Book Title: Prachin Stavan Jyoti
Author(s): Divya Darshan Prakashan
Publisher: Divya Darshan Prakashan

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Page 155
________________ [ १३४ ] पंचमी का स्तुति श्रावण सुदि दिन पंचमीए, जनम्या नेमि जिणंद तो; श्याम वरण तनुं शोभतुं ए, मुख शारद को चंद तो; सहस वरस प्रभु आऊ ए, ब्रह्मचारी भगवंत तो; अष्ट करम हेले हणीए, पहोता मुक्ति महंत तो; अष्टमी का स्तुति मंगल आठ करी जस आगल, भाव घरी सुरराजजी आठ जातिना कलश करीने, न्हवरावे जिनराजजी वीर जिनेश्वर जन्म महोत्सव, करतां शिव सुख वाघे जी, आठ मनु तप करतां अमघर, मंगल कमला वाघे जी एकादशी का स्तुति एकादशी अति रुडी, गोविंद पुछे नेम कोण कार ए पर्व महोटु, कहो मुज शु तेम जिनवर कल्याणक अति, घणां एकसो ने पचास तिणे कारण ए पर्व महोटुं, करो मौन उपवास

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