Book Title: Ovavaiya Suttam
Author(s): N G Suru
Publisher: N G Suru

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Page 46
________________ औपपातिकसूत्रम् [ Sut. 44करेइ २ ता वाहणाइं जाणाइं जोएइ २ ता पओयलहिं पओयधरऐ य समं आडहइ २ ता वट्टमंगं गाहेइ २ ता जेणेव बलवाउए तेणेव उवागच्छइ २ ता बलवाउयस्स एयमाणत्तियं पञ्चप्पिणइ । SUTRA 45. 5 तए णं से बलवाउए णयरगुत्तियं आमंतेइ २ ता एवं वयासी-खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया ! चंपं णयरिं सभितरबाहिरियं आसित्तं जाव कारवेत्ता एयमाणत्तियं पर्चप्पिणाहि । SUTRA 46. तए णं से णयरगुत्तिए बलवाउयस्स एयमडं आणाए 10 विणएणं पडिसुणेइ २ ता चंपं णयरिं सभितरबाहिरियं आसित्त जाव कारवेत्ता जेणेव बलवाउए तेणेव उवागच्छइ २ ता एयमाणत्तियं पच्चप्पिणइ । SUTRA 47. तए णं से बलवाउए कोणियस्स रण्णो भंभसारपुत्तस्स आभिसके हत्थिरयणं पडिकप्पियं पासइ हयगय , 15 जाव सण्णाहियं पासइ, सुभद्दापमुहाणं देवीणं पडिजा णाई उवठवियाई पासइ चंपं णयरिं सभितरे जाव गंधवट्टिभूयं कयं पासइ, पासित्ता हतुडचित्तमाणदिए [णदिएँ] पीअणे जाव हियए जेणेव कूणिए राया भंभसारपुत्ते तेणेव उवागच्छइ २ ता करयल जाव एवं SUT wasna.inwhranAiwwwwmnamamyawinAmharwwwwwwmamimarwarunawanawar १ A 'धरे. २ . मगं. ३ - प्पिणाइ. ४ A गुत्तिए. ५ . आसिय. ६ L पिणाहि. ७ B सण्णिहियं ८ . . पमुहाण ९ । अभितर. १० Noted in L ११ - पीई.

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