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इतने थाडे समय मे इतने महत्वपूर्ण ग्रन्यो का संपादन करके संस्था के प्रकाशन-कार्य में जो सराहनीय सहयोग दिया है, इसके लिये हम सभी ग्रन्य सम्पादको व लेखको के अत्यत आभारी है। ___ अनूप संस्कृत लाइब्रेरी और अभय जैन ग्रन्यालय बीकानेर, स्व० पूर्णचन्द्र नाहर सग्रहालय कलकत्ता, जैन भवन संग्रह कलकत्ता, महावीर तीर्थक्षेत्र अनुसधान समिति जयपुर, ओरियटल इन्स्टीट्य ट बडोदा, भाडारकर रिसर्च इन्स्टीट्यूट पूना, खरतरगच्छ वृहद् ज्ञान-भंडार बीकानेर, मोतीचद खजान्ची ग्रंथालय बीकानेर, खरतर आचार्य ज्ञान भण्डार बीकानेर, एशियाटिक सोसाइटी बंबई, आत्माराम जैन ज्ञानभडार बडोदा, मुनि पुण्यविजयजी, मुनि रमणिक विजयजी, श्री सीताराम लालस, श्री रविशकर देरात्री, प० हरदत्तजी गोविंद व्य.स जैसलमेर आदि अनेक सस्थाओं और व्यक्तियो से हस्तलिखित प्रतियां प्राप्त होने से ही उपरोक्त ग्रन्यों का सपादन संभव हो सका है । अतएव हम इन सबके प्रति आभार प्रदर्शन करना अपना परम कर्तव्य समझते हैं।
ऐसे प्राचीन ग्रन्थो का सम्पादन श्रमसाध्य है एवं पर्याप्त समय की अपेक्षा रखता है। हमने अल्प समय मे ही इतने अन्य प्रकाशित करने का प्रयत्ल किया इसलिये त्रुटियों का रह जाना स्वाभाविक है । गच्छतः स्खलनक्वपि भवय्येव प्रमाहतः, हसन्ति दुर्जनास्तत्र समादवति साधवः ।
आशा है विद्वद्वन्द हमारे इन प्रकाशनो का अवलोकन करके साहित्य का रसास्वादन करेंगे और अपने सुझावो द्वारा हमें लाभान्वित करेंगे जिससे हम अपने प्रयास को सफल मानकर कृतार्थ हो सकेंगे और पुनः मां भारती के चरण कमलो में विनम्रतापूर्वक अपनी पुप्पाजलि समर्पित करने के हेतु पुनः उपस्थित होने का साहस वटोर सकेंगे।
निवेदक - बीकानेर,
लालचन्द कोठारी मार्गशीर्ष शुक्ला १५
'प्रधान-मंत्री सं० २०१७
सादुल राजस्थानी-इन्स्टीट्यूट दिसम्बर ३,१६६०.
बीकानेर