Book Title: Ovavaiya Suttam
Author(s): N G Suru
Publisher: N G Suru

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Page 86
________________ ८२ ] औपपातिकसूत्रम् [ Sutra 121 SUTRA 119. तए णं समुप्पण्णजाइसरणा समाणा सयमेव पंचाणुव्वयाई पडिवंज्जति २ त्ता बहूहिं सीलव्वयगुणवेरमणपच्चक्खाणपोसहोववासेहिं [आहापरिग्गहिएहिं तवोकम्मेहिं ] अप्पाणं भावेमाणा बहूई वासाई आउयं पालेंति २ त्ता 5 भत्तं पच्चक्खंति बहूई भत्ताई अणसणाए छेदेति २ त्ता आलोइयपडिकंता समाहिपत्ता कालमासे कालं किच्चा उक्कोसेणं सहस्सारे कप्पे देवत्ताए उववत्तारो भवंति, तहिं तेसिं गई, अठारस सागरोवमाइं ठिई पण्णत्ता परलोगस्स आराहगा, सेसं तं चेव । : SUTRA 120. 10 से जे इमे गामागर जाव संनिवेसेसु आजीवियाँ भवंति, तं जहा--दुघरंतरिया तिघरंतरिया सत्तघरंतरिया उप्पलबेटियाँ घरसमुदाणिया विज्जुयंतारया उट्टियासमणा, ते णं एयारूवेण विहारेणं विहरमाणा बहूई वासाइं परियायं पाणित्ता कालमासे कालं किच्चा उक्कोसेणं अच्चुए 15 कप्पे देवत्ताए उववत्तारो भवंति, तेहिं तेसिं गई बावीसं सागरोवमाइं ठिई, अणाराहगा, सेसं तं चेव । SUTRA 121. . सेज्जे इमे गामागर जाव सण्णिवेसेसु पवइया समणा - भवंति, तं जहा--अत्तुकौसिया परपरिवाइया भूइकम्मिया भुज्जो भुज्जो कोउयकारगा, ते णं एयारवेणं 20 विहारेणं विहरमाणा बहूई वासाइं सामण्णपरियागं पाउणति ___ १ Noted in L. २ A छेयंति. ३. समाहि. ४ B°वका. L वेंटिया B विंटिया. ६ A कोसिया; B°कसिया.

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