Book Title: Ovavaiya Suttam
Author(s): N G Suru
Publisher: N G Suru

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Page 37
________________ Sut. 37- ] औपपातिकसूत्रम् पंचवण्णाओ ताराओ ठियलेसा चारिणो य अविस्साममंडलगई पत्तेर्यं णामंकपागडियचिंघमउडा महिड्डिया – जाव पज्जुवासति ॥ m ३३ SUTRA 37. तेणं कालेणं तेणं समरणं समणस्स भगवओ महावीरस्स वेमाणिया देवा अंतियं पाउन्भवित्था सोहम्मीसाण- 5 सणंकुमारमाहिंदबंंभलंतगमहासुक्क सहस्साराणयपाणयारणअच्चुयई पट्टिा देवा जिणदंसणुस्तुयांगमणजणियहासा पालगपुप्फगसोमणससिसिरिवच्छृणंदियावत्तकामगमपीइगममणोगमविमलसव्वओ भैसरिसणामघेज्जेहिं विमाणेहिं ओइण्णा वंदगा जिणिदं मिगमहिसवराहछगलदद्द रहयगय वइभुयगखग्गउसभंक- 10 विडिमपागाडयचिंधमउडा पसिढिलवरमउडतिरीडधारी कुंडल - उज्जोवियाणणा मउडदित्तसिरया रत्ताभा परमपम्हगोरा सेया सुभavuriघासा उत्तमवेडेव्विणो विविहवत्थगंधमल्लधारी माहिड्डिया महज्जुतिया जाव पंजलिउडा पज्जुवासंति ।। [SUTRA 37.] सामाणियतावत्तसमहिया सलोगपाल अग्गमहिसिपरिसाणि- 15 आरक्खेहिं परिवुडा देवसहस्रानुयातमागैः सुरवरगणेश्वरैः प्रयतः समणुगम्मत सस्सिरीया सर्वादरविभूषितः सुरसमृद्दनायकाः सौम्यचारुरूपाः देवसंघजयसद्दकयालोया मिगमहिसवराहछ्गलदद्दरहयगयवइभुयगखग्गउसभंकविडिमपागडियांचंध १ ई. २ A णुस्सगा, B णूसगा. ३ A 'भद्दणामधिज्जेहिं. ४ B लुज्जोविया' ५ A, विउव्विणो. ६ A धरा. ७ Road in L as well as in Com., who thus remarks on this - वैमानिकवर्णकोऽपि व्यक्तो नवरं वाचनान्तरगत किंचिदस्य व्याख्यायते, तदन्तर्गतं किंचिदधिकृतवाचनान्तरगतं च । ८ Com. 'सहिया. ९ Com. अप्प.-१० Com. संपरि. ५

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