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तो तमे स्वामी केम कहावो निरमम ने नीरागी
हो प्रभुजी ओलंभडे मत खीजो ॥६॥ नाभि नंदन जग वंदन प्यारो, जग गुरु जग जयकारी रूप विबुधनो मोहन पभणे, वृषभ लंछन बलिहारी;
हो प्रभुजी ओलंभडे मत खीजो ॥७॥
(४) आज ऋषभ घर आवे, देखो भाई ॥ आ० ॥
रूप मनोहर जगदानन्दन, सब ही के मन भावे ॥दे०१।। केई मुक्ता फल थाल विशाला, केई मणि माणक लावे ।।२।। हय गय रथ पायक वर कन्या, प्रभुजीकुं वेग वधावे ॥३॥ श्री श्रेयांस कुमार दानेश्वर, इक्षुरस बहरावे ॥४॥ उत्तम दान अधिक अमृत फल, साधु कीरती गुण गावे ।।५।।
(५) ___ तुमे तो भले बिराजोजी; सिद्धाचल के वासी साहिब ! भले बिराजोजी मरूदेवीनो नंदन रूडो, नाभिनरिंद मल्हार; जुगला धर्म निवारक आव्या, पूर्व नवाणुं वार ॥ तुमे तो० ॥१।। मूलनायकनी सन्मुख राजे, पुंडरीक गणधारः पंच क्रोडरों चैत्री पूनमे, वरीया शिववधू सार ॥ तुमे तो ॥२॥ सहस कोट दक्षिण बिराजे, जिन पर सहस चोवीश; चउदसें बावन गणधरनां, पगलां वाम जगीश ॥ तुम तो० ॥३॥ प्रभु पगलां रायण हेठे, पूजी परमानंद; अष्टापद चोवीस जीनेश्वर, सम्मेत वीस जिणंद ॥तुमे तो मेरू पर्वत चैत्य