Book Title: Prachin Stavan Jyoti
Author(s): Divya Darshan Prakashan
Publisher: Divya Darshan Prakashan
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[ १३६ ] सिद्धाचलनावांसी विमलाचलनावासी जिनजीप्यारा
आदिनाथने वंदन हमारा प्रभुजी - मुखहुँ मलके नयनो मांथो वरसे अमीरस घारां
आदिनाथने वंदन हमारा प्रभुजी - मुखड़े छ मलीक मीलाकर
दीलमां भक्तिनी ज्योत जगाकर भजले प्रभु ने भावे दुर्गति कदी न आवे
जीनजी प्यारा आदिनाथने वंदन हमारा भमीने लाख चौरासी हुं आव्यो
पुण्ये दर्शन तुमारा हुँ पायो धन्य दिवश मारो भवना केरा टालो
जीनजी प्यारा आदिनाथने वंदन हमारा अमे तो माया ना विलासी
___ तुमे तो मुक्ति पूरी नावासी
तुमे तो शोवनगरो ना रहेवासी कर्म बंधन कापो मोक्ष सुख आपो
जीनजी प्यारा आदिनाथने वंदन हमारा अरजी उरमा घरजो अमारी
प्रभुजी ले जो अमने उगारी
अमने आशा छे प्रभुजी तुमारी कहे हर्ष हवेसाचा स्वामो तमे वन्दनःकरीओ अमे पूजन करीअअमे

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