Book Title: Panchadhyayi Purvardha
Author(s): Makkhanlal Shastri
Publisher: Granthprakashan Karyalay Indore

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Page 9
________________ विषय । मंगलाचरण तत्त्वका स्वरूप.... सत्ताविचार परस्परकी प्रतिपक्षता वस्तुकी असत्ता और एकांशतामें दोष अंश कल्पनासे लाभ एक देश परिणमन मानने में बाधा... द्रव्य और गुण..... गुणगुणीसे जुदा नहीं है ..... गुणगुणीको भिन्न माननेमें दोष.... द्रव्यमें अनंत गुण शक्तियों की भिन्नता में हेतु गुणोंमें अंश विभाग नित्यता और अनित्यताका दृष्टान्त द्रव्यका लक्षण द्रव्यका लक्षण विषय-सूची । पूर्वार्ध | .... सत् गुण भी है और द्रव्य भी है वस्तुको परिणामी न माननेमें दोष उत्पादादि त्रयके उदाहरण परिणाम नहीं माननेमें दोष नित्यत्वका खुलासा पर्यायकी अनित्यता के साथ व्याप्ति है Jain Education International गुणका लक्षण गुणोंका नित्यानित्य विचार जैन सिद्धान्त क्रियावती और भाववती शक्तियों का स्वरूप सहभावी शब्दका अर्थ .... अन्वय शब्दका अर्थ .... .... .... पृष्ठ | १६ १६ १७ विषय । द्रव्यके पर्यायवाचक शब्द देश व्यतिरेक क्षेत्र व्यतिरेक काल व्यतिरेक . भाव व्यतिरेक व्यतिरेक न मानने में दोष.... गुणोंमें अन्वयीपना दृष्टान्त १९ १९ गुणों में भेद २० | पर्यायका लक्षण .. २२ क्रमवर्तित्वका लक्षण २२ | व्यतिरेकका स्वरूप २२ गुणोंके अवगाहनमें दृष्टान्त २६ | द्रव्य घटता बढ़ता नहीं है २८ | उत्पादका स्वरूप ३२ ४६ ४७ ४८ व्ययका स्वरूप..... ध्रौव्यका स्वरूप.. नित्य और अनित्यका विचार ३२ ३३ ३४ उत्पादादिका अविरुद्ध स्वरूप ३५ केवल उत्पादके माननेमें दोष ३६ केवल व्ययके माननेमें दोष ३६ | केवल धौव्यके माननेमें दोष ३७ महा सत्ताका स्वरूप ३८ ३९ **** अवान्तर सत्ताका स्वरूप. अस्ति नास्ति कथन बाकीके पांच भंग लानेका संकेत.... वस्तुमें अन्वय और व्यतिरेक स्वतंत्र नहीं ह For Private & Personal Use Only पृष्ठ ४८ ५० ५० ५० ५० ५१ ५३ ५४ ५४ ५६ ६० ६० ६३ ६३ ६४ ६४ ७४ ७७ ७७ ७७ ७९ ७९ ७९ ८५ ८९ www.jainelibrary.org

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