Book Title: Prachin Stavan Jyoti
Author(s): Divya Darshan Prakashan
Publisher: Divya Darshan Prakashan

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Page 148
________________ [ १२७ ] मुख जेम अरविंदो, जास सेवे सुरींदो । लहो परमानंदो, सेवना सुखकंदो ॥ १ ॥ ( ३ ) श्री संभवजिन स्तुति संभव सुखदाता, जेह जगमां विख्याता । षट् जीवोना त्राता, आपता सुखशाता ॥ माताने भ्राता, केवलज्ञान ज्ञाता । दुःख दोहग व्राता, जास नामे पलाता ॥ १ ( ४ ) श्री अभिनंदन जिन स्तुति -संवर सुत साचो, जास स्याद्वाद वाचो । थयो हीरो जाचो मोहने देई तमाचो ॥ प्रभु गुण गण माचो, एहने ध्याने राचो । जिनपद सुख साचो, भव्य प्राणी निकाचो ॥ १ ॥ ( ५ ) श्री सुमतिजिन स्तुति सुमति सुमतिदाई, मंगला जास माई । मेरुने बली राइ, ओर अहने तुलाई ॥ क्षय कीघां घाई, केवलज्ञान नहि उणीम कांई, सेविये ए सदाई ॥ १ ॥ पाई । (६) श्री पद्मप्रभ जिन स्तुति अढीसें धनुष काया, त्यक्त मद मोह माया । सुसीमा जस माया, शुक्ल जे ध्यान घ्याया ॥

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