Book Title: Ovavaiya Suttam
Author(s): N G Suru
Publisher: N G Suru
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८४]
औपपातिकसूत्रम् [FSutra 124 पडिविरया जावज वार, एगच्चाओ अपडिविरया एवं जाव परिंगहाओ २ एगच्चाओ कोहाओ माणाओ मायाओ लोहाओ पेज्जाओ दोसांओ कलहाओ अब्भ
क्खाणाश्रो पेसुण्णाभो परपरिवायाओ अरइरईओ माया5 मोसाओ मिच्छादसणसल्लाओ पडिविरया जावज्जीवाए
एगच्चाओ अपडिविरया, एगच्चाओ आरंभसमारंभाओ पडिविरया जावज्जीवाए एगच्चाओ अपडिविरया, एगच्चाओ करणकारावणाओ पडिविरिया जावज्जीवाए एगच्चाओ
अपडिविरया, एगच्चाओ पयणपयावणाओ पडिविरया 10 जावज्जीवाए एगच्चाओ पयणपयावणाओ अपडिविरया,
एगच्चाओ कोट्टणपिट्टणतज्जणतालणवबंधपरिकिलेसाओ पडिविरया जावज्जीवाए एगच्चाओ अपडिविरया, एगच्चाओ पहाणमहणवण्णगविलेवणसहफारिसरसरूवगंधमल्लालंकाराओ प
डिविरया जावज्जीवाए एगच्चाओ अपडिविरया, जे 15 यावण्णे तहप्पगारा सावज्जजोगोहिया कम्मंता परपाण
परियावणकरा कज्जति तओ वि एगच्चा पडिविरिया जावज्जीवाए एगच्चाओ अपडिविरया।
SUTRA 124. तं जहा:--समणोवासगा भवंति, अभिगयजीवाजीवा उवलद्धपुण्णपावा आसवसंवरनिज्जरकिरियाअहिगरणबंधमो20 क्खकुसला असहेजा देवासुरणागजक्खरक्खसकिन्नरकिंपरिसगरुलगंधव्वमहोरगाइएहिं देवगणेहिं निग्गंथाओ पावयणाओ अणइक्कमणिज्जा निग्गंथे पावयणे णिस्संकिया णिकखिया निव्वतिगिच्छा लद्धहा गहियठा पुच्छियहा अभि
१B पडि. २ Not in A. ३ सावज्जा अबोहिया Noted in L. ५ से जहा णामए Noted in L. ५A °ज्जाओ.

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