Book Title: Padmini Charitra Chaupai
Author(s): Bhanvarlal Nahta
Publisher: Sadul Rajasthani Research Institute Bikaner

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Page 11
________________ रानी पद्मिनो- एक विवेचन भारतीय इतिहास के अनेक व्यक्ति भावना विशेप के प्रतीक बन चुके हैं। भगवान् राम मर्यादापुरुपोत्तम है तो कृष्ण तत्त्ववेत्ता और दूरदर्शी राजनीतिज्ञ । पृथ्वीराज विलासप्रिय क्षत्रिय है तो जयचन्द्र मत्सरयुक्त देशद्रोही । एक ओर महाराणा प्रताप है तो दूसरी ओर राजा मानसिंह। इसमे भामाशाह है तो माधव और राघव चेतन्य भी। जहाँ दानवावतार अलाउद्दीन है, वहाँ पातिव्रत्य की रक्षा मे सहायक और जीवदानी गोरा भी। सयोगिता सामान्य जन मानस मे महाभारत रचयित्री द्रौपदी का अवतार है। पद्मिनी अनुपम सौन्दर्य का ही नहीं, बुद्धियुक्त धैर्य, असीम साहस और पातिव्रत्य का भी प्रतीक बन चुकी है, और उसकी गाथा को अनेक रूप मे कवियों ने प्रस्तुत किया है। किन्तु किसी आदर्श-विशेष का प्रतीक वनना या अनेकशः वर्णित होना ही, किसी व्यक्ति की ऐतिहासिकता सिद्ध करने के लिए पर्याप्त नहीं है। सम्भावना अवश्य हो सकती है कि ऐसे व्यक्ति रहे होंगे, किन्तु यह सम्भावना यदि इतिहास से ज्ञात तथ्यों के विरुद्ध हो तो उसे छोड़ने में भी कोई दोष नहीं है। पद्मिनी की ऐतिहासिकता

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