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[ ११६ ] कोडी-कोडी माया जोड़ी, माल भरया सब तेरा। जम का दूत पकड़ने लाग्या; लूट लिया सन डेरा ॥प्रभुनी। बन बीचे दरियाव भरयो है, नाव जो खावे ठेला। कहे कान्ति विजय कर जोड़ी, अन्त पंथ का गेला ॥प्रभुजी॥
(१४) . प्रभु भजले मेंरा दिल राजी रे, आठ पहर की चौसठ घड़ियां, दोय घड़ियां जिन साजी रे। दान पुन्य कछु धर्म करले, मोह माया फॅ त्याजी रे । आनध्दधन कहे समझ-समझ ले, ओर खोवेगा बाजी रे॥ -
(१५) बसो जी मेरे नैनन में महाराज । सामली शूरत मोहनी मूरत, तारण तरण जिहाज ॥बसोजी०॥ बानी सुधारस दरस उपन्यो, करतां अगम अपार ॥२॥ बसोजी० चैन विजय कर जोड़ी विनवे, चरण कमल शिरताज ॥३॥बसोजी०..
(१६) शिवपुर जाना मोकु शिवपुर जाना
प्रभुजी बतावो कैसे शिवपुर जाना चंचल मन मरकट नहीं माने,
मगरूरी में फीरत दिवाना ॥१॥ लोभ लहर की कहर बहत है।
विषय कषाय में जगत ठगाना ॥२॥