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( २२ ) ॐ हीं परमात्मने अनंतानंत ज्ञान शक्तये जन्म जरा मृत्यु निवारणाय, श्री मञ्जिनेन्द्राय जलं यजामहे स्वाहा। ॥इति जल पूजा॥
चन्दन पूजा सकल मोह तिमिन्न विनाशनं, परमशीतल भात युतं जिने। विनय कुंकुम चंदन दर्शनैः, सहज तत्त्व विकाश कतेच्चये ।।
___ऊँ ही परमात्मने अनन्तानंद ज्ञान शक्तये जन्म जरा मृत्यु निवारणाय श्री मजिनेन्द्राय चंदनं यजामहे स्वाहा । यह कह कर चंदन चढ़ावें।
पुष्प पूजा विकचनिर्मल शुद्ध मनोरमै विशद चेतन भाव समुद्भवैः। सुपरिणाम प्रसून धनवः, परमतत्वमयं हि यजा म्यहं ॥ ___ ॐ हीं परमात्मने अनन्तानंत ज्ञान शक्तये जन्म जरा मृत्यु निवारणाय, श्री मजिनेन्द्राय पुष्पं यजामहे स्वाहा । इति पुष्प पूजा।
धूप पूजा सकल कर्म महेंधन दाहनं, विमल संवर भाव सुधूपनं । भशम पुद्गल संग विवर्जितं, जिनपतेः पुरतोऽस्तु सुहषितः