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( २३ ) ऊँ ही परमात्मने अनन्तानंत ज्ञान शक्तये जन्म जरा मृत्यु निवारणाय, श्री मजिनेन्द्राय धूपं यजामहे स्वाहा इति धूप पूजा।
दीप पूजा भविक निर्मल वोघ विकाशकं, जिनगृहे शुभ दीपक दीपनं सुगुण राग विशुद्धि समन्वितं, दधतु भाव विकाश कुर्तेजनाः ____ ऊँ ही परमात्मने अनन्तानंत ज्ञान शक्तये जन्म जरा मृत्यु निवारणाय, श्री मजिनेन्द्राय दीपं यजामहे स्वाहा । इति दीप पूजा।
अक्षत पूजा सकल मङ्गल केलि निकेतनं, परम मंगल भाव मयं जिनं । श्रयति भव्य जना इति दर्शयन, दधतु नाथ पुरोक्षत स्वस्तिकं ___ॐ हीं परमात्मने अनन्तनंत ज्ञान शक्तये जन्म जरा मृत्यु निवारणाय, श्री मजिनेन्द्राय अक्षतं मजायहे स्वाहा इति अक्षत पूजा।
नैवेद्य पूजा सकल पुद्गल संग विव जितं, सहज चेतन भाव विलायसकं सरस भोजन नव्य निवेदनात, परम निवृति भावमहं स्पृहे।