Book Title: Prachin Stavan Jyoti
Author(s): Divya Darshan Prakashan
Publisher: Divya Darshan Prakashan

View full book text
Previous | Next

Page 154
________________ [ १३६ ] . (२) पास जिणंदा, वामा नंदा, जब गरभे फली। सुपना देखे, अर्थ विशेषे कहे मघवा मली। जिनवर जाया, सुर हुलराया, हुआ रमणी प्रिये। नेमि राजी, चित्र विराजी, विलोकित व्रत लिये ॥ (२४) श्री महावीर जिन स्तुति महावीर जिणंदा, राय सिद्धार्थ नंदा, लंछन मृग-इन्दा, जास पाये सोहंदा; सुर नरवर इन्दा, नित्य सेवा करंदा, - टाले भवफंदा, सुख आपे अमंदा ॥१॥ , (२) जय जय भवि-हितकर, वीर-जिनेश्वर देव सुर नरना नायक, जेहनी सारे सेव; करुणारस कंदो, वंदो आणंद आणी, त्रिशला-सुत सुंदर, गुणमणि केरो खाणी ॥ १ ॥ वीज तिथि का स्तुति दिन सकल मनोहर, बीज दिवस सुविशेष राय राणा प्रणमें, चंद्र तणी जिहां रेख तिहां चंन्द्र विमाने, शाश्वता जिनवर जेह हुँ बीज तणे दिन,- प्रणमुं. आणी नेह

Loading...

Page Navigation
1 ... 152 153 154 155 156 157 158 159 160 161 162 163 164 165 166