताम्बर व दिगम्बर सम्प्रदाय का प्रादुर्भाव। दिगम्बर मत। श्वेताम्बर मत। दिगम्बर-श्वेताम्बर में मतान्तर। संघ, गण और गच्छ। प्राचीनतम गण। वृहद्गच्छ, खरतरगच्छ, तपागच्छ, आंचलगछ और अन्य गच्छ। पूर्णिमियागच्छ और सार्धपूर्णिमियागच्छ, आगमिकगच्छ, चन्द्रगच्छ, नागेन्द्रगच्छ, निवृत्तिगच्छ। दिगम्बर संघ : मूलसंघ, द्राविड़ संघ, काष्ठासंघ और माथुरसंघ। चैत्यवासी तथा अन्य सम्प्रदाय, लोंका, स्थानकवासी, तेरापंथी, (श्वेताम्बरी तथा दिगम्बरी) तारणपंथी, गुमानपंथी, बीसापंथी एवं तोतापंथी। अध्याय - 4 :: जैनधर्म में विभिन्न जातियां और गोत्र आधुनिक जैन जातियां - ओसवाल, श्रीमाल, पोरवाड़, खण्डेलवाल, परवार, अग्रवाल, पल्लीवाल, हुम्मड़, बघेरवाल, नरसिंहपुरा, जैसवाल, चित्तौड़ा, नागदा, धरवट, श्रीमोड़ आदि। इनकी उत्पत्ति, उत्पत्ति का कारण, उत्पत्ति का समय, इनके विभिन्न गोत्र, स्थान, व्यक्ति व कुल के कारण। अध्याय-5 : मालवा की जैन कला स्थापत्य कला - प्रारम्भिक जैन स्थापत्य, गुप्त एवं राजपूतकालीन स्थापत्य कला। जैन मूर्तिकला - जैन प्रतिमाओं की विशेषताएं, जैन देवों के विभिन्न वर्ग, गुप्तकालीन जैन मूर्तिकला, राजपूतकालीन जैन मूर्तिकला। जैन चित्रकला Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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