Book Title: Ovavaiya Suttam
Author(s): N G Suru
Publisher: N G Suru
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औपपातिकसूत्रम्
[Sut. 19
रणालंकियसरीरे सयाओ गिहाओ [पडिणिक्खमइ सयाओ गिहाओ] पडिणिक्खमित्ता चंपाए गयरीए मज्झंमज्झेणं जेणेव कोणियस्स रण्णो गिहे जेणेव बाहिरिया
उवठाणसाला जेणेव कूणिए राया भिंभसारपुत्ते तेणेव 3 उवागच्छइ तेणेव उवागच्छित्ता करयलपरिग्गहियं सिरसा
वत्तं मत्थए अंजलिं कट्ट जएणं विजएणं बद्धावेइ २ एवं वयासी ॥
SUTRA 18. जस्स णं देवाणुप्पिया दंसणं खंति जस्स णं देवाणुप्पिया दंसणं पीहति जस्स णं देवाणुप्पिया दंसणं पत्थंति 10 जस्स णं देवाणुप्पिया दंसणं अभिलसति जस्स णं देवा
णुप्पिया णामगोयेस्स वि सवणयाए हतुष्ठ जाव हियया भवंति से णं समणे भगवं महावीरे पुन्वाणुपुन्विं चरमाणे गामाणुग्गामं दूइज्जमाणे चंपाए णयरीए उवणगर
ग्गामं उवागए चंपं गरिं पुण्णभई चेइयं समोसरिउ. 15 कामे । तं एवं देवाणुप्पियाणं पियठयाए पियं णिवेदमि, पियं ते भवउ ॥
SUTRA 19. तए णं से कूणिए राया भिंभसारपुत्ते तस्स पवित्तिवाउयस्स अंतिए एयमहं सोचा णिसम्म हठतु जाव हि
यए [धाराहयनीवसुरहिकुसुमं व चंचुमालइयऊसवियरो20 मकूवे] वियसियवरकमलणयणवयणे पयालयवरकडगतुडि
यकेऊरमउडकुंडलहारविरायंतरइयवच्छे पालंबपलंबमाणघालं. तभूसणधरे ससंभमं तुरियं चवलं नरिंदे सीहासणाओ
१ Read only in A & B. २ A भंभसार'. ३ L पत्थेति. ४ A गोत्त. ५ B दुइज्ज.५ A एअ णं. ६ L भे. ७ B अंतियं. ८ Noted in L & Com.

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