Book Title: Prachin evam Madhyakalin Malva me Jain Dharm Ek Adhyayan
Author(s): Tejsinh Gaud
Publisher: Rajendrasuri Jain Granthmala
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अनुक्रमणिका
(i) समर्पण (ii) मेरी कामना - राष्ट्रसंत आचार्य विजय जयंतसेनसूरि (iii) अभिमन - डॉ.श्यामसुंदर निगम. (iv) यत्किंचित
{vii) {viii)
प्रस्तावना
मालवा की सीमा शोध-प्रबन्ध का. उद्देश्य शोध-प्रबन्ध की विषय-वस्तु शोध-प्रबध्ध का क्षेत्र शोध-प्रबन्ध की मौलिकता।
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अध्याय - 1 :: स्रोत .
साहित्य : साहित्यिक ग्रन्थ, ऐतिहासिक ग्रन्थ, प्रशस्ति संग्रह, पट्टावलियां, तीर्थमाला एवं सचित्र ग्रन्थ। पुरातत्व : शिलालेख, मूर्तिलेख, मूर्तियां, मंदिर एव गुफाएं।
अध्याय -2 :: जैनधर्म का ऐतिहासिक महत्त्व
जैनधर्म का प्रदुर्भाव व प्रसार। मालवा में जैनधर्म। प्रद्योत के समय, मौर्यकालीन मालवा में जैनधर्म। शक-कुषाणयुगीन मालवा में जैनधर्म। गुप्तकालीन मालवा में जैनधर्म। राजपूतकालीन मालवा
में जैनधर्म।
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(ix)
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