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[ १३७ ] श्री शाशन देव से विनती हमारी . शुभकार्य में सहायक सदाय बनो • प्रभु हमारी
-.भवोभव तुम चरणोनी सेवा मांगु छु देवाधिदेवा सामु जुओने सेवक जाणी सामु जुओ ने आ बालक जाणी बालक जाणी तारो टाबर जाणी अवी उदय रत्ननी वाणी
-०वली वली विनवं स्वामी ने नित प्रत्ये तुंहीज देव रे सुद्ध आशय पणे मुज हजो भवोभव ताहरी सवेरे भक्ति अमचित साचोधरी
उत्सव रंग वधामणा प्रभुपार्श्वने नामे कल्याणक उत्सव कीयो चढते परिणामे शतवर्षायु जीवीने अक्षय सुख स्वामी तुमपद सेवा भक्तिमा नविराखुहुँ खामी साची भक्ति साहिबा रीझो अक वेला श्री शुभवीर हुसे सदा मन वांछित मेला उत्सव रंग वधामणा प्रभु पाईने नामे
-०आज मारा देरासरमां मीतीडे मेह वरस्यिा रे मुखड़े देखी प्रभुजी तुमार हैडा सहुना हरख्या रे झगमग झगमग ज्योति जलके वरसे अमीरस धारा रे