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ओववाइयसुत्तं (औपपातिकसूत्रम्,
CRITICALLY EDITED
BY
N. G. SURU M. A. Professor of Sanskrit and Ardha-mūgadhı
Feryusson College, Poona. Jagannāih Sunkerseth Scholar, Varjivandas Madhavdas Scholar, S. A. Tilalchand Jain Literature Scholar, Sir Lawrence Jenkins Scholar, Editor of
Priyagarsikā, Ratnāvali etc.
1931
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PREFACE
69 The Aupapātika-sutra has been prescribed by the University of Bombay as a text-book for students taking Ardha-māgadbi as their second language for the Intermediate Arts Examiantion ; and therefore, an editiun of the sa ne is a requirment that has to be fulfilled by those who would wish to encourage the study of this language. No doubt, Dr. Leumann had published its edition before ; but being in Roman characters, it offers difficulities to the students in India, as they are accustomed to read such works in the Devanāgarl characters. Āgamodaya Samiti also had published this Sutra with a Sanskrit Commentary, in a Pothi form which does not prove very convenient to the College-going students; and then again these copies very probably are not now available. For these reasons it was deemed necessary to publish this Sutra ; and I am glad to say, with what assistance I could get from my friend Mr. Motilal Ladhaji of Poona, I was successful in getting it out through the press. My warmest thanks are due to him for this help.
In preparing this edition, I could get the help of & Ms. from the Bhandarkar Oriental Institute, in addition to what I could draw from the two editions, mentioned above. In my footnotes, the following letters have been used to represent these.
A. stands for the Agamodaya Samiti Edition. B stands for the Ms of the B. O. R. !. No. 72 of 1880-81. L stands for the edition of Dr. Leumann, published in the
year 1883 In conclusion, I have to thank my friend Mr. G. K. Gokhale the Manager of the Ganesh Printing Press, for the various suggestions and for the promptness with which he carried the book through the press.
Fergusson College, 2oth. June 1931
N. G. S.
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औपपातिकसूत्रम्।
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ॐ नमः सर्वज्ञाय।
SUTRA 1. तेणं कालेणं तेणं समएणं चंपा नाम नयरी होत्था रिद्धत्थिामयसामिद्धा पमुइयजणंजाणवया आइण्णजणमयूँसा हलसयसहस्ससंकिटविटिलठ्ठपण्णत्तसेउसीमा कुक्कडसंडेयगामपउरा उच्छुजवसालिकलिया गोमहिसगवेलगप्पभूया आयारवंतचेइयजुवइविविहसाण्णविठ्ठबहुला उक्कोडियगायगंठि- 5 भेयगभडतकरखंडरक्खरहिया खेमा णिरुवा सुभिक्खा वीसत्थसुहावासा अणेगकोडिकुडुंबियाइण्णणिव्यसुहा जडणदृगजल्लमल्लमुठियवेलेबैंगकहगपवगलासगआइक्खगमंखलंखतूणइल्लतुंबवाणियअणेगतालायराणुचरिया आरामुजाणअगडतलौगदीहियवप्पिणगुणोववेया नंदणवणसन्निभप्पगासा उव्विद्ध- 10 विउलगंभीरखायफलिहा चक्कगयमुसुंढिओरोहसयग्घिजमलकवाडघणदुप्पवेसा धणुकुडिलवंकपागारपरिक्खित्ता कविसीसगवट्टरइयसंठियविरायमाणा अट्टालयचरियदारगोपुरतोरणसमुपणयसुविभत्तरायमग्गा छेयायरियरइयदढफलिहइंदकीला विवणिवणिछित्तसिप्पियाइण्णणिव्वुयसुहा सिंघाडगतिगचउक्कच-15 च्चरपाणयावणावविहवत्थुपरिमंडिया सुरम्मा नरवेइपाव
१ Read in B. २ B°त्थमिय. ३L notes °जणुज्जाणजणवया. ४ A °मणुस्सा. ५ B वियठ्ठ. ६ L आयारइत्तः ७ L °विसन्निविठ्ठ. ८ L notes also गाह. ९ B °भेयय. १० B°वद्दया. ११ B°कोडी. १२ B°विलंबिय. १३ B तलाय. १४ A°णि. १५ A °सीसय. १६°उण्णय. १७ B इंदरकी L इंदखीला. १८ A छेत्त, L notes छेय, B reads विवणिवाणिवाणिछित्त. १९ °निवय. २० B°विहवेस, 2 °विविहवस. २१ B. सरवई
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औपपातिकसूत्रम्
[ Sut. 2
इण्णमहिवइपहा अणेगवरतुरगमत्तकुंजररहपेहकरसीयसंदमाणीआइण्णजाणजुग्गा विमउलणवणलिणिसोभियजला पंड़म्बरभवणसण्णिमहिया उत्ताणणयणपेच्छेणिज्जा पासादीया दरि सणिज्जा अभिरुवा पडिरूवा ॥
SUTRA 2.
5
तसे णं चंपाए णयरीए बहिया उत्तरपुरत्थिमे दिसा भाए पुण्णभद्दे नाम चेहए होत्था चिराईए पुव्वपुरिसपण्णत्ते पोराणे सद्दिए वित्तिए [ कित्तिएँ] णाए सच्छत्ते सज्झए सघण्टे सपडागे पडागाइपडागमंडिए सलोमहत्थे कयवेयँड्डिए लाउल्लोइयमहिए गोसीससरसरत्तचंदणदद्दराद10 पंचगुलितले उवचियचंदणकलसे चंदणघडसुकयतोरणपडिदुवारदेसभाए आसत्तोसत्तविउलवट्टवग्घारियमल्लदामकलावे पंचवण्णसरससुरभिमुकपुप्फपुंजोवयारकलिए कालागुरुपवरकुंदुरुक्कतुरुक्क धृवमघघतगंधुद्याभिरामे सुगंधवरगंधगंधिए गंधवट्टिभूए णडणट्टगजल्ल मल्ल मुट्ठियवेलं बगपवगकहगलास15 गआइक्खगलंखमखतूणइल्ल तुंबवीणिय भुयगमागहपरिगए बहुजणजाणवयस्स विस्सुयकित्तिए बहुजणस्स आहुस्स आहुणिज्जे पाहुणिज्जे अच्चणिज्जे वंदणिज्जे नम॑सणिज्जे पूयणिज्जे सकारणिज्जे सम्माणणिज्जे कल्लाणं मंगलं देवयं चेइयं विणएणं पज्जुवासणिज्जे दिव्वे सच्चे सच्चोवाए 20 सणिहियपाडिहेरे जागसहस्स भागपडिच्छए बहुजणो अच्चेइ आम्म पुण्णभेदेचेइयं पुण्णद्दचेइयं ॥
१ B°रहकर. २ 'पिच्छणिज्जा. ३ Bदिसा A दिसि ४ चिराइए ५ Only in A ६ °वेयद्दिए ७ B° हित्त ८ : वंदण ९ B तुरक्क. १० I मघेन्त ११ B, A. ध्या१२ आगम, १३ A भद्दं
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औपपातिकसूत्रम्
SUTRA. 3
से णं पुण्णभद्दे चेइए एक्केणं महया वणसंडेणं सव्वओ समंता परिरक्खित्ते, से णं वणसंडे किन्हे किन्होभासे नीले नीलोभासे हरिए हरिओमासे सीए सीओ भासे णिद्धे णिद्वोभासे तिव्वे तिव्वोभासे किन्हे किण्हच्छाए नीले नीलच्छाए हरिए हरियच्छाए सीए सीयच्छाए णि 5 णिद्धच्छाए तिव्वे तिव्वच्छाए घणकाडेअकडिच्छाए रम्मे महामेहणिकुंरंबभूए ||
Sut. 4- ]
•
SUTRA 4.
ते णं पायवा मूलमंतो कंदमंतो खंधमंतो तयामंतो सालमंतो पवालमंतो पतमंतो पुप्फमंतो फलमंतो बीयमंतो अणुपुव्वसुजाय रुइलवट्टभावपरिणया एकखंधा अणेगसाला 10 अगसाहप्पसाहविडिमा अणेगनरवामसुप्पसारियअग्गेज्झंघणविउलबद्धखंधा अच्छपत्ता अविरलपत्ता अवाईणपत्ता अणईअपत्ता [ पाईणपडणाययसाला उदीणदाहिणविच्छिण्णा ओणयनयपणयविपहाइय ओलं बपलंबलंबसाहप्पसाहविडिमा अवाईणपत्ता अणुइण्णपत्ता ] नियंजरढपंडुपत्ता णवहरियभिसंतपत्तभारंधयारगंभीरदरिसणिज्जा उवाणग्गयणवतरुणपत्तपल्लवकोमलउज्जलचलंतकिसलयसुकुमालपवाल सोहियवरंकुरग्गसिहरा णिचं कुसुमिया णिचं माझ्या णिच्चं लवइया णिच्चं थवइया णिच्चं गुलइया णिच्चं गोच्छिया णिच्चं जमलिया णिच्चं जुवालिया णिच्चं विणमिया णिच्चं 20 पणमिया णिच्चं कुसुमियमाइयलवइयथवइयगुलइयगोच्छयजमालयजुवलियविणमियपणमियसुविभत्तापंडे भंज रिवार्डसय
१ A सं. २L णिउरंब ३ A खंभ ४ I notes after this- क्वचित्-हरियमंतो. ५ B° पुव्वि, ६ L° खंधी. ७ B, L अगेज्झ ८ L अणईई . ९ Noted in L. १० निघ्दु. ११ L पिंडि,
15
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औपपातिकसूत्रम् - [ Sut. 6धरा सुयबरहिणमयणसालकोइलकोभगभिंगारगकोंडलगजीवंजीवगणंदीमुहकविलपिंगलक्खगकारंडचक्कवायकलहंससारसअणेगसउणगणमिहुणविरइयंसद्दण्णइयमहुरसरणाइए सुरम्मे
संपिडियदरियभमरमहुयरिपहकरपरिलिन्तमत्तछप्पयकुसुमासव5 लोलमहुरगुमगुमंतगुंजंतदेसभाए अभितरपुप्फफले बाहिर
पत्तोच्छण्णे पत्तेहि य पुप्फेहि य ओच्छन्नवालच्छत्ते साउफले निरोयए अकंटए णाणाविहगुच्छगुम्ममंडवगरम्मसोहिए विचिंत्तसुहकेउभूए वावीपुक्खरिणीदीहियासु य
सुनिवेसियरम्मजालहरए पिंडिमणीहारिमं सुगंधिं सुहसुराभिम10 णहरं च महया गंधद्धाणं मुयंता णाणाविहगुच्छगुम्ममंड
वगघरगसुहसेउकेउबहुला अणेगरहजाणजुग्गसिवियपविमोयणा सुरम्मा पासादीया दरिसाणिज्जा अभिरुवा पडिरूवा॥
SUTRA 5. तस्स णं वणसंडस्स बहुमज्झदेसभाए एत्थ णं महं एक्के असोगवरपायवे पण्णत्ते [ दुग्गयकंदमूलवट्टलहसंठियसिलिट्ठ15 घणमसिणनिद्धसुजायनिरुवहयुविद्धपवरखंधी अणेगनरपवरभु
यागेज्झे कुसुमभरसमोणमंतपत्तलाविसालसाले महुयरिभमरगणगुमगुमाइयनिलितउड्डितसस्सिरीए णाणासउणगणमिहुणसुमहुरकण्णसुहपलत्तसहमहुरे] कुसविकुसविसुद्धरुक्खमूले मूल
मंते कंदमंते जाव परिमोयणे सुरम्मे पासादीए दरिसणिज्जे 20 आभिरुवे पडिरूवे ॥
____SUTRA 6. से णं असोगवरपायवे अण्णेहिं बहुहिं तिलएहिं लउएहिं छत्तोवेहिं सिरीसेहिं सत्तवण्णेहिं दहिवण्णेहिं लोद्धेहिं धवेहिं चंदणेहिं १Aकोहंगक.२B°वियरित.३Aअब्मंतर ४Aउच्छण्णपाडेवलिच्छ.५Lnotesalso विचित्तसहसे उकेउबहुले. ६ A. B. हारिमसगांधि.७ B. दुणं. ८ B एगए. ९ Noted in L & com.
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Sut. 9-]
औपपातिकसूत्रम् अज्जुणेहिं णीवहिं कुडएहिं कैलंबेहिं सव्वेहिं फणसेहि दोलिमेहिं सालेहिं तालेहिं तमालेहिं पियएहिं पियंगूहिं पुरोवगेहिं रायरुक्खेहिं णांदरुक्खेहिं सवओ समंता संपरिक्खित्ते।।
SUTRA 7. ते णं तिलया लउया जाव णंदिरुक्खा कुसविकुसविसुद्धरुक्खमूला मूलमंतो कंदमंतो एएसिं वण्णओ भाणि- 5 यव्वो जाव सिवियपरिमोयणा सुरम्मा पासादीया दरिसणिज्जा अभिरूवा पडिरूवा ॥
SUTRA 8. ते णं लिया जाव णंदिरुक्खा अण्णेहिं बहूहिं पउमलयाहिं णागलयाहिं असोअलयाहिं चंपगलयाहिं चूयलयाहिं वणलयाहिं वासतियलयाहिं अइमुत्तयलयाहिं कुंदलयाहिं साम- 10 लयाहिं सव्वओ समंता संपरिक्खित्ता ॥
___SUTRA 9. ताओ णं पउमलयाओ णिच्चं कुसुमियाओ जाव वडिंसयधरीओ पासादीयाओ दरिसणिज्जाओ अभिरुवाओ पडिरूवाओ।
[१ तस्स णं असोगवरपायवस्स उवरिं बहवे अठ 15 अह मंगलगा पण्णत्ता । तं जहाः-१ सोत्थिर्य २ सिरिवच्छ ३ नंदियावत्त ४ वद्धमाणग ५ भद्दासण ६ कलस ७ मच्छ ८ दप्पणा सव्वरयणामया अच्छा सहा मण्हाँ घटा मट्ठा नीरया निम्मला निप्पंका निकंकडच्छाया सप्पहा समिरिया सउज्जोया पासादीया दारसाणज्जा अभिरूवा 20 पडिरूवा॥ १ Only in L. २ A दाडिमहिं. ३ A 'धरी ४ 4 सोवत्थिय ५ Only in A. .
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औपपातिकसूत्रम्
[ Sut. 10
२ तस्स णं असोगवरपायवस्स उवरिं बहवे किन्हचामरज्झया नीलचामरज्झया लोहियचामरज्झया सुकिलचामरज्झया हालिद्दचामरज्झया अच्छा सहा रुप्पपट्टा वयरामयदंडा जलयामलगंधिया सुरम्मा पासादीया दरि5 सणिज्जा अभिरुवा पडिरूवा ॥
३ तस्स णं असोगवरपायवस्स उवरिं बहवे छत्ताइच्छत्ता पडागाइपडागा घण्टाजुयला चामरजुयला उप्पलहत्थगा प महत्थगा कुमुयहत्थगा कुसुमहत्थगा नलिणहत्थगा सुभगहत्थगा सोगंधियहत्थगा पुंडरीयहत्थगा महापुंडरी10 यहत्था सयवत्तहत्था सहस्सपत्तहत्था सव्वरयणामया अच्छा जाव पडिरूवा ॥ ]
SUTRA, 10
तस्स णं असोगवरपायवस्स हेट्ठा ईसिं खंघसमल्लीणे एत्थ णं महं एके पुढविसिलापट्टए पण्णत्ते विक्खंभायामउस्से सुप्पमाणे किण्हे अंजणगवाणैकुवलय हलहरकोसेज्जागा15 सकेसकज्जलंगी खंजणसिंगभेदरिद्वयजंबूफल असणगंसणबंधणणीलुप्पलपत्तनिकर अयसिकुसुमप्पगासे मरगयमसारकलित्तणयणकीयरासिवण्णे णिघणे अठ्ठसिरे आयंसयतलोवमे सुरम्मे ईहामियउसभतुरगणरमगरविहगवाल गकिण्णररुरुसरभचमरकुंजरवणलयपउमलयभत्तिचित्ते आईणगरूयंबूरणवणीयतूल फारसे 20 सहिसणसंठिए पासादीए दरिसणिज्जे अभिरूवे पार्डरूवे । [ अंजणगघणकुवलय हलहरकोसेज्जसारसे आगासकेसकज्जलकक्केयणइंदणीलअयसिकुसुमप्पगासे भिंगंजणसिंगभे
१ Noted as additional in L and A com पुस्तकांतरे २ A अंजणघणकिवाण. ३ B सणकसणबंधण ४ L णयणवीय . फासे. ७ सिंहा.
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इदमधिकमधयते ।.
५L रुय. ६ L
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Sut. 12-]
औपपातिकसूत्रम् यरिछगनीलगुलियागवलाइरेगभमरनिकुरुंबभूए जंबूफलअसणकुसुमबंधननीलुप्पलपत्तनिगरमरगयासासगनयणचीयारासिवण्णे निद्धे घणे अझुसिरे रूवगपडिरूवदरिसणिज्जे आयंसगतलोवमे सुरम्मे सीहासणसंठिए सुरूवे मुत्ताजालखइयंतकम्मे आईणगरुयबूरनवणीयतूलफासे सव्वरयणामए अच्छे जाव 5 पडिरूवे ॥]
SUTRA 11. तत्थ णं चंपाए णयरीए कूणिए णामं राया परिवसइ, महयाहिमवंतमहंतमलयमंदरमहिंदसारे अच्चंतविसुद्धदीहरायकुलवंसमुप्पसूए णिरंतरं रायलक्खणविराइयंगमंगे बहुजणबहुमाणपूइए सव्वगुणसमिद्धे खत्तिए मुइए मुध्दाहिसित्ते 10 मागपिउमुजाए दयपत्ते सीमंकरे सीमंधरे खेमंकरे खेमंधरे मणुसिदे जणवयपिया जणवयपाले जणवयपुरोहिए सेउकरे केउकरे णरपवरे - पुरिसवरे पुरिससीहे पुरिसवग्धे पुरिसासीविसे पुरिसपुंडरीए पुरिसवरगंधहत्थी अड्ढे दित्ते वित्ते विच्छिण्णविउलभवणसयणासणजाणवाहणाइण्णे बहु- 15 धणबहुजायस्वरयए आओगपओगसंपउत्ते विच्छड्डियपउरभत्तपाणे बहुदासीदासगोमहिसगवेलगप्पभूए पडिपुण्णजंतकोसकोठागाराउधागारे बलवं दुब्बलपच्चामित्ते ओहयकंटयं निहयकंटयं मालयकंटयं उध्दियकंटयं अकंटयं ओहयसत्तुं निहयसत्तुं मलियसत्तुं उध्दियसत्तुं निज्जियसत्तुं पराइयसत्तुं 20 ववगयदुभिक्खं मारिभयविप्पमुकं खेमं सिवं सुभिक्खं पसंतडिंबडेमरं रज्जं पसासेंमाणे विहरइ ॥
___ SUTRA 12. तस्स ण कोणियस्स रण्णो धारिणी णामं देवी होत्था, सुकुमालपाणिपाया अहीणपडिपुण्णपंचिंदियसरीरा लक्षण
१ Noted in L & A शिलापट्टवर्णकः किंचिदन्यथादृश्यते. २ I A° माणे ३ L. वित्थिण्ण. ४ A notes पसंताहियडमरं ५ ६ साहेमाणे ६ A reads होज्जा.
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औपपातिकसूत्रम्
[ Sut. 15
वंजणगुणाववेया माणुम्माणप्पमाणपडिपुण्णसुजायसव्वंगसुंदरंगी ससिसोमाकारकंतपियदंसणा सुरूवा करयलपरिमियपसत्थातवलीवलियमज्झा कुंडलुंल्लियिगंडलेहा कोमुइयरयैणियरविमलपडिपुण्णसोमवयणा सिंगारागारचारुवेसा संगयगय हासियभाण5 यविहियविलाससललिय संलावणिउणजुत्तोवयारकुसला [ सुंदरथणजघणवयणकरचरणनयणलावण्णविलासकलिया] पासादीया दरिसणिज्जा अभिरुवा पडिरुवा, कोणिएणं रण्णा भंभसारपुत्त्रेण सध्दि अणुरत्ता अविरत्ता इट्ठे सफरिसर सरूवगंधे पंचविहे माणुस कामभोए पच्चणुभवमाणी विहरs ||
SUTRA 13.
10 तस्स णं कोणियस्स रण्णो एक्के पुरिसे विउलकयवित्तिए भगवओ पवित्तिवाउए भगवओ तद्देवसियं पावत्तिं णिवेदेइ ||
SUTRA 14.
वस्स णं पुरिसस्स बहवे अण्णे पुरिसा दिण्णभतिभत्तवेदणा भगवओ पवित्तिवाडया भगवओ तद्देवसियं 15 पवित्तं णिवेदेति ॥
SUTRA 15.
तेणें कालेणं तेणं समएणं कोणिए राया भंभसारपुत्ते बाहिरियाए उवद्वाणसालाए अणेगगणणायगदंडणायगराईसरतलवरमाडंबियकोडुंबियमंतिमहामंतिगणगदोवारियअमच्चचेडपीढमद्दनगरनिगमसे डिसणावइसत्थवाहदूय संधिवालसध्दि संपरि20 बुडे विहरइ ॥
१ B. सोमागार. २ A°तिवलियवलिय. ३ L & A note कुंडलुल्लिहियपीगंडलेहा. ४ Not given in L. ५ Noted in L. ६ A° ब्भव - ७ B° कोडिम्बय.
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औपपातिकसूत्रम्
SUTRA 16.
तेणं कालेणं तेणं समएणं समणे भगवं महावीरे आइगरे तित्थगरे सहसंबुद्धे पुरिसुंत्तमे पुरिससीहे पुरिसवरपुंडरीए पुरिसवरगंधहत्थी अभयदए चक्खुदए मग्गदए सरणदए जीवदए दीवो ताणं सरणं गैई पठ्ठा धम्मवरचाउरंतचक्कवट्टी अप्पाडहयवरनाणदंसणधरे वियट्टच्छउमे जिणे 5 जाणए तिण्णे तारए मुत्ते मोयए बुद्धे बोहए सव्वण्णू सव्वदरिसी सिवमयलमरुयमणंतमक्खयमव्वाबाहमपुणरावत्तं गं सिद्धिगणामधेज्जं ठाणं संपाविउकामे अरहा जिणे केवली सत्तहत्थुस्सेहे समचउरंस संठाणसंठिए वज्जरिसहनारायसंघयणे अणुलोमवाउवेगे कंकग्गहणी कवोयपरिणामे सउणिपोसपिठ्ठे - 10 तरोरुपरिणए पउमुप्पलगंधसरिसनिस्सास सुरभिवयणे छवी निरायंक उत्तमपसत्थअइसेयनिरुवम्पले जल्लमल्लकलंकसेयरयदोस वज्जियसरीरनि रुवलेवे छायाउज्जोइयंगमंगे घणनिचियसुबद्धलक्खणुण्णयकूडागारनिभपिंडियग्गसिरए सामलिबोंडघणनिचियच्छोडियमिडविसयपसत्थ सुहुमलक्खण सुगंधसुंदरय- 15 मोयगभिंगनेर्लेकेज्जलपहठ्ठ भैमरगणाणद्धनिकुरुंबनिचियकुंचियपयाहिणावत्तमुद्धसिरए दालिमपुप्फप्पगासतवणिज्जस रिसनिम्मलसुणिद्ध के संतकेसभूमी [ घणनिचियसुबद्धलक्खणुन्नयकूडागार - निभपिंडियग्गसिरए] छत्तागारुत्तिमंगदेसे णिव्वणसमलठ्ठमचंदद्धसमणिडाले उडुवइपडिपुण्णसोमवयणे अल्लीणपमाणजुत्तसवणे 20 सुसवणे पीणमंसलकवोल सभाए आणामियत्रावरुइलकिण्हब्भराइतणुकसिणर्णिद्वभ मुह 'अवदालियपुंडरीयणयणे कोयासियधवलपत्तलच्छे गरुलाययउज्जुतुंगणासे उवचिय
Par
Sut. 16-]
16
१ सोत्तमे. २ B सरणागई. ३ A° रावत्तिअं. ४ तले Noted in L & B. ५ A पहिठ्ठ. ६ Noted in L. ७ सुसवणे. ८ Noted in Las - राइसंठियसंगयआययसुजायभुमहे. ९ L ओयविय
0 12
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। औपपातिकसूत्रम् [ Sut. 16सिलप्पवालबिंबफलसण्णिभाहरोठे पंडुरससिसयलविमलाणम्मलसंखगोक्खीरफेणकुंददैगरयमुणालियाधवलदंतसेढी अ. खंडदंते अप्फुडियदंते अविरलदंते सुणिद्धदंते सुजायदंते
एगदंतसेढी विव अणेगदंते हुयवहणिद्धतधोयतत्ततवणिज्जर5 ततलतालुजीहे अवठियसुविभत्तचित्तमंसू मंसलसंठियपसत्थसइलविउलहणुए चउरंगुलसुप्पमाणकंबुवरसरिसग्गीवे वरमहिसंवराहसीहसबलज्सभनागवरपडिपुण्णविउलक्खंधे जुगसन्निभपीणरइयपीवरपउठसुसठियंसुसिलिडविसिघणथिरसुबद्धसांध
पुरवरफलिहवट्टियभुए भुयेंगीसरविउलंभोगआयाणपलिहउच्छू10 ढदीहबाहू रत्ततलोवइयमउयमंसलसजायलक्खणपसत्थअच्छि
इजालपाणी पीवरकोमलवरंगुली आयंबतंबतलिणसुइरुइलणिदणखे चंदपाणिलेहे संखपाणिलेहे चक्कपाणिलेहे दिसासोत्थियपाणिलेहे चंदसूरसंखचक्कदिसासोत्थियपाणिलेहे कणगसिलायलुज्जलपसत्यसमतलउवचियविच्छिण्णपिहुलवच्छे सिरि15 वच्छक्कियवच्छे अकरंडुयकणगरुययनिम्मलसुजायनिरुवह
यदेहधारी असहस्सपडिपुण्णवरपुरिसलक्खणधरे सण्णयपासे संगयपासे सुंदरपासे, सुजायपासे "मियमाइयपीणरइयपासे उज्जुयसमसहियजच्चतणुकसिणणिद्धआइज्जलडहरमणिज्जरो. मराई झसविहगसुजायपीणकुच्छी झसोयरे सुइकरणे पउम20 वियडणाभे, रागावत्तगपयाहिणावत्ततरंगभंगुररविकिरणतरुण
बोहियअकोसायतपउमगंभीरवियडणाभे साहयसोणंदमुसलदप्प
णणिकरियवरकणगच्छरुसरिसवरवइरवलियमझे पमुइयवर....3RAILE
१L गीवे. २ L पओठ.. ३L & A. read differently also as-संठियोवचियघणथिरसुबद्धसुणिगूढपव्वसंधी. ४ A भुअईसर B भुयईसर. ५ - पलिओछूढ Also फलिहउच्छृढ noted in L&B६ Bपीर'L&A note differently as- पीवरवट्टियसजायकोमल -. ७ Com & L_note -रविससिसंखवरचक्कसोत्थियविभत्तसुविरइयपाणिलेहे अणेगवरलक्खणुत्तिमपसत्थसइरइयपाणिलेहे. ८ L°आदिज्ज.
HEND
1
.
4
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Sut. 16-]
औपपातिकसूत्रम्
तुरगसीहवरवट्टियकडी वरतुरगसुजायसुगुज्झदसे आइहउव्व णिरुवलेवे वरवारणतुल्लविकमविलसियगई गयससणसुजायसन्निभोरू समुग्गाणमग्गगूढजाणू. एणीकुरुविंदर्वित्तट्टाणुपुब्वजंघे संठियसुसिलिङ [ विसिह ]" गूढगुल्फे सुप्पईटियकुम्भचारुचलणे अणुपुव्वसुसंहयंगुलीएँ उण्णयतणुतं बणिदणक्खे 5 रत्तुप्पलपत्तमउयसुकुमालकोमलतले अठ्ठसहस्सवरपुरिसल
११
क्खणघरे नगनगरमगरसागरचकंकवरंगमंगलंकियचलणे विसिरूवे हुयवहनिध्दूमजलियतडितडियतरुण रविकिरणसरिसते अणासवे अममे अकिंचणे छिन्नसोए निरुवलेवे ववगयपेमरागदोसमोहे निग्गंथस्स पवयणस्स देसए सत्र्थ- 10 नायगे पइछावर समर्णगपई समणगविंदपरियंढिए चत्तीसबुध्दवयणाइसेसपत्ते पणतीससच्चवयणाइसेसपत्ते आगासगएणं चक्केणं आगासगएणं छत्तेणं आगासियाहिं चामराहिं आगासफोलियामएणं सपायवीढणं सीहासणेणं धम्मज्झएणं पुरओ पकादुज्जमाणेणं चउद्देसहिं समणसाहस्सीहिं 15 छत्तीसाए अज्जिया साहस्सीहिं सध्दि संपरिवुडे पुव्वाणुपुवि चरमाणे गामाणुग्गामं दूइज्जमाणे सुहंसुहेणं विहरमाणे चंपाए नयरीए बहिया उवणगरग्गामं उवागए चंप नगरिं पुण्णभद्दं चेयं समोसारिकामे ॥
SUTRA 17.
तणं से पवित्र्त्तिवाउए इमीसे कहाए लठ्ठे समाणे हठ्ठ 20 तुचित्तमाणंदिए पीइमणे परमसोमणस्सिए हरिसवसविसप्प - माणहियए हाए कयबलिकम्मे कयकोउयमंगलपायछित्ते सुद्धप्पावेसाई मंगलाई वत्थाई पवरपरिहिए अप्पमहग्घाभ
१ BL गुज्झ.- २ L°हओ.- ३८ सामु ४ I विंदचत्त- ५ Noted by I. ६B सुपय. ७ अणुपुव्वसुसाहयपीवरंगुलीए Noted in L. ८ नायए.
गण. १० परिअट्टए ११ L चोत्तीस १२ A फलिआ. १३ I पीढेणं १४ A कढि. १५ I चोदस. १६ A उंकामे. १७ L पउत्ति १८ 4 प्वे १९
मंगलाई
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औपपातिकसूत्रम्
[Sut. 19
रणालंकियसरीरे सयाओ गिहाओ [पडिणिक्खमइ सयाओ गिहाओ] पडिणिक्खमित्ता चंपाए गयरीए मज्झंमज्झेणं जेणेव कोणियस्स रण्णो गिहे जेणेव बाहिरिया
उवठाणसाला जेणेव कूणिए राया भिंभसारपुत्ते तेणेव 3 उवागच्छइ तेणेव उवागच्छित्ता करयलपरिग्गहियं सिरसा
वत्तं मत्थए अंजलिं कट्ट जएणं विजएणं बद्धावेइ २ एवं वयासी ॥
SUTRA 18. जस्स णं देवाणुप्पिया दंसणं खंति जस्स णं देवाणुप्पिया दंसणं पीहति जस्स णं देवाणुप्पिया दंसणं पत्थंति 10 जस्स णं देवाणुप्पिया दंसणं अभिलसति जस्स णं देवा
णुप्पिया णामगोयेस्स वि सवणयाए हतुष्ठ जाव हियया भवंति से णं समणे भगवं महावीरे पुन्वाणुपुन्विं चरमाणे गामाणुग्गामं दूइज्जमाणे चंपाए णयरीए उवणगर
ग्गामं उवागए चंपं गरिं पुण्णभई चेइयं समोसरिउ. 15 कामे । तं एवं देवाणुप्पियाणं पियठयाए पियं णिवेदमि, पियं ते भवउ ॥
SUTRA 19. तए णं से कूणिए राया भिंभसारपुत्ते तस्स पवित्तिवाउयस्स अंतिए एयमहं सोचा णिसम्म हठतु जाव हि
यए [धाराहयनीवसुरहिकुसुमं व चंचुमालइयऊसवियरो20 मकूवे] वियसियवरकमलणयणवयणे पयालयवरकडगतुडि
यकेऊरमउडकुंडलहारविरायंतरइयवच्छे पालंबपलंबमाणघालं. तभूसणधरे ससंभमं तुरियं चवलं नरिंदे सीहासणाओ
१ Read only in A & B. २ A भंभसार'. ३ L पत्थेति. ४ A गोत्त. ५ B दुइज्ज.५ A एअ णं. ६ L भे. ७ B अंतियं. ८ Noted in L & Com.
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Sut. 20- ]
औपपातिकसूत्रम्
अब्भुट्ठेइ २त्ता पायपीढाओ पच्चोरुहइ २त्ता [ वेरुलियवरिठ्ठरिठ्ठअंजणनि उणोवियमिसिमिसिंतमणिरयणमंडियाओ पाउयाओ ओमुयइ २ त्ता अवहट्ट पंच रायककुहाई, तंजहा:१ खग्गं २ छत्तं ३ उप्फे ४ वाणाओ ५ वालवी - यणं एगैसाडियं उत्तरासंगं करेइ २त्ता आयंते 5 चोखे परमसुइभूए अंजलिमउलियर्हत्थे तित्थगराभिमुहे सत्त पयाई अणुगच्छइ सत्त पयाइ अणुगच्छित्ता वामं जाणं अंचेइ वामं जाणं अंचेत्ता दाहिणं जाणं धरणितँलंसि साहट्ट तिक्खुत्तो मुद्धाणं धरणितलांस निवेसेईं २त्ता ईसिं पच्चुण्णम पच्चुण्णमित्ता कडगतुडियथंभियाओ भुयाओ 10 पडिसाहरइ २त्ता करयल जाव कट्टु एवं वयासी ।।
SUTRA 20.
G
१३
णमोsत्थु णं अरिहंताणं भगवंताणं आइगराणं तित्थगराणं संयंसंबुद्धाणं पुरिसुंत्तमाणं पुरिससीहाणं पुरिसवरपुंडरयाणं पुरिसवरगंधहत्थीणं लोगुत्तमाणं लोगनाहाणं लोगहियाणं लोगपईवाणं लोगपज्जोयगराणं अभयदयाणं चक्खु - 15 दयाणं मग्गदयाणं सरणदयाणं जीवदयाणं बोहिदयाणं धम्मदयाणं धम्मदेसयाणं धम्मनायगाणं धम्मसारहीणं धम्मवरचाउरंतचक्कवट्टीणं दीवो ताणं सरणं गई पठ्ठा अप्पडिहयवरनाणदंसणधराणं वियट्टछउमाणं जिणाणं जावयाणं तिण्णाणं तारयाणं बुद्धाणं बोहयाणं मुत्ताणं 20 मोयगाणं सव्वण्णूणं सव्वदरिसीणं सिवमयलमरुयमणंतमक्खयमव्वाबाहमपुणरावत्तगं सिद्धिगइणामघेज्जं ठाणं संप
१ Noted in L & Com. २ L पाहणाओ . ३ A एक्क B एकसाडिएणं. ४ In L & B, A has °लिअग्ग. ५ B तलंमि. ६ L निसेई B णिमेई. ७L, B अरहंताणं. ८ सह. ९ B, L सोत्त.
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औपपातिकसूत्रम् [ Sut. 22ताणं, नमोऽत्थु णं समणस्स भगवओ महावीरस्स आदिगरस्स तित्थगरस्स जाव संपाविउकामस्स मम धम्मायरियस्स धम्मोवदेसगस्स, वंदामि गं भगवंतं तत्य गयं ईहगए, पासउ मे भगवं तत्थगए इहगयंति कट्ट वंद5 इ णमंसइ वंदित्ता णमंसित्ता सीहासणवरगए पुरत्याभिमुहे निसीयइ निसीइत्ता तस्स पवित्तिवाउयस्स अट्टत्तरं सयसहस्सं पीइदाणं दलयइ, दलइत्ता सकारेइ सम्माणेइ सकारित्ता सम्माणित्ता एवं वयासी ॥
SOTRA 21. जयों णं देवाणुप्पिया ! समणे भगवं महावीरे इह10 मागच्छेज्जा इह समोसरिज्जा इहेव चंपाए गयरीए
बहिया पुण्णभद्दे चेइए अहापडिरूवं ओग्गहं ओगिव्हिा [अरहा जिणे केवली समणगणपरिखुडे ] संजमेणं तवसा अप्पाणं भावमाणे विहरेजा तया णं [तुमं] मम एयमठं निवेदिज्जासित्ति कट्ठ विसज्जिए ।।
SUTRA, 22 तए णं समणे भगवं महावीरे कल्लं पाउप्पभायाए 15 रयणीए फुल्लुप्पलकमलकोमलुम्मिलियंमि अहॅपंडुरे पहाए
रत्तासोगप्पगासकिंसुयसुयमुहगुंजद्धरागसरिसे कमलागरसंडबोहए उहियम्मि सूरे सहस्सैरस्सिाम दिणयरे तेयसा जलंते [ आगासगएणं चक्केणं जाव सुहं सुहेणं विहरमाणे]"
जेणेव चंपा गयरी जेणेव पुण्णभद्दे चेइए [जेणेव घण20 संडे जेणेव असोगवरपायवे जेणेव पुढविसिलापट्टए " १B इहमागए. २ A पासइ. ३ . पवत्ति'. ४ B यदा णं.५ A उग्गहं. ६A उग्गिः ७ Noted in L. ८ Noted in L. ९ B°भातरयणीए. १० Read in L & B. A
reads आहां.११Bसहस्सि- १२Noted in L.
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Sut. 23-1 औपपातिकसूत्रम्
१५ तेणेव उवागच्छइ २त्ता अहापडिरूवं ओग्गहं ओगिण्हित्ता [असोगवरपायवस्स अहे पुढविसिलावट्टगास पुरत्याभिमुहे पलियंकनिसने अरहा जिणे केवली समणगणपरिवुडे ' संजमेणं तवसा अप्पाणं भावेमाणे विहरइ ॥
SUTRA 23. तेणं कालेणं तेणं समएणं समणस्स भगवओ महावी- 5 रस्स अंतेवासी बहवे समणा भगवंतो अप्पेगइया उग्गपव्वइया भोगपव्वइया राइण्णणायकोरव्वखत्तियपव्वइया भडा जोहा सेणावईपसत्थारो सेंही इब्भा अण्णे य बहवे एवमाइणो उत्तमजाइकुलरूवविणयविण्णाणवण्णलावण्णविक्कमपहाणसोभग्गकंतिजुत्ता बहुधणघण्णाणिचयपरियालफिडिया10 गरवइगुणाइरेगा इच्छियभोगा सुहसंपललिया किंपागफलोवमं च मुणियविसयसोक्खं जलबुब्बुयसमाणं कुसग्गजलबिन्दुचंचलं जीवियं य णाऊण अद्धवमिणं रयमिव पडग्गलग्गं संविधुणित्ताणं चइत्ता हिरण्णं जाव [ यावच्छब्दोपादानादिदं दृश्यम्-चिच्चा सुवणं चिच्चा धणं – एवं 15 धणं बलं वाहणं कोसं कोडागारं रज रडं पुरं अंतेउरं चिच्चा विउलधणकणगरयणमणिमोत्तियसंखसिलप्पवालरत्तरयणमाइयं संतसारसावतेज्जं विच्छड्डइत्ता विगोवइत्ता दाणं च दाइयाणं परिभायइत्ता मुंडा भवित्ता अगाराओ अणगारियं ] पैव्वइया, अप्पगइया अद्धमासपरि- 20 याया अप्पेगइया मासपरियाया-एवं दुमास तिमास जाव एक्कारस' अप्पेगइया वासपरियाया दुवास तिवास अप्पे
णाऊणं. ६ चेच्चा.
१ Noted in L. २ L सिठ्ठी. ३ B'परिवार- ४ B°चवलं. ५ ७८ रहं. ८ Noted in L.
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औपपातिकसूत्रम् .
[ Sut 24
गइया अणेगवासपरियाया संजमेणं तवसा अप्पाणं भावेमाणा विहरंति ||
१६
SUTRA 24.
ते काणं तेणं समरणं समणस्स भगवओ महावीरस्स अंतेवासी बहवे निग्गंथा भगवंतो अप्पेगइया आभिणिबोहि5 यणाणी जाव केवलणाणी अप्पेगइया मणबलिया वयबलिया काय बलिया [ णाणबलिया दंसणबलिया चारितबलिया ]' अप्पेगइया मणेणं सावाणुग्गहसमत्था [ एवं - वएणं कारणं ] अप्पेगइया खेलोसहिपत्ता एवं जल्लोसहि विप्पोसहि आमोसहि सव्वोसहि° अप्पेगइया कोबुद्धी एवं बीय10 बुध्दी पडबुध्दी अप्पेगझ्या पयाणुसारी अप्पेगइया संभिन्नसोया अप्पेगइया खीरासंवा अप्पेगइया महुयासवा अप्पेगइया सप्पियासवा अप्पेगइया अक्खीणमहाणसिया एवं उज्जुमई अप्पेगइया विउलमई विउब्वणिढिपत्ता चारणा विज्जाहरा आगासाइवाई अप्पेगइया कणगावलितवोकम्मं 15 पडिवण्णा एवं एगावलिं खुड्डगसीहिनिक्कीलियं तवोकम्पं पडिवण्णा [ अप्पेगइया ] महालयं सीहनिक्कीलियं तवोकम्मं पडिवण्णा भद्दपडिमं महा भद्दपडिमं सव्वओभद्दपडिमं आयंबिलवध्दर्माणं तवोकॅम्मं पडिवण्णा मासियं भिक्खुपडिमं एवं दोमासियं पडिमं तिमासियं पडिमं जाव सत्तमासियं 20 भिक्खुपाडिमं पडिवण्णा पढमं सत्तरइंदियं भिक्खुपडिमं पडिवण्णा जाव तच्चैस तराईदियभिक्खुपडिमं पडिवण्णा अहोराइदियं भिक्खुपाडमं पडिवण्णा एकैराईदियं भिक्खुपडिमं पाडवण्णा सत्तसत्तामयं भिक्खुपडिमं अट्ठअट्टामियं भिक्खुपडिमं
१ Noted in L २ A ° वाइणो. ३ A वलिं- ४ L गं. ५ Road in A. ६ L माणगं. ७ A °वोक्कम्मं ८ L & B तेमा ९ पढमसत्त. १० च्चं . ११ A इक्क, & notes एग.
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१७
Sut. 25-]
औपपातिकसूत्रम् णवणवमियं भिक्खुपडिमं दसदसमियं भिक्खुपडिमं [क्वचिदिह स्थाने-भद्दपडिमं सुभद्दपडिमं महाभदपडिमं सव्वओभद्दपडिमं भइत्तरपडिमं ]' खुड्डियं मोयपडिम पडिवण्णा महल्लियं मोयपडिमं पडिवण्णा जवमझं चंदपडिमं पडिवण्णा वइर( वज) मज्झं चंदपडिमं पडिवण्णा [विवेगपडिमं विओ- 5 सग्गपडिमं उवहाणपडिमं पडिसंलीणपडिमं पडिवण्णा ] . संजमेणं तवसा अप्पाणं भावमाणा विहरति ॥
SUTRA 25. तेणं कालेणं तेणं समएणं समणस्स भगवओ महावीरस्स अंतेवासी बहवे थेरा भगवंतो जाइसंपण्णा कुलसंपण्णा बलसंपण्णा रूवसंपण्णा विणयसंपण्णा णाणसंपण्णा 10 दंसणसंपण्णा चरित्तसंपण्णा लज्जासंपण्णा लाघवसंपण्णा
ओयंसी तेयंसी वच्चंसी जसंसी जियकोहा जियमाणा जियमाया जियलोभा जिइंदिया जियाणदा जियपरीसहा जीवियासमरणभयविप्पमुक्का वयप्पहाणा गुणप्पहाणा करणप्पहाणा चरणप्पहाणा णिग्गहप्पहाणा निच्छयप्पहाणा अ- 15 ज्जवप्पहाणा महवप्पहाणा लाघवप्पहाणा खंतिप्पहाणा मुत्तिप्पहाणा विज्जापहाणा मंतप्पहाणा वेयप्पहाणा बंभप्पहाणा नयप्पहाणा नियमप्पहाणा सच्चप्पहाणा सोयप्पहाणा चारुवण्णा लज्जातवस्सीजिझदिया सोही अणियाणा अप्पोसुर्यां अंबहिल्लेसा अप्पडिलेस्सा सुसामण्णरया 20 दंता इणमेव णिग्गंथं पावयणं पुरओकाउं विहरति । [कचित्-बहूणं आयरिया बहूर्ण उवज्झाया बहूणं गिहत्थाणं पव्वइयाणं च दीवो ताणं सरणं गई पइटा
१ Noted in L. २ Read in L. ३ Noted in L. ४ L जियकोह...लोभा । ५A जिअइंदिया. ६ A अप्पुस्सआ. ७ B अप्पब ८ L°लेसा. ९ Noted in L & Com,
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औपपातिकसूत्रम् [Sut. 7
SUTRA 26. तेसि णं भगवंताणं आयावायो वि विदिता भवंति परवाया वि विदिता भवंति आयावायं जमइत्ता नलवणमिव मत्तमावंगा अच्छिद्दपसिणवागरणा रयणकरंडगसमाणा कुत्तियावणभूया परवाइपमहणा [ परवाईहिं अणोकंता अण्णउत्थिएहिं अणो5 खंसिज्जमाणा विहरंत अप्पेगइया आयारधरा'........ ]
चोदसपुव्वी दुवालसंगिणो समत्तगणिपिडगधरा सव्वक्खरसण्णिवाइणो सव्वभासाणुगामिणो अजिणा जिणसंकासा जिणा इव अवितहं वागरमाणां संजमेणं तवसा अप्पाणं भावमाणा विहरंति ॥
SUTRA 27. 10 तेणं कालेणं तेणं समएणं समणस्स भगवओ महावीरस्स
अंतेवासी बहवे अणगारा भगवंतो इरियासमिया भासासमिया एसणासमिया आयाणभंडमत्तनिक्खेवणासमिया उचारपासवणखेलसिंघाणजल्लपारिठावणियासमिया मणगुत्ता वयं
गुत्ता कायगुत्ता गुत्ता गुत्तिदिया गुत्तबंभयारी अममा 15 अकिंचणा [अकोहा अमाणा अमाया अलोभा संता पसंता उवसंता परिणिव्वुया अणासवा अग्गंथा ] छिण्णग्गंथा छिण्णसोया निरुवलेवा कंसपाईव मुक्कतोया संख इव निरंगेणा जीवो विव अप्पडिहयगई जञ्चकणगं पिव
जायरूवा आदरिसफैलगा इवे पागडभावा कुम्मो इवें 20 गुतिंदिया पुक्खरपत्तं व निरुवलेवा गगणमिव नि
रालंबणा अणिलो इव निरालया 'चंदो इव सोमलेसा
१ . Notes also आयावाइणो वि। २ B°वायमद्दणा. A परवादियपम- ३ Com.आयारधरत्येवंवादीनि षोडश विशेषणानि सगमानि । ४ Noted in L & Com. ५ । जिणो. ६L वागरेमाणा. ७ L वई.८ Noted in L and Com. ९B निरंजणा. १० B आदरसप्फ-११ विव १२ । कुम्मोव्व. १३ B पत्त इव. १४ A चंद.
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Sut. 29-1
औपपातिकसूत्रम्
१९
सूरो' इव दित्ततेया सागरो इव गंभीरा विहग इव सव्वओ विप्पमुक्का मंदरो इव अप्पकंपा सारयसलिलं इव सुद्धहियया खग्गविसाणं इव एगजाया भारंडपक्खी व अप्पमत्ता कुंजरो व सोंडीरा वसभो इव सीहो इव दुद्धरिसा वसुंधरा इव सव्वफासविसहा सुहु- 5 यहुयासणो इव तेयसा जलता ।।
जायत्थामा
SUTRA 28.
नत्थि णं तेसिणं भगवंताणं कत्थइ पाडबंधे भर्व । से य पडिबंधे चउव्विहे पण्णत्ते । तं जहा - दव्वओ खेतओ कालओ भावओ । दव्वओ णं सचित्ताचित्तमीसिएस दव्वेसु । खेत्तओ गामे वा णयरे वा रण्णे वा खेत्ते वा खले वा 10 घरे वा अंगणे वा । कालओ समए वा आवलियाए वा जाव [ यावच्छन्दादिदं दृश्यम् - आणापाणु वा थोवे वा लवे वा मुहुत्ते वा अहोरत्ते वा पक्खे वा मासे वा ] अयणे वा अण्णय वा दीहकालसंजोगे । भावओ कोहे वा माणे वा मायाए वा लोहे वा भए वा हासे वा । एवं तेसिं ण भवइ | 15
SUTRA 29.
ते णं भगवंतो वासावासवज्जं अठ्ठ गिम्हहेमंतियाणि मासाणि गामे एगराइया णयरे पंचराइया वासीचंदणसमाणकप्पा समलेठ्ठकंचणा समसुहदुक्खा इहलोगपरलोगअप्पडिबद्धा संसारपारगामी कम्मणिग्घायणढाए अब्भुट्टियों विहरति । [ ( अण्ड (अंडजे ) इ वा पोयए ( बोंडजे ) 20 इ वा उम्गाईप इ वा परगाईए वा )" जं णं जं णं दिसं
१ A सूर. २ B, L खग्ग - ३ A भारंड ४ L विव. ५ L सोडीरा. ६ Read only in A
७
L भवइ. ८ A खित्तओ. ९मीसएस . १० B अब्भुट्टेता. ११ Noted only in Com
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औपपातिकसूत्रम् [ Sut. 30इच्छंति तं गं तं गं विहरांत सुइभूया लघुभूया अणप्पग्गंथा ॥]
SUTRA 30.
तेसि णं भगवंताणं एएणं विहारेणं विहरमाणाणं इमे एयारूवे
सभंतैरबाहिरए तवोवहाणे होत्था । तं जहा-अभितरए 5 (वि) छबिहे, बाहिरए वि छविहे ।
से किं तं बाहिरए ? २छविहे पणत्ते । तं जहा-१ अणसणे २ ओमोयरिया ३ भिक्खायरिया ४ रसपरिच्चाए ५ कायकिलेसे ६ पडिसंलीणया। से किं तं अणसणे १२ दुविहे पण्णत्ते । तं जहा-१ इत्तरिए य २ आवकहिए य । से किं तं इत्तरिए ? 10 अणेगविहे पण्णत्ते । तं जहा-१ चउत्थभत्ते २ छठभत्ते ३ अहम
भत्ते ४ दसमभत्ते ५ बारसभत्ते ६चउँदसभत्ते ७ सोलसँभत्ते ८ अद्धमासिए भत्ते ९ मासिए भत्ते १० दोमासिएं भत्ते ११तेमासिए भत्ते १२ चउमासिए भत्ते १३ पंचमासिए भत्ते १४
छम्मासिए भत्ते । से तं इत्तरिए । से किं तं आवकहिए १२ 15 दुविहे पण्णत्ते । तं जहा-१ पाओवगमणे य २ भत्तपच्चक्खाणे
य। से किं तं पाओवगमणे ? २ दुविहे पण्णत्ते । तं जहा-१ वाघाइमे य २ निवाघाइमे य नियमा अप्पडिकम्मे। से तं पाओवगमणे । से किं तं भत्तपच्चक्खाणे ? २दुविहे पण्णत्ते । तं जहा
१ वाघाइमे य २ निव्वाघाइमे य णियमा सपडिकम्मे । से 20 तं भत्तपच्चक्खाणे, से तं अणसणे ।
१ Noted in L. २ A आभितर. ३ B'विहाणे. ४ - अभंतरए. ५ Read in L. ६ Only in L. ७ A ऊणो ( अवमो ) अरिया. ८ B°त्थे भत्ते. ९ B°मे भत्ते. १० B बारसमे, L दुवालसमे भत्ते, ११ ८ चोइसमे भत्ते, १२ । 'समे भत्ते.
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Sut. 20– ]
औपपातिकसूत्रम्
से किं तं ओमोयरियाओ ! दुविहा पण्णत्ता । तं जहा१ दव्वोमोदरिया य २ भावोमोदरिया य । से किं तं दव्वोमोदरिया ? २ दुविहा पण्णत्ता । तं जहा१ उवगरणदव्वोमोदरिया य २ भत्तपाणदव्वोमोदरिया य । से किं तं उवगरणदव्वोमोदरिया ? २ तिविहा पण्णत्ता | 5 तं जहा - १ एगे वत्थे २ एगे पाए ३ चियतोवकरण साइज्जणया । से तं उवगरणदव्वोमोदरिया | से किं तं भत्तपाणदव्वोमोदरिया १ २ अणेगविहा पण्णत्ता । तं जहा - १ अठ कुक्कुडिअंडगप्पमाणमेंत्ते कवले आहारमाणे अप्पाहारे २ दुवालस कुक्कुडिअंडगप्पमाणमेत्ते 10 कवले आहारमाणे अवढोमोदरिया, ३ सोलस कुक्कुडिअंड गप्पमाणमेत्ते कवले आहारमाणे दुभागपत्तोमोदरिया, ४ चउँवीसं कुक्कुडिअंडगप्पमाणमेत्ते कवले आहारमाणे पत्तोमोयरिया, ५ एकतीसं कुक्कुडिअंडगप्पमाणमेत्ते कवले आहारमाणे किंचूणोमोयरिया, ६ बत्तीसं कुक्कुडिअंड- 15 गप्पमाणमेत्ते कवले आहारमाणे पमाणपत, ७ एत्तो एगेण वि घासेणं ऊणयं आहारमाहारेमाणे समणे णिग्गंथे णो पकामरसँभोईत्ति वत्तव्वं सिया । से तं भत्तपाणदव्वोमादारया । सेतं दव्वोमोदरिया । से किं तं भावोमोयरिया ? २ अणेगविहा पण्णत्ता । तं जहा - १ अप्पको २ अप्पमाणे ३ 20 अप्पम ए ४ अप्पलोहे ५ अप्पसद्दे ६ अप्पझंझे । से तं | भावोमोयरिया, से तं ओमोयरिया । से किं तं भिक्खायरिया १ २ अणेगविहा पण्णत्ता । तं जहा - १ दव्वाभिग्गहचरए २ खेत्ताभिग्गहचरए ३ कालाभिग्गहचरए ४ भावा
२१
१ B, L वियत्तो. २ B, L कुक्कुड. ° ३ B °मित्ते. ४ L आहारमाहारे. ५ Aव्वीस. ६ पत्ते । ७ भाइत्ति. ८ Not in B. ९ Bचरिए.
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२२
औपपातिकसूत्रम् [ Sut. 22भिग्गहचरए ५ उक्खित्तचरए ६ णिक्खित्तचरए ७ उक्खित्तणिक्खित्तचरए ८ णिक्खित्तउक्खित्तचरए ९ वट्टिज्जमाणचरए १० साहरिज्जमाणचरए ११ उवणीयचरए १२ अवणीयचरए
१३ उवणीयअवणीयचरए १४ अवणीयउवणीयचरए १५ 5 संसहचरए १६ असंसहचरए १७ तज्जायसंसहचरए १८
अण्णायचरए १९ मोणचरए २० दिलाभिए २१ अदिलाभिए २२ पुठलाभिए २३ अपुट्ठलाभिए २४ भिक्खालाभिए २५ अभिक्खलाभिए २६ अण्णाग
लायए २७ ओवणिहिए २८ परिमियपिंडवाइए २९ 10 सुद्धेसणिए ३० संखादत्तिए । से तं भिक्खायरिया ।
से किं तं रसपरिच्चाए ? २ अणेगविहे पण्णत्ते । तं जहा१ निव्वीइए २ पणीयरसपरिच्चाए ३ आयंबिलिए ४ आयामसित्थभोई ५ अरसाहारे ६ विरसाहारे ७ अंताहारे ८
पंताहारे ९ लूहाहारे क्वचित्-१० तुच्छाहारे] से तं रसपरिच्चाए। 15 से किं तं कायकिलेसे ? २अणेगविहे पण्णत्ते । तं जहा-१ ठाण
टिइए [ठाणाइएँ] २ उक्कुडुयासणिए ३ पडिमठाई ४ वीरासणिए ५ नेसजिए [दंडायतिए लउडसाई] ६ आयावए ७ अवाउडएँ ८ अकंडुयए ९ अणिहएँ [धुयकेसमंसुलोमे]
१० सव्वगायपरिकम्मविभूसविप्पमुक्के, से तं कायकिलेसे । 20 से किं तं पडिसंलीणया ? २ चउन्विहा पण्णत्ता । तं जहा-१
इंदियपडिसंलीणया २ कसायपडिसलीणया ३ जोगपडिसंलीणया ४ विवित्तसयणासणसेवणया । से किं तं इंदियपडिसंलीणया ? २पंचविहा पण्णत्ता । तं जहा-१ सोइंदियविसयप्प
१ B अवाय. २ A णिव्वि (य) तिए. ३ B, A °बिलए. ४ Noted in L and Com ५ B°णाईए. ६ L लगंड. ७ B आलाउडुए. ८ B, L °णिठुभए. ९ Noted in L and Com. १० B पडिकम्मविभूएस.
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औपपातिकसूत्रम्
Sut. 33– ]
वा २
यारनिरोहो वा सोइंदियविसयपत्तेसु अत्थेसु रागदोसनिंग्गहो चक्खिदियविसयप्पयारनिरोहो वा चक्खिदियविसयपत्तेसु अत्थेसु रागदोसनिग्गहो वा ३ घाणिदिदियविसयप्पयारनिरोहो वा घाणिंदियविसयपत्तेसु अत्थेसु रागदोसनिग्गहो वा ४ जिब्भिदियविसयप्पयार- 5 निरोहो वा जिब्भिदियविसयपत्तेसु अत्थेसु रागदोसनिग्गहो वा ५ फासिंदियावसयप्पयारनिरोहो वा फासिंदियासयपत्तेसु अत्थेसु रागदोसनिग्गहो वा, से तं इंदियपडिसंलीणया । से किं तं कसायपडिसंलीणया ? २ चउव्विहा पण्णत्ता । तंजहा - १ कोहस्सुदयनिरोहो वा उदयपत्तस्स वा कोहस्स विफ - 10 लीकरणं २ माणस्सुदयनिरोहो वा उदयपत्तस्स वा माणस्स विफलीकरणं ६ मायाउदयणिरोहो वा उदयपत्तस्स (ताए) वा मायाए विफलीकरणं ४ लोहस्सुदयणिरोहो वा उदयपत्तस्स वा लोहस्स विफलीकरणं, से तं कसायपडिसंलीणया । से किं तं जोगपडिसंलीणया ? २ तिविहा 15 पण्णत्ता । तंजहा - १ मणजोगपडिसंलीणया २ वयजोगपडिलीणया ३ कायजोगपडिसंलीणया । से किं तं मणजोगपाडसंलीणया ? १ अकुसलमणणिरोहो वा २ कुसलमणउदीरणं वा, से तं मणजोगपडिसंलीणया । से किं तं वयंजोगपाडसंलीणया ? १ अकुसलवयणिरोहो वा २ 20 कुसल उदीरणं वा, से तं वयजोगपडिलीणया । से किं तं कायजोगपडिसंलीणया ? २ जं णं सुसमाहियपाणिपाए कुम्मो इव गुतिदिए सव्वगायपडिसलीणे चिठ्ठा, से तं कायजोगपडिसंलीणया । से किं तं विवित्तसयणासणसेवणया ? २ जं णं आरामेसु उज्जाणेसु देवकुलेसु 25
·
१ B निगुहो. २ B कोहोदय. २ B वइ..
२३
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औपपातिकसूत्रम् [Sut. 33सहासु पवासु पणियगिहेसु पणियसालासु इत्थीपसुपंडगसंसत्तविरहियासु वसहीसु फासुएसणिज्जं पीढफलगसेज्जासंथारगं उपसंपज्जित्ताणं विहरइ । से तं पडिलीणया । से तं बाहिरए तवे ।
5 से किं तं अभितरए तवे ? २ छविहे पण्णत्ते । तं जहा–१
पायच्छित्तं २ विणए ३ वेयावच्चं ४ सज्झाओ ५ झाणं ६ विउसग्गो। से किं तं पायच्छित्ते ? २ दसविहे पण्णत्ते । तं जहा-१ आलोयणारिहे २ पडिक्कमणारिहे ३ तदुभयारिहे
४ विवेगारिहे ५ विउस्सग्गारिहे ६ तवारिहे ७ छेदारिहे ८ 10 मूलारिहे ९अणवठ्ठप्पारिहे१०पारंचियारिहे, से तं पायच्छित्ते । से
किं तं विणए ? सत्तविहे पण्णत्ते । तं जहा-१ णाणविणए २ दंसणविणए ३ चरित्तविणए ४ मणविणए ५ वंदविणए ६ कायविणए ७ लोगोवयाराविणए । से किं तं णाणविणए ? पंचविहे पण्णत्ते, तं जहा-१आभिणिबोहियणाणविणएरसुयणाण15 विणए ३ ओहिणाणविणए ४मणपज्जवणाणविणए५केवलणाणविणए । से किं तं दसणविणए ? दुविहे पण्णत्ते । तं जहा-१ सुस्सूसणाविणए २ अणच्चासायणाविणए। से किं तं सुस्सूसणाविणए ? २ अणेगविहे पण्णत्ते । तं जहा-१ अब्भुटाणे इ वा २ आसणाभिग्गहे इ वा ३ आसणप्पदाणे इ वा ४ सकारे 20 इ वा ५ सम्माणे इ वा ६ किइकम्मे इ वा ७अंजलिप्पग्गहे इ वा
८ एतस्सं अणुगच्छणया ९ ठियस्स पज्जुवासणया १० गच्छंतस्स पडिसंसाहणया, से तं सुस्सूसणाविणए ।
१B, A विणओ २ B इंतस्स, L, B एयस्स आभि.
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Sut. 30-] औपपातिकसूत्रम्
२५ ___ से किं तं अणच्चासायणाविणए ? २ पणयालीसविहे पण्णत्ते । तं जहा-१ अरहंताणं अणच्चासायणया २ अरहंतपण्णत्तस्स धम्मस्स अणच्चासायणया ३ आयरियाणं अणचासायणया एवं ४ उवज्झायाणं ५ थेराणं ६ कुलस्स ७ गणस्स ८ संघस्स ९ किरियाणं १० संभो- 5 गस्स ११ आभिणिबोहियणाणस्स १२ सुयणाणस्स १३
ओहिणाणस्स १४ मणपज्जवणाणस्स १५ केवलणाणस्स १६-३० एएसिं चेव भत्तिबहुमाणे ३१-४५ एएसिं चव वण्णसंजलणया, से तं अणच्चासायणाविणए । से किं तं चरित्तविणए ? पंचविहे पण्णत्ते । तं जहा-१ 10 सामाइयचरित्तविणए २ छेदोवठावणियचरित्तविणए ३ परिहारविसुद्धिचरित्तविणए ४ सुहुमसंपरायचरित्तविणए ५। अहक्खायचरित्तविणए, से तं चरित्तविणए । से किं तं मणविणए ? दुविहे पण्णत्ते । तं जहा-१ पसत्थमणविणए २ अपसत्थमणविणए । से किं तं अपसत्थमणविणए ? 15 जे य मणे १ सावज्जे २ सकिरिए ३ सककसे ४ कडुए ५ णिठरे ६ फरुसे ७ अण्हयकरे ८ छेयकरे ९ भेयकरे १० परितावणकरे ११ उद्दवणकरे १२ भूओवघाइए तहप्पगारं मणो णो पहारेज्जा, से तं अपसत्थमणोविणए । से किं तं पसत्थमणाविणए ? २ तं चेव पसत्थं णेयव्वं । एवं चेव वइ-20 विणवि एएहि पएहिं चेव णेयव्वो । से तं वइविणए। .
से किं तं कायविणए ? २ दुविहे पण्णत्ते । तंजहा१ पसत्थकायविणए २ अपसत्थकायविणए । से किं तं , अपसत्थकायविणए ? २ सत्तविहे पण्णत्ते। तं जहा–१ अणाउत्तं गमणे २ अणाउत्तं ठाणे ३ अणाउत्तं निसीदणे १ A संभोगिअस्स. २ B°वणवाकरे
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1M
111५५
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औपपातिकसूत्रम् [Sut. 30४ अणाउत्तं तुयट्टणे ५ अणाउत्तं उल्लंघणे, ६. अणाउत्तं पल्लंघणे ७ अणाउत्तं सविदियकायजोगजुंजणेया, से तं अपसत्थकायविणए । से किं तं पसत्थकायविणए? २ एवं
चेव पसत्थं भाणियव्वं । से तं पसत्थकायविणए, से तं 5 कायविणए । से किं तं लोगोवयारविणए ? २ सत्तविहे पण्णत्ते । तं जहा-१ अब्भासत्तियं २ परच्छंदाणुवत्तियं ३ कज्जहेउं ४ कयपडिकिरिया ५ अत्तगवेसणया ६ देसकालण्णुया ७ सव्वठेसु अप्पडिलोमया। से तं लोगोव
यारविणए, से तं विणए । 10 से किं तं वेयावच्चे १, २ दसविहे पण्णत्ते । तं जहा-१
आयरियवेयावच्चे २ उवज्झाययावच्चे ३ सेहवेयावच्चे ४ गिलाणवेयावच्चे ५ तवास्सिवेयावच्चे ६ थेरवेयावच्चे ७ साहाम्मयवेयावच्चे ८ कुलवेयावच्चे ९ गणवेयावच्चे १० संघवेयावच्चे, से तं वेयावच्चे । से कि 15 तं सज्झाए ? २ पंचविहे पण्णत्ते । तं जहा-१ वायणा २
पडिपुच्छणा ३ पारयट्टणा ४ अणुप्पेहा ५ धम्मकहा, से तं सज्झाए । से किं तं झाणे? चउविहे पण्णत्ते । तं जहा-१ अमुज्झाणे २ रुद्दज्झाणे ३ धम्मज्झाणे ४ सुक
ज्झाणे । अट्टज्झाणे चउविहे पण्णत्ते । तं जहा-१ अमणु20 ण्णसंपओगसंपउत्ते तस्स विप्पओगंसातसमण्णागए यावि
भवइ, २ मणुण्णसंपओगसंपउत्ते तस्स अविप्पओगसतिसमण्णागए यावि भवइ ३ आयकसंपओगसंपउत्ते तस्स विप्पओगसतिसमण्णागए यावि भवई ४ परिजूसियकामभोगसंपओगसंपउत्ते तस्स अविप्पओगसतिसमण्णा25 गए यावि भवइ । अट्टस्स णं झाणस्स चत्तारि लक्खणा
१B कालण्णया. २ B, L अट्टे. ३ L रोदे, B रुद्दे. ४ L धम्मे. ५ . सक्के. ६ A °स्सति
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Sut. 30-] औपपातिकसूत्रम् ..२६ पण्णत्ता। तं जहा- १ कंदणया २ सोयणया ३ तिप्पणया ४ विलवणयो । रुद्दज्झाणे चउविहे पण्णत्ते । तं जहा -१ हिंसाणुबंधी २ मोसाणुबंधी ३ तेणाणुबंधी ४ सारक्खणाणुबंधी । रुदस्स णं झाणस्स चत्तारि लक्खणा पण्णत्ता । तं जहा–१ उसेण्णदोसे २ बहुदोसे ३ अण्णाण- 5 दोसे ४ आमरणंतदोसे । धम्मज्झाणे चउबिहे चउप्पडोयारे पण्णत्ते । तं जहा-१ आणाविजए २ अवायविजए ३ विवागविजए ४ संठाणविजए । धम्मस्स णं झाणस्स चत्तारि लक्खणा पण्णत्ता । तं जहा-१ आणाई २ णिसग्गई ३ उवएसरुई ४ सुत्तरुई । धम्मस्स णं झाणस्स चत्तारि 10 आलंबणा पण्णत्ता। तं जहाः-१ वायणा २ पुच्छणा ३ परियट्टणा ४ धम्मकहा । धम्मस्स णं झाणस्स चत्तारि अणुप्पेहाओ पण्णत्ताओ । तं जहा--१ अणिचाणुप्पेहा २ असरणाणुप्पहा ३ एगत्ताणुप्पेहा ४ संसाराणुप्पहा ।
सुकैज्झाणे चउविहे चउप्पडोयारे पण्णत्ते । तं जहा- 15 १ पुत्तवियके सवियारी २ एगत्तवियके अवियारि ४ सुहुमकिरिए अप्पडिवाई ४ समुछिन्नकिरिए अणियट्ठी। सुक्कस्स णं झाणस्स चत्तारि लक्खणा पण्णत्ता । तं जहा१ विवेगे २ विउसग्गे ३ अवहे ४ असम्मोहे । सुक्कस्स णं झाणस्स चत्तारि आलंबणा पण्णत्ता । तं जहा 20 १ खंती २ मुत्ती ३ अजवे ४ महवे । सुक्कस्स गं झाणस्स चत्तारि अणुप्पेहाओ पण्णत्ताओ । तं जहा-- १ अवायाणुप्पेहा २ असुभाणुप्पेहा ३ अणंतवत्तियाणुप्पेहा ४ विपरिणामाणुप्पेहा । से तं झाणे ।
wwwwwwwwwwwr
१ B बिलवणया. २ L रोद्द. ३-B विवाद. ४ L सुक्के. ५ L पुहत्त', B पमत्त'. ६ A° वित्तिआ
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औपपातिकसूत्रम् [Sut. 30से किं तं विउस्सग्गे ? २ दुविहे पण्णत्ते । तं जहा-१ दव्वविउस्सग्गे २ भावविउस्सग्गे य । से किं तं दव्वविउस्सग्गे ? २ चउविहे पण्णत्ते । तं जहा-१ सरीर
विउस्सग्गे २ गणविउस्सग्गे ३ उवहिविउस्सग्गे ४ भत्त5 पाणविउस्सग्गे । से तं दव्वविउस्सग्गे । से किं तं
भावविउस्सग्गे ? २ तिविहे पण्णत्ते । तं जहा-१ कसायविउस्सग्गे २ संसारविउस्सग्गे ३ कम्मविउस्सग्गे । से किं तं कसायविउस्सग्गे ? २ चरविहे पण्णत्ते । तं जहा:
१ कोहकसायविउस्सग्गे २ माणकसायविउस्सग्गे ३ 10 मायाकसायविउस्सग्गे ४ लोहकसायविउस्सग्गे । से तं
कसायविउस्सग्गे । से किं तं संसारविउस्सग्गे ? २ चरविहे पण्णत्ते । तं जहाः-१ णेरइयसंसारविउस्सग्गे २ तिरियसंसारविउस्सग्गे ३ मणुयसंसारविउस्सग्गे ४ देव
संसारविउस्सग्गे । से तं संसारविउस्सग्गे । से कि 15 तं कम्मविउस्सग्गे ? २ अठविहे पण्णत्ते । तं जहाः--१
णाणावरणिज्जकम्मविउस्सग्गे २ दरिसणावरणिज्जकम्मविउस्सग्गे १ वेयणिज्जकम्मविउस्सग्गे २ मोहणिज्जंकम्माविउस्सगे ३ आउँयकम्मविउस्सग्गे ४ णामकम्मविउस्सग्गे ५ गोयकम्मविउस्सग्गे ६ अंतरायकम्मविउस्सग्गे । से तं 20 कम्मविउस्सग्गे, से तं भावविउस्सग्गे ।
SUTRA 31. तेणं कालेणं तेणं समएणं समणस्स भगवओ महावीरस्स बहवे अणगारा भगवंतो अप्पगइया आयारधरा जाव विवागसुयधरा तत्थ तत्थ तहिं तहिं देसे देसे गच्छागच्छि गुम्मागुम्मि फड्डाफैड्डिं अप्पेगइया वायांत १ A & B वेअणीयं. २ A,B मोहणीय'.३ A आऊ.
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२९
Hari
5
Sut. 32-]
औपपातिकसूत्रम् अप्पेगइया पडिपुच्छति अप्पेगइया परियति अप्पेगइया अणुप्पेहांत अप्पेगइया अक्खेवणीओ विक्खेवणीओ संवे- यणीओ णिव्वेयीओ बहुविहाओ कहाओ कहांत अप्पेगइया उदुंजाणू अहोसिरा झाणकोहोवगया संजमेणं तवसा अप्पाणं भावेमाणा विहरति ।
SUTRA 32. संसारभउन्विग्गा भीयाँ जम्मणजरमरणकरणगंभीरदुक्खपक्खुब्भियपउरसलिलं संजोगविओगवीचिंतापसंगपसरियवहबंध-... महल्लविउलकल्लोलकलुणविलवियलोभकलकलंतबोलबहुलं अवमाणणफेणतिव्वरिखसणपुलपुल [पलुंपणे ] प्पभूयरोगवेयणपरिभवविणिवायफरुसधरिसील समावडियकढिणकम्मपत्थर- 10 तरंगरंगतानचमच्चुभयतोयपठं कसायपायालसंकुलं भवसयसहस्सकलुसजलसंचयं पइभयं अपरिमियमहिच्छकलुसमइवाउ. वेगउद्धम्ममाणदगरयरयंधआरवरफेणपउरआसापिवासघवलं मोहमहावत्तभोगभममाणगुप्पमाणुच्छलंतपच्चोणियत्तपाणयपमायचंडबहुदुठसावयसमाहयुद्धायमाणपब्भारपोरकंदियमहारवरवंत-15 भेरवरवं अण्णाणभमंतमच्छपरिहत्थअणिहुयिंदियमहामगरतुरियचरियखोखुब्भमाणनचंतचवलचंचलचलंतघुम्मंतजलसमूहं अरइभयविसायसोगमिच्छत्तसेलसंकडं अणाइसंताणकम्मबंधणाकलेसचिखल्लसुदुत्तारं अमरणरतिरियणरयगइगमणकुडिलपरियत्तविउलवेलं चउरंतं महंतमणवयग्गं रुदं संसारसागरं 20 भीमं दरिसणिज्जं तरंत घिइधणियनिप्पकंपणे तुरियचवलं
___ १B, A चउव्विहा २ B कहिंति. ३ Read only in A & B. ४ । भिय ५ A
वीचि ६ L कलेन्त, B° कललिकालत ७ B° क्खिसण ८ B° पुलंपुल्लय ९ Noted in L; १० B°. वेण ११ B° कवय. १२ L उद्धम्म B, उद्धव्व १३ B. माणुव्वलंत. १४ । पच्चोणिवयंत, B. पयच्चोगिवअंत. १५ B. अत्ताणं. १६ A.चिक्खिल्ल. १७ B. A. णिरय. १८ A° वत्त. १९ । रुंद. २० B° भीमदरिस २१ A धीई २२ L तुरियं चंचलं.
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औपपातिकसूत्रम् . [Sut. 33 संवरवेरग्गतुंगकूवयसुसंपउत्तेणं णाणसियविमलमूसिएणं सम्मत्तविसुद्धलद्धणिज्जामएणं धीरा संजमपोएण सलिकलिया पसत्थज्झाणतववायपणोल्लियपहाविएणं उज्जमववसायग्गहियणिज्जरणजयणउवओगणाणदंसण [ चरित्त ]' विसुद्धवय5 [वर ] भंडभरियसारा जिणवरवयणोवदिठमग्गेण अकुडिलेण
सिद्धिमहापट्टणाभिमुहा समणवरसत्थवाहा सुसुइसुसंभाससुपण्हसासा गामे गामे एगरायं णगरे णगरे पंचरायं देइज्जंता जिइंदिया णिब्भया गयभया सचित्ताचित्तमीसिएसु
दव्वेसु विरागयं गया संजया [विरता] मुत्ता लहुया 10 णिरवकंखा साहूणिहुया चरंत धम्मं ॥
SUTRA 33. तेणं कालेणं तेणं समएणं समणस्स भगवओ महावीरस्स बहवे असुरकुमारा देवा अतियं पाउभवित्था, कालमहाणीलसरिसालगुलियगवलअयसिकुसुमप्पगासा वि
यसियसयवत्तमिव पत्तलनिम्मला ईसासियरत्ततंबणयणा 15 गरुलाययउज्जुतुंगणासा ओयवियसिलप्पवालाबिंबफलसाण्ण
भाहरोठा पंडुरससिसयलविमलणिम्मलसंखगोखीरफेणदगरयमुणालियाधवलदंतसेढी हुयवहणिद्धतधोयतत्ततवणिज्जरत्ततलतालुजीहा अंजणघणकसिणरुयगरमणिज्जणिद्धकेसा वा
मेगकुंडलधरा अदचंदणाणुलित्तगत्ता ईसीसिलिंधपुष्फप्पगोसाई 20 असंकिलिठाई सुहुमाइं वत्थाई पवरपरिहिया वयं च पढमं समइकंता विइयं चै असंपत्ता भद्दे जोव्वणे वट्टमाणा तलभंगयतुडियपवरभूसणनिम्मलमणिरयणमंडियभुया
१ Noted in L. २ L notes it. ३ B दुइज्जंता, ४ B_L मसिएस ५ Read in B. ६ A° निम्मलईसिं ७ A उअचि ८ Not in L ९ B, साइयअसं १० A च वयं.
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Sut. 34-]
औपपातिकसूत्रम्
- ३१ दसमुद्दामांडियग्गहत्था चूलामणिचिंधगया सुरूव महज्जुइया महब्बला महायसा महासोक्खा महाणुभागा हारविराइयवच्छा कडगतुडियर्थभियभुया अंगयकुंडलमंहगंडतला कण्णपढिधारी विचित्तहत्या भरणा विचित्तमालामउलिमउडा कल्लाणगपवरवत्थपरिहिया कल्लाणगपवरमल्लाणुलेवणा भासुरबोंदी पलंबवणमालधरा दिव्वेणं वण्णेणं दिव्वेणं गंधेणं दिव्वेण रूवणं एवं- फासेणं संघाएंणं संठाणेणं दिव्वाए इडीए जुईए पभाए छायाए अञ्चीए दिव्वेणं तेएणं दिव्वाए लेसाए दस दिसाओ उज्जोवेमाणा पभासमाणा समणस्स भगवओ महावीरस्स तयं आगम्मागम्म रत्ता समणं भगवं महावीरं तिक्खुत्तो आयाहिणपयाहिणं करेन्ति २ ता वंदति णमंसंति [वंदित्ता] णमंसित्ता [साइं साइं णामगोयाइं सावेन्ति] पच्चासण्णे णाइदुरे सुस्सूसमाणा णमंसमाणा अभिमुहा विणएणं पंजलिउडा पज्जुवासति ॥ .
SUTRA 34.
तेणं कालेणं तेणं समएणं समणस्स भगवओ महावीरस्स बहवे असुरिंदवाज्जया भवणवासी देवा अंतियं पाउन्भवित्था णागपइणो सुवण्णा विज्जू अग्गी में दीवउदही दिसाकुम रा य पवणथणिया य भवणवासी णागफडागरुलवइरपुण्णकलसंकियुप्पहेससीहहयवरगयंकमयरंकवरमउडवद्धमाणणिज्जुत्तविचित्तचिंधगया सुरूवा महिड्डिया सेसंतं चेव जाव-पज्जुवासंति ॥
१ A B°महिदिया. २ A. महबला, B°महाबला. ३ A, B° गंडतलकण्ण. ४A, वत्था ५ A notes संघयणेणं. ६Aजुत्तीए ७B.अंतियं अंतियं, ८A हिणं. ९Aकरेइ १०Read in B. ११ Noted in L. १२A. 'सणे १३A.अग्गिआ.दीवा. १४A, कलससीहहयगयमगरमउड
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औपपातिकसूत्रम्
SUTRA 35.
तेणं कालेणं तेणं समएणं समणस्स भगवओ महावीरस्स बहवे वाणमंतरा देवा अंतियं पाउब्भवित्था पिसायभूया य जक्खरक्खसा किंनरकिंपुरिसभुयगपंइणो य महाकाया गंधव्वर्णिकायगणा णिउणगंधव्वगीयरइणो अणर्वेण्णियपणवणियइसिवाँदिय भूयवादियैकंदियमहाकंदिया य कुहंडपयर्यदेवा चंचलचवलचित्तकलिणदवप्पिया गंभीरहसियमणियपीयगीयणच्चणरई वर्णमाला मेलमउडकुंडलसच्छंदविउब्वियाहरण चारुविभूसणधरा सव्वोउयसुरभि - कुसुमसुरइय पलंब सोमंतकंतवियसंतचित्तवणमालरइयवच्छा कामँगमा कामरूधारी णाणाविवण्णरागवरवत्थचि - तचिलयणियंसणा विविहदेसीणेवच्छगोहियवेसा पमुइयकंदप्पकलहकेलीकोलाहलापिया हासबोलैबहुला अणेगमणिरयणविविहणिज्जुत्तविचिंत्तचिंधगया सुरूवा महिड्डिया जाव पज्जुवासंति ||
३२
.
[ Sut. 35
SUTRA 36.
तेणं कालेणं तेणं समएणं समणस्स भगवओ महावीरस्स ( वद्धमाणस्स ) जोइसिया देवा अंतियं पाउव्भवित्था, विस्सती चंदसूरसुक्कसणिच्छरों राहू धूमकेतुबुहा य अंगारका य तत्ततवणिज्जकणगवण्णा जे य गहा जो संमि" चारं चरांत केऊ य गइरइया अहावीसतिविहा य णक्खत्तदेवगणा णाणासंठाणसंठियाओ य
१६
E पिसायभूता. २ A 'वइणो. ३ I notes परगणा ४ B, A पण्णिय. ५ A वादीअ ६ A पयएय- ७ A ंगम. ८ A चिल्लिय ९ A णेवत्थग्ग १० A : प्पिया ११ L notes. [ हासकेलिबहुला ] १२ L चिंधविचित्त. १३ Road in L. १६ M जोइसंचाई. १७ A अठ्ठावीस.
१४ B, वह . १५ A च्चरा
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Sut. 37- ]
औपपातिकसूत्रम्
पंचवण्णाओ ताराओ ठियलेसा चारिणो य अविस्साममंडलगई पत्तेर्यं णामंकपागडियचिंघमउडा महिड्डिया – जाव पज्जुवासति ॥
m
३३
SUTRA 37.
तेणं कालेणं तेणं समरणं समणस्स भगवओ महावीरस्स वेमाणिया देवा अंतियं पाउन्भवित्था सोहम्मीसाण- 5 सणंकुमारमाहिंदबंंभलंतगमहासुक्क सहस्साराणयपाणयारणअच्चुयई पट्टिा देवा जिणदंसणुस्तुयांगमणजणियहासा पालगपुप्फगसोमणससिसिरिवच्छृणंदियावत्तकामगमपीइगममणोगमविमलसव्वओ भैसरिसणामघेज्जेहिं विमाणेहिं ओइण्णा वंदगा जिणिदं मिगमहिसवराहछगलदद्द रहयगय वइभुयगखग्गउसभंक- 10 विडिमपागाडयचिंधमउडा पसिढिलवरमउडतिरीडधारी कुंडल - उज्जोवियाणणा मउडदित्तसिरया रत्ताभा परमपम्हगोरा सेया सुभavuriघासा उत्तमवेडेव्विणो विविहवत्थगंधमल्लधारी माहिड्डिया महज्जुतिया जाव पंजलिउडा पज्जुवासंति ।। [SUTRA 37.]
सामाणियतावत्तसमहिया सलोगपाल अग्गमहिसिपरिसाणि- 15 आरक्खेहिं परिवुडा देवसहस्रानुयातमागैः सुरवरगणेश्वरैः प्रयतः समणुगम्मत सस्सिरीया सर्वादरविभूषितः सुरसमृद्दनायकाः सौम्यचारुरूपाः देवसंघजयसद्दकयालोया मिगमहिसवराहछ्गलदद्दरहयगयवइभुयगखग्गउसभंकविडिमपागडियांचंध
१
ई. २ A णुस्सगा, B णूसगा. ३ A 'भद्दणामधिज्जेहिं. ४ B लुज्जोविया' ५ A, विउव्विणो. ६ A धरा. ७ Road in L as well as in Com., who thus remarks on this - वैमानिकवर्णकोऽपि व्यक्तो नवरं वाचनान्तरगत किंचिदस्य व्याख्यायते, तदन्तर्गतं किंचिदधिकृतवाचनान्तरगतं च । ८ Com. 'सहिया.
९ Com. अप्प.-१० Com. संपरि.
५
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३४
औपपातिकसूत्रम् Sut. 37मउडा पालगपुप्फगसोमणससिसिरिवच्छनंदियावट्टकामगमपीतिगममणोगमविमलसव्वओभदनामधेज्जेहिं विमाणेहिं तरुणदिणयरकरअइरेगप्पन्भेहिं मणिकणगरयणघडियजालुज्जलहेमजालपेरंतपरिगएहिं सपयरवरमुत्तदामलंबंतभूसणेहिं पचलियघंटाव5 वलिमहुरसहवंसतंतीतलतालगीयवाइयरवेणं महुरेणं मणोह
रेणं पूरयंता अंबरं दिसाओ य, सोभेमाणा सरियं, संपठिया थिरजसा देविंदा हटतुटमणसा, सेसा वि य कप्पवरविमाणाहिबा सविमाणविचित्तचिंधनामंकविगडपागडमउडाडो
वसुभदंसणिज्जा समान्निति, लोयंतविमाणवासिणो यावि देव10 संघा य पत्तेयविरायमाणविरइयमणिरयणकुंडलाभसंतनिम्मलनियगंकियविचित्तपागडियमउडा दायंता अप्पणो समुदयं, पेच्छंता वि य परस्स रिडीओ, जिणिंदवंदणनिमित्तभत्तीए चोइयमई जिणदंससुयागमणजणियहासा विउलबलसमूहपिंडिया संभमेणं गगणतलविमलाविउलगगणगइचवलचालयमण15 ( पर्वण) जइणसिग्धवेगा णाणाविहजाणवाहणगया ऊसि
यविमलधवलछत्ता विउब्बियजाणवाहणविमाणदेहरयणप्पभाए उज्जोएंता नहं, वितिमिरं करेंता सविडीए हुलियं प्रयाताः। [पसिढिलवरमउडातरीडधारी मउडदित्तसिरया रत्तामा पउमपम्हगोरा सेया।]"
[SUTRA 38. 20 तेणं कालेणं तेणं समएणं समणस्स भगवओ महा
वीरस्स बहवे अच्छरगणसंघाया आंतयं पाउभवित्था । ताओ णं अच्छराओ धंतधोयकणगरुयगसरिसप्पभाओ सम
१ Com. 'दिवागरकरातिरेगप्पहेहिं. २ Com. 'पागडियचिंधमउडा. ३ Not in L. ४ Com. आयवत्ता. ५ Read in Com. with the remark गमान्तरमिदमू. ६ Com, prefaces the passage thus:-पुस्तकान्तरे देवीवर्णको दृश्यते । स चैवम्.
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Sut. 37-]
औपपातिकसूत्रम् इकंताओ य बालभावं अणइवरसोमचारुरूवाओ निरुवहयसरसजोव्वणकक्कसतरुणवयभावं उवगयाओ निच्चं अवडियसहावाओ सव्वंगसुंदरीओ इच्छियनेवच्छरइयरमणिज्जगहियवेसाओ किं ते हारद्धहारपाउत्तरयणकुंडलवामुत्तगहेमजालमणिजालकणगजालसुत्तंगउरितियकडगखुड्डगएगावलिकंठ- 5 सुत्तमगहरावरवच्छगेवेज्जसोणिसुत्तगतिलगफुल्लगसिद्धत्थियकण्णवालियससिसूरउसवक्कयतलभंगयतुडियहत्थमालयहरिसकेऊरवलयपालंबअंगुलिज्जगवलक्खदीणारयालिया चंदसूरमालि. याकंचिमेहलकलावपयरगपरिहेरगपायजालधंटियखिंखिणिरयणोरुजाल/ड्डियवरनेउरचलणमालियाकणगाणगलजालगमगर- 10 मुहविरायमाणनेउरपचलियसदालभूसणधारणीओ दसद्धवण्णरागरइयरत्तमणहरे हयलालापेलवाइरेगे धवले कणगखचियंतकम्मे आगासफालियसरिसप्पहे असुपणियत्थाओ आयरेणं तुसारगोक्खीरहारदगरयपंडुरदुगुल्लसुकुमालसुकयरमाणज्जउत्तरिज्जाई पाउयाओ, वरचंदणचच्चियाओ वरा--15 भरणभूसियाओ सव्वोउयसुराभिकुसुमरइयविचित्तवरमल्लधारिणीओ सुगंधचुण्णंगरागवरवासपुप्फपूरगविराइयाओ अहियसस्सिरीयाओ उत्तमवरधूवधूवियाओ सिरीसमाणवेसाओ दिव्वकुसुममल्लदामपन्भंजलिपुडाओ चंदाणणाओ चंदविलासिणीओ चंदद्धसमललाडाओ चंदाहियसोमदंसणाओ उक्का- 20
ओ विव उज्जोएमाणाओ विज्जुघणमिरीइसरदिप्पंततेयअहियतरसन्निगासाओ सिंगारागारचारुवेसाओ संगयगयहासयभणियचेठियविलाससललियसलावनिउणजुत्तोवयारकुसला
ओ सुंदरथणजघणवयणकरचरणनयणलावण्णरूवजावणविलासकलियाओ सुरवधूओ सिरीसनवणीयमउयसुकुमालतु 25
१ Com.°वासत्तग. २ Com.°सभग. ३ Com गधरच्छ. ४ Com. चक्कय.५ iom 'या. ६ Com. खुड्डिय. ७ Com. °धरीउ. ८ Com. अंसए नियत्थाओ.
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औपपातिकसूत्रम्
[ Sut. 38
लफासाओं वचगयकलिकलुसाओ घोयनिद्धंतर यमलाओ सोमाओ कंताओ पियदसणाओ सुरूवाओ जिणभत्तिदंसणारागेणं हरिसियाओ ओवइयाओ यावि जिणसगासं दिव्वे - णं सेसं तं चैव नवरं ठियाओ चेव ।
३६
SUTRA 38.
5 सणं. चंपाए णयरीए सिंघाडगतिगचउक्कचच्चरचउम्मुहमहापहप महया जणसद्दे इ वा [ क्वचित् बहुजणसदे इ वा जगवाए इ वा नकुलावे इवा ]' जणवृद्दे इ वा जणबोले इ वा जणकलकले इ वा जणुम्मीइ वा जणुकलिया इ वा जणसणिवा इ वा बहुजणो अण्णमण्णस्स एव - 10 माइक्खइ एवं भासइ एवं पण वेइ एवं परूवेई – “ एवं खलु देवाणुपिया ! समणे भगवं महावीरे आइगरे तित्थगरे संयंसंबुद्धे पुरिसुत्तमे जाव संपादिकामे पुव्वाणुपुविं चरमाणे गामाणुरगामं दूइज्माणे इहमा गए इहसंपत्ते इह समोसढे इहेवं चंपाएँ णयre वहिं पुorn दे चेहए अ15 हापडिरूवं उग्गहं उग्गिण्हित्ता संजमेणं तवस अप्पाणं भावेमाणे विहरइ । तं महाफलं खलु भो देवाप्पिया ! तहारूवाणं अरहंताणं भगवंताणं णामगोयस्स वि सवणयाए, किमंग उण अभिगमणवंदणणमंसणपडिपुच्छणपज्जु-' वासणयाए ? एगस्स वि आयरियस्स धम्मियस्स सुव20 यणस्स सवणयाए, किमंग पुण विउलस्स अट्ठस्स गहण - याए ? तं गच्छामो णं देवाणुप्पिया ! समणं भगवं महावीरं वंदामो णमंसामो सकारेमो सम्माणेमो कल्लाणं मंगलं देवयं चयं [ विणणं ] पज्जुवासामो एयं णे पेच्चभवे भवे मैं हियाए सुहाए खमाए निस्सेयसाए आणु
१. Noted in L & Com. २ Lसह ३ L. ४ B° चंपानगरीए. ५ B° बहिया. ६ B पुण. ७ A एक्स्स. ८ A अत्थस्स. ९ Noted in A. १० B नो. ११ पाठान्तरे इह भवे य परभवे य - Noted in L & Com. Breads. पिच्चर भवे इह भवे वा.
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Sut 38-] औपपातिकसूत्रम् गामियत्ताए भविस्सइत्ति कट्ट बहवे उग्गा उग्गपुत्ता भोगा भोगपुत्ता एवं दुपडोयारेणं राइण्णा [ क्वचित्-इक्खागा नाया कोरव्वा ] खत्तिया माहणा भडा जोहा पसत्यारो मल्लई लेच्छई लेच्छईपुत्ता अण्णे य बहवे राईसरतलवरमाइंबियकोडुबियइब्भसेठिसेणावइसत्थवाहप्पभितयो अप्पेगइया 5 वंदणवत्तियं अप्पेगइया पूयणवत्तियं एवं सकारवत्तियं सम्माणवत्तियं दंसणवत्तियं कोऊहलंवत्तियं अप्पेगइया अटुविणिच्छयहेउं अस्सुयाइं सुणेस्सामो सुयाई निस्संकियाई करिस्सामो अप्पेगइया अठाई हेऊइं कारणाइं वागरणाई पुच्छिस्सामो अप्पेगइया सबओ समंता मुंडे भवित्ता 10 अगाराओ अणगारियं पव्वइस्सामो, पंचाणुव्वइयं सत्तासक्खावइयं दुवालसविहं गिहिधम्म पडिवज्जिस्सामो, अप्पेगइया जिणभत्तिरागेणं अप्पेगइया जीयमेयंति कट्ट व्हाया कयबलिकम्मा कयकोउयमंगलपायच्छित्ता [कचितउच्छोलणपधोया ] सिरसा कंठे मालकडी आविद्धमणि- 15 मुवण्णा कप्पियहारद्वहारतिसरपालंबपलबमाणकार्डसुतसुकयसोहाभरणा पवरवत्थपारीहया [वाचनान्तरे-जाणगया जुग्गगया गिल्लिगया थिल्लिगया पवहणगया] चंदणोलित्तगायसरीरा, अप्पेगइया हयगया एवं गयगया रहगया सिबियागया संदमाणियागया अप्पेगइया पायविहारचारणं 20 पुरिसवग्गुरापरिक्खित्ता [क्वचित्-वग्गावग्गिं गुम्मागुम्मिा महया उकिसीहणायबोलकलकलरवेणं पक्खुभियमहासमुहरवभूयं पिव करेमाणा [क्वचित्-पायदद्दरेण भूमिं कंपेमाणा
१L स्सईति. २ Noted in L & Com. ३ B सिछि. ४ A पभितिओ तिया. ५ L°हल्ल.६ L notes सव्वत्ताए.७ – मुंडा. ८ A कोऊय, ९ Noted in L & Com, १० B मालाकडा ११ A तिसरय. १२ B A सत्तय. १३ Noted in L & Com., who notes it after हयगया. १४ BL सिविया. १५ B,A, 'चारिणो। १६ Noted in L & Com. १७ A कठि.
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औपपातिकसूत्रम्
[ Sut. 38अंबरतलं पिव फोडेमाणा एगादसिं एगाभिमुहा ] चंपाए णयरीए मज्झमज्झणं णिग्गच्छति २ ता जेणेव पुण्णभद्दे चेइए तेणेव उवागच्छंति ५ त्ता समणस्स भगव
ओ महावीरस्स अदूरसामंते छत्तादीए तित्थयराइसेसे पा. 5 संति पासित्ता जाणवाहणाई ठवेति [ क्वचित्-विभति],
२ ता जाणवाहणोहितो पच्चोरुहंति पच्चोसहित्ता [जाणाई मुयंति वाहणाई विसज्जति पुप्फतबोलाइयं आउहमाइयं स. चित्तालंकारं पाहणाओ य (विसज्जेति) एगसाडियं उत्तरासंगं (काति) आयंता चोक्खा परसुइभूया अभिगमे10 णं अभिगच्छंति, चक्खुफासे एगत्तीभावकरणेणं]
जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवा
गच्छंति, उवागच्छित्ता समणं भगवं महावीरं तिक्खुत्तो 25 आयाहिणं पयाहिणं करोत, करित्ता वंदति णमस्संति,
वंदित्ता णमस्सित्ता पच्चासणे णाइदुरे सुस्सूसमाणा णमंसमाणा अभिमुहा विणएणं पंजलिउँडा पज्जुवासंति ॥. " वाचनान्तरे-तिविहाए पज्जुवासणाए पज्जुवासंति, काइयाएसुसमाहियपसंतसाहरियपाणिपाया अंजलिमउलियहत्था (वाइयाए ) एवमेयं भंते, अवितहमेयं असंदिद्धमेयं, इच्छिय
मेयं, पडिच्छियमेयं, इच्छियपडिच्छियमेयं, सच्चे णं एस 15 अटे, माणसियाए,--तच्चित्ता तम्मणा तल्लेसा तदज्झवसिया तत्तिव्यज्झवसाणा तदप्पियकरणा तदह्रोवउत्ता तम्मावणाभाविया एगमणा अविमणा अणण्णमणा जिणवयणधम्माणुरागरत्तमणा वियसियवरकमलनयणवयणा पज्जुवा
सह समोसरणाई गवेसह आगंतारेसु वा आरामागारेसु 20 वा आएसणेसु वा आवसहेसु वा पाणयगेहेसु वा पणि
१ Noted in L & Com. २ A ठावइंति. ३ Noted in L & Com. ४ Noted in L. ५ B णमं.६ B पंजलिकडा. ७ Noted in L.
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Sut. 40-1
औपपातिकसूत्रम् यसालासु वा जाणगिहेसु वा जाणसालासु वा कोठागारसु वा सुसाणेसु वा सुण्णागारेसु वा परिहिंडमाणा परिघोलेमाणा।]
SUTRA 39. __ तए णं से पवित्तिवाउए इमीसे कहाए लद्धठे समाणे हतुठ जाव हियए हाए जाव अप्पमहग्याभरणालंकिय
सरीरे सयाओ गिहाओ पडिणिक्खमइ, सयाओ गि- 5 हाओ पडिणिक्खमित्ता चंपाणयरिं मझमज्झणं जेणेव बाहिरिया सा चेव हेछिल्ला वत्तव्वया जाव णिसीयइ णिसीइत्ता तस्स पवित्तिवाउयस्स अद्धत्तेरस सयसहस्साई पीइदाणं दलयइ, २ ता सकारेइ सम्माणेइ सकारिता सम्माणत्ता पडिविसज्जेइ ॥ २८ ॥
SUTRA 40. तए णं से कूणिए राया भंभंसारपुत्ते बलवाउयं आमंतेइ २ ता एवं वयासि-क्षिप्पामेव भो देवाणुप्पिया ! आभिसेकं हत्थिरयणं पडिकप्पेहि, हयगयरहपवरजोहकलियं च चाउरंगिणिं सेणं सण्णाहेहि, सुभद्दापमुहाण य देवणिं बाहिरियाए उवटाणसालाए पाडियकपीडियकाई ज- 15 ताभिमुहाई जुत्ताई जाणाई उववोह चंपं च णयरिं सब्भितरबाहिरियं [ क्वचित्--आसियसम्मजिउवलितं सिंघाडगतियचउक्कचच्चरचउम्मुहमहापहपहेसु]" आसित्तैसित्तसुइसम्महरत्यंतरावणवीहियं मंचाइमंचकलियं णाणाविहरागउँच्छियज्झचंपडागाइपडागमंडियं लाउल्लोइयमाहियं गोसीससरसरत्त- 20 चंदण जाव गंधवाट्टिभूयं करोहिय कारवेहि य करता
१. पवत्ति'. २L चंपं णगरिं. ३ A सव्वेव. ४ L तेरस. ५ L भिंभ६ B°या. ७ A वयासी. ८ B खिप्पं. ९ A °हिहि. १० L सभद्दप्प . ११ A °एक्क. १२ A वेह. १३ Noted in L. १४ L आसिय. १५ सइय. १६ रच्छंतर. १७ 4 °ऊसिय. १८ L ज्झयपडागमीडयं. १९ A °ह. २० A करित्ता.
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४०
४०
औपपातिकसूत्रम् [ Sut. 42य कारवेत्ता य एयमाणत्तियं पच्चप्पिणाहि । णिज्जाहिस्सामि समणं भगवं महावीरं अभिवंदए ।
SUTRA 41. तए णं से बलवाउए कूणिएणं रण्णा एवं वुत्ते समाणे हतु जाव हियए करयलपरिग्गहियं सिरसावत्तं मत्थए 5 अंजलिं कट्ट एवं सामित्ति आणाए विणएणं वयणं
पडिसुणेइ २ ता एवं हत्थिवाउयं आमंतेइ आमंतेत्ता एवं वयासि--खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया ! कूणियस्स रण्णो भंभसारपुत्तस्स आभिसेकं हत्थिरयणं पडिकप्पेहि हयगय
रहपवरजोहकालयं चाउरंगिणिं सेणं सण्णाहोह मण्णाहेत्ता 10 एयमाणत्तियं पच्चप्पिणाहि ।।
SUTRA 42. तए णं से हत्थिवाउए बलवाउयस्स एयमई (सोच्चा) आणाए विणएणं ( वयणं) पडिसुणेइ पडिसुणित्ता [ क्वचित्-आभिसेकं हत्थिरयणं ] छेयायरियउवए
समइकप्पणाविकप्पेहिं सुणिउणेहिं उज्जलणेवत्थहत्थपरिव15 त्थियं सुसज्जं धम्मियसण्णद्धबद्धकवइयउप्पीलियकच्छवच्छ
गेवेयबद्धगलवरभूसणविराँयंतं अहियतेयजुत्तं सललियवरकण्णपूरविराइयं पलंबओचूलमहुयरकयंधयारं चित्तपरित्थोमपच्छयं पहरणांवरणभारयजुद्धसज्जं सच्छत्तं सज्झयं सघंट
सपडागं पंचामेलयपरिमंडियाभिरामं ओसारियजमलजुयलघंटे 20 विज्जुपिणद्धं व कालमेहं उप्पाइयपव्वयं व चंकमंतं मत्तं
१० इस्सामि. २ A and B read एवं वयासि सामित्ति. ३L चउरं'. ४ Read in A & B. ५ Noted in L. ६ A °विकप्पणा. ७ L°णेवच्छ. ८ 'गवेज्ज, B. गेविज्ज ९ . गलय, B गलयवर. १० L_Notes विराइयं. ११ कचित्--अहियअहियतेयजुत्तं Noted in L. १२ A °उच्चूल. १३ A परिच्छेअ. १४ सचावसरपहरणा Noted in L. १५ A °पणद्ध. १६ ओप्पाइय. १७ L Notes. ओप्पा...सक्खं
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5
Sut. 44-]
औपपातिकसूत्रम् [कचित्-महामेहमिव ] गुलगुलंतं मणपषणजइणवेगं भीमं संगामियाओज्ज आभिसेक्कं हत्थिरयणं पडिकप्पेइ २ ता हयगयरहपवरजोहकलियं चाउरंगिणिं सेणं सण्णाहेइ जेणेव बलवाउए तेणेव उवागच्छइ उवागच्छित्ता एयमाणत्तियं पच्चप्पिणइ ॥
SUTRA 43 तए णं से बलवाउए जाणसालियं सदावेइ २ ता एवं वयासी-खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया ! सुभदापमुहाणं देवीणं बाहिरियाए उवठाणसालाए पाडियक्कपाडियकाई जत्ताभिमुहाई जुत्ताइं जाणाई उवठवेहि २ त्ता एयमाणत्तियं पच्चप्पिणाहि ॥
___10
SUTRA. 4.4.
तए णं से जाणसालिए बलवाउयस्स एयमठं आणाए विणएणं वयणं पडिसुणेइ २ ताजेणेव जाणसाला तेणेव उवागच्छइ तेणेव उवागच्छित्ता जाणाई पच्चुवेक्खेइ २ त्ता जाणाई संपमज्जेइ २ ता जाणाई संवटेइ २ त्ता जाणाई णीणेइ २ ता जाणाणं दूसे पवी-15 णेइ २ त्ता जाणाइं समलंकरेई २ ता जाणाई वरभंडगमंडियाई करेइ २ ता जेणेव वाहणसाला तेणेव - वागच्छइ २ ता वाहणसालं अणुपविसइ २ त्ता वाहणाई पच्चुवेक्खेइ २ त्ता वाहणाई संपमज्जइ २ त्ता वाहणाई णीणेइ २ ता वाहणाई अप्फालेइ २ त्ता दूसे पवीणेइ २ 20 त्ता वाहणाई समलंकरेइ २ त्ता वाहणाई वरभंडगमंडियाई
१ Noted in L. २ L and B 'गुलेन्तं.-३ L Reads 'याओग्गं, and notes 'याओझं. B संगामियआयोग. ४ L प्पिणाति. ५ B °मेज्जेइ. ६ । 'कारेइ.
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औपपातिकसूत्रम् [ Sut. 44करेइ २ ता वाहणाइं जाणाइं जोएइ २ ता पओयलहिं पओयधरऐ य समं आडहइ २ ता वट्टमंगं गाहेइ २ ता जेणेव बलवाउए तेणेव उवागच्छइ २ ता बलवाउयस्स एयमाणत्तियं पञ्चप्पिणइ ।
SUTRA 45. 5 तए णं से बलवाउए णयरगुत्तियं आमंतेइ २ ता
एवं वयासी-खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया ! चंपं णयरिं सभितरबाहिरियं आसित्तं जाव कारवेत्ता एयमाणत्तियं पर्चप्पिणाहि ।
SUTRA 46. तए णं से णयरगुत्तिए बलवाउयस्स एयमडं आणाए 10 विणएणं पडिसुणेइ २ ता चंपं णयरिं सभितरबाहिरियं
आसित्त जाव कारवेत्ता जेणेव बलवाउए तेणेव उवागच्छइ २ ता एयमाणत्तियं पच्चप्पिणइ ।
SUTRA 47. तए णं से बलवाउए कोणियस्स रण्णो भंभसारपुत्तस्स आभिसके हत्थिरयणं पडिकप्पियं पासइ हयगय , 15 जाव सण्णाहियं पासइ, सुभद्दापमुहाणं देवीणं पडिजा
णाई उवठवियाई पासइ चंपं णयरिं सभितरे जाव गंधवट्टिभूयं कयं पासइ, पासित्ता हतुडचित्तमाणदिए [णदिएँ] पीअणे जाव हियए जेणेव कूणिए राया भंभसारपुत्ते तेणेव उवागच्छइ २ ता करयल जाव एवं
SUT
wasna.inwhranAiwwwwmnamamyawinAmharwwwwwwmamimarwarunawanawar
१ A 'धरे. २ . मगं. ३ - प्पिणाइ. ४ A गुत्तिए. ५ . आसिय. ६ L पिणाहि. ७ B सण्णिहियं ८ . . पमुहाण ९ । अभितर. १० Noted in L ११ - पीई.
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Sut. 48-]
औपपातिकसूत्रम् वयासी-कप्पिए ण देवाणुप्पियाणं आभिसक्के हत्थिरयणे हयगय जाव पवरजोहकलिया य चाउरंगिणी सेणा सण्णाहिया सुभद्दापमुहाणं य देवीणं बाहिरियाए उवठाणसालाए पाडियकपाडियकाई जचाभिमुहाई जुत्ताई जाणाई उवठावियाई चंपाणयरी सब्भितरबाहिरिया आसिच जाव गंध- 5 वट्टिभूया कया, तं णिज्जंतु णं देवाणुप्पिया! समणं भगवं महावीरं अभिवंदया ।
SUTRA 48. तए णं से कूणिए राया भंभसारपुत्ते बलवाउयस्स आंतए एयमहं सोच्चा णिसम्म हतुठ जाव हियए जेणेव अट्टणसाला तेणेव उवागच्छइ २ ता अट्टणसालं अणुप- 10 विसइ २ ता अणेगवायामजोग्गवग्गणवामद्दणमल्लजुद्धकरणेहिं संते परिस्संते सयपागसहस्सपाहिं सुगंधतेल्लमाइऍहि पीणणिज्जेहिं दप्पणिज्जेहिं मयाणिज्जेहिं विहणिज्जेहिं सव्विादयगायपल्हायणिज्जेहिं ऑब्भगेहिं अम्भिागए समाणे तेल्लचम्मसि पडिपुण्णपाणिपायसुउमालकोमलतलेहिं पुरिसेहिं छेए- 15 हिं दक्खेहिं पठेहिं कुसलेहिं मेहावीहिं निउणसिप्पोवगएहिं अभिगणपरिमद्दणुव्वलणकरणगुणणिम्माएहिं अहिसुहाए मंससुहाए तयासुहाए रोमसुहाए चउन्विहाए संबाहणाए संबाहिए समाणे अवगयखेयपरिस्समे अट्टणसालाओ पडिणिक्खमइ पडिणिक्खमित्ता जेणेव मज्जणघरे तेणेव उवागच्छइ 20 २ ता मज्जणघरं अणुपविसइ २ ता संमुत्तजालाउलाभिरामे विचित्तमाणिरयणकुट्टिमयले रमणिज्जे पहाणमंडवांस णाणामणिरयणभत्तिचित्तंसि हाणपीहंसि सुहाणसणे
१ A °सिक्के. २ L वियाई. ३ Not in L. ४ L°मादीहिं. ५ Not in A. ६ L अभंगहिं. ७ A पत्तोहिं. ८ B अम्भंगण. ९ Land B समत्त.
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४४
औपपातिकसूत्रम् [ Sut. 48सुद्धोदएहिं गंधोदएहिं पुप्फोदएहिं सुहोदएहिं पुणो कल्लाणगपवरमजणविहीए मजिए तत्थ कोउयसएहिं बहुविहेहिं कल्लाणगपवरमज्जणावसाणे पम्हलसुकुमालगंधकासाइयलूहियंगे
सरससुरहिगोसीसचंदणाणुलित्तगत्ते अहयसुमहग्यदूसरयणसु5 संधुए सुईमालावण्णगविलेवणे य आविद्धमाणसुवण्णे कप्पिय
हारद्धहारतिसरयपालंबपलंबमाणकडिसुत्तसुकपसोभे पिणद्धगेविजअंगुलिज्जगललियंगयललियकयाभरणे वरकडमताड़ियथंभियभुए अहियरूवसस्सिरीए मुहियपिंगलंगुलीए कुंडल
उज्जोवियाणणे मउडदिचसिरए हारोत्थयसुकयरइयवच्छे 10 पालंबपलंबमाणपडसुकयउत्तरिज्जे णाणामाणकणगरयणविम
लमहरिहणिउणोवियमिसिमिसंतविरइयसुसिलिठविसिठ्ठलआविद्धवीरवलए किं बहुणा कप्परुक्खए चेव अलंकियविभूसिए णरवई सकोरंटैमल्लदामेणं [अब्भपडलपिंगलुज्जलणं अ
विरलसमसहियचंदमंडलसमप्पभणं मंगलसयभात्तिच्छेयाचीत्त15 यखिंखिणिमणिहेमजालविरइयपरिगयरतकणगघंटियपयलिय
किणिकिणितसुइसुहसुमहुरसदालसोहिएणं सपयरवरमुत्तदामलं. बंतभूसणेणं नरिंदवामप्पमाणरुंदपरिमंडलेणं सीयायववायवरिसविसदोसनासणणं तमरयमलबहुलपडलधाडनपभाकरणं
उडुसुहसिवछायसमणुबद्धेणं वेरुलियदंडसज्जिएणं वइरामय20 वत्थिनिउणजोइयअठसहस्सवरकंचणसलागानम्मिएणं सुणिम्मलरययसुच्छएणं निउणोवियमिसिमिसंतमाणिरयणसूरमंडल. वितिमिरकरानिग्गयग्गपडिहयषुणरविपञ्चापडतचंचलामरिइकवयं विणिमुयंतणं सपाडदंडेणं घरिज्जमाणेणं आयवत्तेणं विरा
यंते] छत्तेणं धरिज्जमाणेणं चउचामरवालवीइयंगे [ चाहि 25 य पवरगिरिकुहरविवरणसमुइयनिरुवहयचमरपच्छिमसरीरसं
१L सुद्धो २ L कासाइ. ३ B सुरभि. ४ L and B पिणिद्धगेवेज्ज'. . A मुद्दिआ. B मुद्दिया. ६ A चार. ७ L कोरेंट. ८ Noted in L.
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Sut. 49-] औपपातिकसूत्रम्
४५ जायसंगयाहिं अमलियसियकमलविमलुज्जलियरययगिरिसिहरविमलससिकिरणसरिसकलघोयनिम्मलाहिं पवणाहयचवलललियतरङ्गहत्थनच्चंतबीइपसरियखीरोदगपवरसागरुप्पूरचंचलाहिं माणससरपरिसरपरिचियावासविसयवेसाहिं कणगगिरिसिहरसंसियाहिं ओवश्य उप्पइयतुरियचवलजइणसिग्घवेगाहिं 5 हंसवधूयाहिं चेव कालिए णाणामाणिकणगरयणविमलमहरिहतवणिज्जुज्जलविचित्तदण्डाहिं विल्लियाहिं नरवइसिरिसमुदयपगासणकरीहिं वरपट्टणुग्गयाहिं समिद्धरायकुलसेवियाहिं कालागुरुपवरकुन्दुरुकवरवण्णवासगन्धुदुयाभिरामाहिं सललियाहिं उभओपासं उक्खिप्पमाणाहिं चामराहिं कलिए सुह-10 सीयलवायवीइयंगे] मंगलजयसदकयालोए मजणघराओ पडिणिक्खमइ२त्ता अणेगगणनायगदंडनायगराईसरतलवरमाडंबियकोकुंबियइन्भसेठिसेणावइसत्यवाहदयसंधिवालसद्धिं संपरिबुडे धवलमहामेहाणग्गए इव गहगणदिप्पंतरिक्खतारागणाण मज्झे ससिव पिअदंसणे णरवई जेणेव बाहिरिया उवहाणसाला 15 जेणेव आभिसे के हत्थिरयणे तेणेव उवागच्छइ उवागच्छित्ता अंजणगिरिकूडसण्णिभं गयवई गरवई दुरूढे ॥
___SUTRA 49. तरु णं तस्स कूणियस्स रण्णो भंभसारपुत्तस्स आभिसेकं हत्थिरयणं दुरूढस्स समाणस्स तप्पढमयाए इमे अष्ट मंगलया पुरओ अहाणुपु-वीए संपठिया । तं जहाः- 20 सोत्थिय-सिरिवच्छ-णंदियावत्त-वद्धमाणग-भदासण-कलस-मच्छ-दप्पणा। तयाणंतरं च णं पुण्णकलसभिंगारं दिव्वा य छत्तपडागा सचामरा दंसणरइयआलोयदरिसणिज्जा वाउँद्धयविजयवेजयंती य सिया गगणतलमणु
१ Noted in L. २ B सोत्थिय'. ३ . दय.
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४६
__ औपपातिकसूत्रम् [Sut. 49लिहंती पुरओ अहाणुपुब्बीए संपठिया । तयाणंतरं च णं वेरुलियभिसंतविमलदंडं पलंबकोरंटमल्लदामोवसोभियं चंदमण्डलणिभं समृसियं विमलं आयवत्तं पवरं सीहासणं
वरमणिरयणपादपीढं सपाउयाजोयसमाउत्तं बहुकिंकरकम्मकर5 पुरिसपायत्तपरिक्खित्तं पुरओ अहाणुपुच्चीए संपडियं ।
तयाणंतरं च णं बहवे लॅहिग्गाहा कुंतग्गाहा चावग्गाहा चामरग्गाहा पासग्गाहा पोत्थयग्गाहा फलगग्गाहा पीढग्गाहा वीणग्गाहा कूवग्गाहा हँडप्पयग्गाहा पुरओ अहा
णुपुचीए संपडिया । तयाणंतरं च णं बहवे दंडिणो 10 मुंडिणो सिहंडिणो जडिणो पिच्छिणो हासकरा डमरकरा चाडुकरा वादकरा कंदप्पकरा दवकरा कोक्कइया किडेकरा य वायंता य गायंता य हसंता य णचंता य भौसंता य सावेंता य रक्खता य [कचित्-रवेता य]' आलोयं च
करेमाणा जैयसई पउंजमाणा पुरओ अहाणुपुबीए संपठिया। 15 "[संग्रहगाथाश्च क्वचित्ः- १ असिलठिकुंतचावे चामरपासे य फलगपोत्थे य।
वीणाकूयग्गाहे तत्तो य हडप्पगाहे य॥ २ दंडी मुंडिसिहंडी पिच्छी जाडणो य हासाकड्डा य ।
दवकारचडुकारा कंदस्यियकुक्कईगा य ।। 20 ३ गायंता वायंता नचंता तह हसंतहासेंता ।
सावेंता रावेंता आलोयजयं पउंजति ॥] तयाणंतरं च णं जच्चाणं तरमाल्लहायणाणं हरिमेलामउलमल्लियच्छाणं चंचुच्चियललिय पुलियचलचवलचंचलगईण लंघण
१ A सियविमल. २ A आयवत्तपवरं. ३ L सणवर ४ क्वचित्-दासीदास. किंकरकम्म° noted in L. ५ असिलठ्ठि noted in L. ६ A हडप्फ. ७ A पिंछिणो. ८ Not in L. He and B read कंदप्पिया. ९ A किट्टि. १० Lreads after this [हासेता य सासंता य]. ११ Noted in L. १२ A जय २ सइं. १३ Noted in L. १४ L notes also वरमलिभासणाणं. १५ B °मेल'. १६ A चुचुच्चिय.
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४७
Sut 50-]
औपपातिकसूत्रम् वग्गणधावणधोरणतिवईजइणसिक्खियगईणं ललंतलामगललायवरभूसणाणं मुहभंडगओचूलगथासंगअहिलाणचामरगण्डपरिमाण्डियकडीणं किंकरवरतरुणपरिग्गहियाणं अठसयं वरतुरगाणं पुरओ अहाणुपुव्वीर संपठियं । तयाणंतरं च णं ईसीदंताणं ईसीमत्ताणं ईसीतुंगाणं ईसीउच्छंगविसालधवल- 5 दंताणं कंचणकोसीपविहदंताणं कंचणमणिरयणभूसियाणं वरपुरिसारोहगसंपउत्ताणं अठसयं गयाणं पुरओ अहाणुपुवीए संपठियं । तयाणंतरं च णं सच्छत्ताणं सज्झयाणं सघंटाणं सपडागाणं सतोरणवराणं सणंदिघोसाणं सखिखिणीजालपाक्खित्ताणं हेमवयचित्ततिाणसकणगणिज्जुत्तदारुयाणं का-10 लायससुकयणेमिजंतकम्माणं सुसिलिहवत्तमंडलधुरोणं आइण्णवरतुरगसंपउत्ताणं कुसलनरच्छेयसारहिसुसंपग्गाहियाणं [ क्वचित् हेमजालगवक्खजालखिखिणीघंटजालपरिक्खित्ताणं]" बत्तीसतोणपरिमंडियाणं सकंकडवडेंसगाणं सचावसरपहरणावरणभरियजुद्धसज्जाणं अट्ठसयं रहाणं पुरओ 15 अहाणुपुत्वीए संपाठियं । तयाणंतरं च णं असिसत्तिकुंततोमरसूललउलभिंडिमालधणुपाणिसज्जं पायत्ताणीयं [संनद्धबद्धचम्मियकवयाणं उप्पीलियसरासणवाट्टियाणं पिणद्धगवेज्जविमलवरबद्धचिंधपत्ताणं गहियाउहप्पहरणाणं] पुरओ अहाणुपुन्वीए संपठियं ॥
SUTRA 50. तए णं से कूणिए राया हारोत्थयमुकयरइयवच्छे कुंडलउज्जोवियाणणे मउडादत्तसिरए णरसीहे परवई गरिंदे
१. तिवई. २ B जयण. ३ A and B उच्चूल'. ४ L notes also °थासगमिलाणचमरीगंडपरि'. ५ . 'तुरंगाणं. ६ Not in L. ७ L खिखिणि'. ८ B°जाला. ९ L notes also ससंविद्धचकमंडलधुराणं. १० Noted in L. ११ A कोत. १२
20
Noted in L.
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औपपातिकसूत्रम्
[ Sut. 51णरवसहे मणुयरायवसभकप्पे अभहियं रायतेयलच्छीए दिपमाणे हत्तिखंधवरगए सकोरंटमल्लदामणं छत्तण धरिज्जमाणेणं सेयवरचामराहिं उध्दुव्वमाणीहिं २ वेसमणे
चेव परवई अमरवइसण्णिभाए इडीए पहियकित्ती हयगय5 (रह) पवरजोहकालियाए चाउरांगणीए सेणाए समणु
गम्ममाणमग्गे जेणेव पुण्णभद्दे चेइए तेणेव पहारत्थं गमणाए ।
SUTRA 51.
तए णं तस्स कूणियस्स रण्णो भंभसारपुत्तस्स पुरओ महंआसा आसवरा उभओ पासिं णागा णागवरों 10 पिहो रहसंगल्लि ॥
SUTRA 52,
तए णं से कूणिए राया भंभसारपुत्ते अभुग्गयभिंगारे पग्गहियतालयंटे ऊसवियंसेयच्छत्ते पवीइयवालवीयणीए सविडीए सव्वजुतीएं सव्वबलेणं सव्वसमुदएणं
सव्वादरेणं सव्वविभूईए सव्वविभूसाए सव्वसंभमेणं [क15 चित-पगईहिं णायगेहिं तालायरेहिं सव्वोरोहेहिं] सव्वपुप्फगंध
मल्लीलंकारेणं सव्वतुडियसहसण्णिणाएणं महया इडीए महया जुईए महया बलेणं महया समुदएणं महया वरतुडियजमगसमगप्पवाइएणं संखपणवपडहभेरिझल्लीरखरमुहिहुडुक्कमुरवमुअंगदुंदुहिणिग्घोसणाइयरवणं चपाए णयरीए मज्झं 20 मज्झेणं णिग्गच्छइ ॥
१B अभिहियं. २ A वेसमणो. ३ Not in L. ४ A पहारित्थ. ५ A आसधरा ६ णागधरा. ७ A तालि. ८ A उच्छिय. ९ A जुत्तीए. १० Noted in L. ११ 1. notes also °पुप्फवत्थगंधमल्लालंकाराविभूसाए. - मुइंग.'
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४९
Sut. 53-1 औपपातिकसूत्रम्
SUTRA 53. तए णं तस्स कूणियस्स रण्णो चंपाए णयरीए मझंमज्झेणं निग्गच्छमाणस्स बहवे अत्यत्थिया कामत्थिया भोगत्थिया लाभात्थिया किंघिसिया कारोडियां कारवाहिया संखिया चकिया नंगलिया मुहमंगलिया बद्धमाणा पूँसमाणया खंडियगणा ताहिं इटाहिं कंताहिं पियाहिं म- 5 गुण्णाहिं मणामाहिं मेणाभिरामाहि [वाचनान्तरे-उरालाहिं कल्लाणाहिं सिवाहिं धण्णाहिं मंगल्लाहिं सस्सिरीयाहि हिययगमाणिज्जाहिं हिययपल्हायणिज्जाहि मियमहुरगंभीरगाहियाहिं अहसइयाहिं अपुणरुत्ताहिं ] हिययगमणिज्जाहिं वग्गूहि जयविजयमंगलसएहिं अणवरयं अभिणंदंता य अभि- 10 त्थुणता य एवं वयासी-जय जय गंदा! जय जय भद्दा! भई ते अजियं जिणाहि जियं (च) पालेहि जियमज्झे वसाहि । इंदो इव देवाणं चमरो इव असुराणं धरणो इव ना. गाणं चंदो इव ताराणं भरहो इव मणुयाणं बहूई वासाई बहूई वाससयाई बहूई वाससहस्साई ( बहूई वास- 15 सयसहस्साई) अणहसमग्गो हतुट्टो परमाउं पालयाहि इंठजणसंपरिवुडो चंपाए णयरीए अण्णसिं च बहूर्ण गामागरणयरखेडकब्बडदोणमुहमडंबपट्टणआसमनिगमसंवाहसनिवेसाणं आहेवच्चं पोरेवच्चं सामित्तं भट्टित्तं महत्तरगत्तं आणाईसरसेणावच्चं कारेमाणे पालेमाणे महयाहयनीयवा- 20 इयतंतीतलतालतुडियघण अंगपडुप्पवाइयरवेणं विउलाई भोगभोगाई भुंजमाणे विहराहित्ति कट्ट जय २ सदं पउजति ।
.www.
१ A चंपानगरिं. २ A किब्बि. ३ A. करोडिया. ४ A पुस्समाणवा. ५ A मणो' ६ Noted in L. ७ L. B. पालयाहि. ८ Not in L. ९ B. ह©तुठ्ठजण, १० B. मुइंग. ११ - माणो. १२ B. पउंजइ.
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औपपातिकसूत्रम् [ Sut. 54
SUTRA 54. . तए णं से कृणिए राया भंभसारपुत्ते नयणमालासहस्सेहिं पेच्छिज्जमाणे २ हिययमालासहस्सेहिं अभिणंदिज्जमाणे २ [कचित् उन्नइज्जमाणे ] मणोरहमालासहस्सेहि
विच्छिप्पमाणे २ वयणमालासहस्सेहिं अभिथुव्वमाणे २ 5 कंति (दिव्व ) सोहग्गगुणेहिं पत्थिज्जमाणे २ बहूणं नर
नारिसहस्साणं दाहिणहत्थेणं अंजलिमालासहस्साई पडिच्छमाणे २ मंजुमंजुणा घोसणं पडिबुज्झमाणे २ भवणपतिसहस्साई समइच्छमाणे २ [ वाचनान्तरे-तंतीतलतालतुडि
यगीयवाइयरवेणं महुरेणं मणहरेणं जयसद्दघोसविसएणं 10 मंजुमंजुणा घोसेणं अपाडिबुज्झमाणे २ कंदरगिरिविवरकुह
रगिरिवरपासाद<षणभवणदेवकुलसिंघाडगतिगचच्चरचउकआरामुज्जाणकाणणसभप्पवप्पदेसभागे पडिंसुयासयसहस्ससंकुलं करेंते यहोसियहत्थिगलगुलाइयरहघणघणसद्दमी
सएणं महया कलकलरवेण य जणस्स महुरेणं पूरयंते 15 सुगंधवरकुसुमचुण्णउविद्धवासरेणुकविलं नभं करते
कालागुरुकुंदुरुक्कतुरुक्कधूवनिवहेणं जीवलोगमिव वासयंते समंतओखुभियचक्कवालं पउरजणबालवुड्ढयपमुइयतुरियपहावियविउलाउलबोलबहुलं नभं करते] चंपाए नयरीए मज्झं
मज्झेणं निग्गच्छइ २ ता जेणेव पुण्णभद्दे चेइए तेणेव उ20 वागच्छइ २ ता समणस्स भगवओ महावीरस्स अदूर
सामंते छत्ताईए तित्थयराइसेसे पासइ पासित्ता आभिसे. कं हत्थिरयणं ठवेइ ठवित्ता आभिसेकाओ हत्थिरयणाओ पच्चोरुहइ २ ता अवहट्ट पंच रायकउहाई, तं जहा-खग्गं छत्तं उप्फेसं वाहणाओ वालवीय॑णिं जेणेव समणे भगवं
१L. कोणिए. २ Read in A. B. L. पिच्छि'. ३ Noted in L. ४ Not in A.५ L पच्छिज्ज. ६ L. अपडिबज्झमाणे.७ Noted in L. ८ A. 'वीअणं. B. वीतणिजं.
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Sut. 55-]
औपपातिकसूत्रम् महावीरे तेणेव उवागच्छइ उवागच्छित्ता समणं भगवं महावीरं पंचविहणं अभिगमेणं अभिगच्छइ । तं जहा-१सचि त्ताणं दव्वाणं विओसरणयाए २ अचित्ताणं दव्वाणं अविओसरणयाए ३ एगसाडियं उत्तरासंगकरणेणं ४ चक्खुप्फासे अंजलिपग्गहेणं [हत्थिखंधविभणयाए] ५ मणसो 5 एगत्तभावकरणेणं समणं भगवं महावीरं तिक्खुत्तो आदाहिणपयाहिणं करेइ २ त्ता वंदइ नमसइ २ ता तिविहाए पज्जुवासणयाँए पज्जुवासइ, तं जहाः-काइयाए वाइयाए माणसियाए । काइयाए-ताव संकुइयग्गहत्थपाए सुस्सूसमाणे णमंसमाणे अभिमुहे विणएणं पंजलिउडे पज्जु- 10 वासइ । वाइयाए-जं जं भगवं वागरेइ एवमेयं भंते! तहमेयं भंते ! अवितहमेयं भंते! असंदिद्धमेयं भंते ! इच्छियमेयं भंते ! पडिच्छियमेयं भंते ! इच्छियपडिच्छियमेयं भंते! से जहेयं तुम्भे वदह अपडिकूलमाणे पज्जुवासइ । माणसियाए-महयासंवेग जणइत्ता तिव्वधम्माणुरागरत्ते पज्जुवासई ॥ . . 15
SUTRA. 55.
तए णं ताओ सुभद्दप्पमुहाओ देवीओ अंतोअंतेउरंसि हायाओ जाव पायच्छित्ताओ सव्वालंकारविभूसिया
ओ [ वाचनान्तरे-वाहुयसुभगसोवत्थियवद्धमाणगपूसमाणगजयविजयमंगलसएहिं अभिथुव्वमाणाओ कप्पाछेयायरियरइयसिरसाओ महयागंघद्धणिं मुयंतीओ ] 20 बहूहिं खुजाहिं चिलाईहिं वामणीहिं वडभीहिं. बब्बरीहिं पंसियाहिं जोणियाहिं पल्हवियाहिं ईसिणियाहिं चारुई
१L करणेणं. २ noted in L.३ B. मणसा. ४ B. एगत्तीभाव. ५ A वासणाए. ६ L. B. कुलेमाणे. ७ क्वचितू-धारिणी° noted in L. ८ Noted in L. ९ A. चेलाहि १० A पयाउसियाहिं. ११ A.B. पण्हवि. १२ A. इसिगिणीआहिं. १३ A. वासि.
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औपपातिकसूत्रम् [Sut. 55णियाहिं लासियाहिं लउसियाहिं सिंहलीहिं दमिलीहिं आरबीहिं पुलिंदीहिं पक्कणीहिं बहलीहिं मरुंडीहिं सबरीहिं' पारसीहिं णाणादेसीहि विदेसपरिमंडियाहिं इंगियचिंतियपत्थियवियाणि
याहिं सदेसणेवथंग्गहियवेसाहिं चेडियाचकवालवरिसधेरक5 चुइज्जमहत्तरवंदपरिक्खित्ताओ अंतेउराओ णिग्गच्छंति २
त्ता जेणेव पाडियकजाणाई तेणेव उवागच्छंति उवागच्छित्ता पाडियकपाडियकाई जत्ताभिमुहाई जुत्ताई जाणाई दुरूहति दुरूहित्ता णियगपरियालसद्धिं संपरिवुडाओ चंपाए
णयरीए मज्झमज्झेणं णिग्गच्छति णिग्गच्छित्ता जेणेव पु10 ण्णभद्दे चएइ तेणेव उवागच्छंति उवागच्छित्ता समणस्स
भगवओ महावीरस्स अदूरसामंते छत्तादीए तित्थयराइसेसे पासंति पासित्ता पाडियकपाडियकाई जाणाई ठवेंति ठवित्ता जाणेहितो पच्चोरुहंति २ ता बहूहिं खुजाहिं जाव परि
क्खित्ताओ जेणेव समणे. भगवं महावीरे तेणेव उवाग15 च्छंति २ ता समणं भगवं महावीरं पंचविहेणं अभिग
मेणं अभिगच्छति । तं जहा-१ सचित्ताणं दव्वाणं विओसरणयाए २ अचित्ताणं दव्वाणं अविओसरणयाए ३ विणओणयाए गायलहीए ४ चक्खुप्फासे अंजलिपग्गहेणं ५मणसो एंगत्तिभावकरणणं समणं भगवं महावीरं तिक्खुत्तो आदा20 हिणपयाहिणं करोंत २ ता वंदति णमंसंति वंदित्ता
णमंसित्ता कूणियरायं पुरओकट्ट ठिइयाओ चेव सपरिवाराओ अभिमुहाओ विणएणं पंजलिकडाओ पज्जुवासंति।
SUTRA. 56. तए णं समणे भगवं महावीरे कूणियस्स रण्णो भं___ १ A. B. मुरुंडीहिं. २ A सबरियाहिं. ३ A. देसीविदेस. ४°पत्थियमणोगय noted in L. ५ L वत्थगहिय. ६L. वरिसवर.७ A°त्तरग. ८ A.सच्चिताणं. ९ A अच्चिताणं. १० A एगत्तकरणेणं. ११ A ° उडाओ.
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Sut 56- ]
औपपातिकसूत्रम्
भसारपुत्तस्स्स सुभदापमुहाणं देवीणं तीसे य महतिमहालियाए परिसाएं इसिपरिसाए मुणिपरिसाए जइपरिसाए देवपरिसाए अगसयाए अणेगसयवंदाए अणेगसयवंदपरिवारांए ओवले अइबले महब्बले अपरिमियबलवीरयतेयमाहपकांतिजुत्ते सौरयणवत्थणियम हुरगंभीर कोंचणि- 5 ग्घोस दुभिस्सरे उरे वित्थडाए कंठे वट्टियाए सिरे समाइण्णाए अगर लाए अमम्मणाए सुव्वतक्खर साण्णवाइयाए पुण्णरत्ताए सब्वभासाणुगामिणीए सरस्सईए जोयणणीहारिणा सरेणं अद्धमागहाए भासाए भासइ अरिहा धम्मं परिकहेइ । तेसिं सव्वेसिं आरियमणारियाणं अगिलाए धम्मं 10 आइक्खर, सावि य णं अद्धमागहा भासा तेसिं सव्वेसिं आरियमणारियाणं अप्पणी सभासाए परिणामेण परिणम | तं जहा - अत्थि लोए अस्थि अलोए एवं जीवा अजीवा बंधे मोक्खे पुणे पावे आसवे संवरे वेयणा णिज्जरा अरिहंता चकवट्टी बलदेवा वासुदेवा नरगा णेरइया 15 तिरिक्खजोणिया तिरिक्खजोणिणीओ माया पिया रिस - ओ देवा देवलोया सिद्धी सिद्धा परिणिव्वाणे परिणिव्या, अस्थि १ पाणाइवाए २ मुसावाए ३ अदिण्णादाणे ४ मेहुणे ५ परिग्गहे अत्थि ६ कोहे ७ माणे ८ माया ९ लोभे अस्थि जाव [ यावत्करणादिदं दृश्यम् - १० पेज्जे 20 ११ दोसे १२ कलहे १३ अब्भक्खाणे १४ पेसुण्णे १५ परपरिवाए १६ अरइरई १७ मायामोसे ] १८ मिच्छादंसणसल्ले । अस्थि पाणाइवायवेरमणे मुसावायवेरमणे अदिण्णादाण
५३
१ Not in L. २ L परियालाए. ३ L विरिय ४. सरय. ५ L. B. कुंच. ६ A क्वचित् - फुडविसयमहुरगंभीरगाहियाए सव्वक्खरसग्णिवाइयाए noted in I.. ७LB. अदत्ता.
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५४ . औपपातिकसूत्रम्
[ Sut. 56वेरमणे मेहुणवेरमणे परिग्गहवेरमणे जाव मिच्छादसणसल्लविवेगे सव्वं अत्थिभावं अत्थित्ति वयइ, सव्वं णत्यिभावं णस्थित्ति वयइ, सुचिण्णा कम्मा सुचिण्णफला भ
वंति, दुचिण्णा कम्मा दुचिण्णफला भवंति, फुसइ पुण्ण5 पावे, पञ्चायति जीवा, सफले कल्लाणपावए। धम्ममाइ
क्खइ:-इणमेव णिग्गंथे पावयणे सच्चे अणुत्तरे केलिए संसुद्धे पडिपुण्णे णेयाउए सल्लकत्तणे सिद्धिमग्गे मुत्तिमग्गे णिव्याणमग्गे णिज्जाणमग्गे अवितहमविसंधि सव्वदुक्खप्पहीणमग्गे ईहठिया जीवा सिझंति बुझंति मुच्चंति परि10 णिव्यायंति सम्बदुक्खाणमंतं करेंति । एगच्चा पुण एगे
भयंतारो पुवकम्मावससेणं अण्णयरेसु देवलोएसु देवत्ताए उववत्तारो भवंति, महडिएसु जाव महासुक्खेसु दूरंगइएसु चिरहिईएसु । ते णं तत्थ देवा भवंति महिडिया जाव चिरहिइया हारविराइयवच्छा जावं [ यावत्करणादिदं दृश्यम्15 कडयतुडियर्थभियभुया अंगयकुंडलगंडयलकप्णपीढधारी विचि
त्तहत्थाभरणा दिव्वेणं संघाएणं दिव्वेणं संठाणेणं दिव्वाए इडीए दिव्याए जुईए दिव्वाए पभाए दिव्वाए छायाए दिव्याए अच्चीए दिव्वणं तेएणं दिव्वाए लेसाए दस दिसाओ उज्जोवेमाणा ] पभासमाणा कप्पोवगा गति20 कल्लाणा आगमेसिभद्दा जावं पडिरूवा । तमाइक्खइ एवं खलु चरहिं ठाणेहिं जीवा णेरइयत्ताए कम्मं पक
ति, णेरइयत्ताए कम्मं पकरेत्ता गेरइएसु उववज्जांत, तं जहा–१ महारंभयाए २ महापरिग्गयाए ३ पंचिंदियवहेणं ४ कुणिमाहारेणं, एवं एएणं अभिलावणं। तिरिक्खजोणि
१ A. केवलए. B. reads केवलिसं. २B. दुक्खप्पहाणे मग्गे. ३L.इत्थं.४ L भवंतारो ५ L महि.६ Noted in L. ७ L पभासे. ८ यावत्करणादिदं दृश्यते-पासाईया दरिसणिज्जा अभिरूवा.
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Sut. -57 ]
औपपातिकसूत्रम् एसु-१ माइल्लयाए णियडिल्लयाए २ अलियवयणेणं ३ उक्कंचणयाए ४ वंचणयाए । मणुस्सेसु-१ पगइभद्दयाए २ पगइविणीययाए ३ साणुकोसयाए ४ अमच्छरिययाए । देवेसु १ सरागसंजमेणं २ संजमासंजमेणं ३ अकामाणिजराए ४ बालतबोकम्मेणं, तमाइक्खइ ।
जह णरगा गम्मंती जे परगा जा य वेयणा गरए । सारीरमाणुसाइं दुक्खाई तिरिक्खजोणीए ॥१॥ माणुस्सं च अणिच्चं वाहिजरामरणवेयणापउरं । देवे य देवलोए देविड़ेि देवसोक्खाई ॥२॥ णरगं तिरिक्खजोणिं माणुसभावं च देवलोगं च। 10 सिद्ध अ सिद्धवसहिं छज्जीवणियं परिकहेइ ॥३॥ जह जीवा बझंती मुच्चंती जह य संकिस्सिंति । जह दुक्खाणं अंतं करेंति केई अपडिबद्धा ॥४॥ अट्टा अट्टियचित्ता जह जीवा दुक्खसागरमुवति । जह वेरग्गमुवगया कम्मसमुग्गं विहाडेंति ॥५॥ 15 जह रागेण कडाणं कम्माणं पावगों फलविवागो । जह य परिहीणकम्मा सिद्धा सिद्धालयमुवेति ॥६॥ [एवं खलु जीवा निस्सीला...]
SUTRA 57.
तमेव धम्मं दुविहं आइक्खइ । तं जहा-अगारधम्मं अणगारधम्मं च । अणगारधम्मो ताव-इह खलु सव्वओ सव्व- 20 ताए मुंडे भवित्ता अगाराओ अणगारियं पव्वइयस्स सव्वाओ पाणाइवायाओ वेरमणं मुसावायअदिण्णादाण-मेहुण
१ देवढूिंढ. २ L ज.३ A °ति. ४ A परि. B reads तह य संकिलेसन्ति. ५ A. अट्टदुहट्टिय° ६ A उर्विति. ७ L पावतो. ८ Noted in L. ९ A पव्वयइ.
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औपपातिकसूत्रम् [Sut. 58परिग्गह-राईभोयणाओ वेरमणं । अयमाउसो अणगारसामाइए धम्मे पण्णत्ते, एयस्स धम्मस्स सिक्खाए उवहिए णिग्गंथे वा णिग्गंथी वा विहरमाणे आणाए आराहए भवति ।
अगारधम्म दुवालसविहं आइक्खइ, तं जहाः--१ पंच 5 अणुव्वयाई २ तिण्णि गुणव्वयाई, ३ चत्तारि सिक्खा
वयाई । पंच अणुव्वयाई, तं जहा- १ थूलाओ पाणाइवायाओ वेरमणं २ थूलाओ मुसावायाओ वेरमणं ३ थूलाओ अदिण्णादाणाओ वेरमणं ४ सदारसंतोसे ५ इच्छा10 परिमाणे । तिण्णि गुणव्वयाई तं जहा-६ अणत्थदंडवेरमणं
७ दिसिव्वयं ८ उवभोगपारभोगपरिमाणं । चत्तारि सिक्खावया, तं जहा-९सामाइयं १० देसावयासियं ११ पोसहोवववासे १२ अतिहिसंविभागे, अपच्छिमा मारणंतिया संलेहणाझूसणाराहणा। अयमाउसो! अगारसामाइए धम्मे प15 ण्णत्ते एयस्स धम्मस्स सिक्खाए उवठिए समणोवासए वा स. मणोवासिया वा विहरमाणे आणाए आराहए भवई ।
___SUTRA 58. तए णं सा महतिमहालिया मणूसपरिसा समणस्स भगवओ महावीरस्स अतिए धम्मं सोचा णिसम्म हतुट्ठ
जाव हियया उठाए उठेइ, २ त्ता समणं भगवं महावीरं ति20 क्खुत्तो आयाहिणं पयाहिणं करेइ २ ता वंदइ णमंसह
वंदित्ता णमंसित्ता अत्थेगइया मुंडे भवित्ता अगाराओ अंणगारियं पव्वइया, अत्थेगइया पंचाणुव्वइयं सत्तसिलेखावइयं दुवालसविहं गिहिधम्म पडिवण्णा ॥
FA सामइए. २ A अतिहिसंयअस्स विभागे. ३ A °जूसणा. ४ Read in B. ५ मनपारसा noted in L. & read in B. ६ L. मुंडा. ७ B. पडिवत्ता.
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औपपातिकसूत्रम्
SUTRA. 59.
अवसेसा णं परिसा समणं भगवं महावीरं बंदर णसर वंदित्ता णमंसिंत्ता एवं वयासी " सुअक्खाए ते भंते! निग्गंथे पावयणे एवं सुपण्णत्ते सुभासिए सुविणीए सुभाविए अणुत्तरे ते भंते! निग्गंथे पावयणे, धम्मं णं आइक्खमाणा तुभे उवसमं आइक्खह, उब 5 समं आइक्खमाणा विवेगं आइक्खह, विवेगं आइक्खमाणा वेरमणं आइक्खद, वेरमणं आइक्खमाणा अकरणं पावाणं कम्माणं आइक्खह, णत्थि णं अण्णे केइ समणे वा माहणे वा जे एरिसं धम्ममाइक्खित्तए, किमंग पुण एतो उत्तरतरं ?" एवं वैदित्ता जामेव दिसं पाउ- 10 ब्भूया तामेव दिसं पडिगया ||
Sat, 59-J
५७
SUTRA 60.
तए णं से कूणिए राया भंभसारपुत्ते समणस्स भगवओ महावीरस्स अंतिए धम्मं सोचा णिसम्म हहतुट्ठ जाव हियए उट्ठाए उट्ठेइ २ त्ता समणं भगवं महावीरं तिक्खुतो आयाहिणं पयाहिणं करेइ २ ता बंद णमंसइ वं- 15 दित्ता णमंसित्ता एवं वयासी - " सुयक्खाए ते भंते ! निग्गन्थे पावयणे जाव किमंग पुण एत्तो उत्तरतरं १,” एवं वदित्ता जामेव दिसं पाउब्भूए तामेव दिसं पडिगए ॥
SUTRA 61.
ar णं ताओ सुभद्दापमुहाओ देवीओ समणस्स
१. धम्मे. २ Not in L. ३ B खित्ताए ४ A इत्तो. ५ I. वंदित्ता.
6
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औपपातिकसूत्रम् [ Sut. 61वओ महावीरस्स अंतिए धम्म सोच्चा णिसम्म हतुह जाव हिययाओ उठाए उठेति २ ता समणं भगवं महावीरं तिक्खुत्तो आयाहिणं पयाहिणं करेंति २ ता वं
दंति णमंसति वंदित्ता णमंसित्ता एवं वयासी-सुयक्खाए 5 णं भंते ! निग्गंथे पावयणे जाव किमंग पुण एत्तो
उत्तरतरं १," एवं वदित्ता जामेव दिसि पाउन्भयाओ तामेव दिसि पडिगयाओ।
समोसरणं समत्तं ॥
aaaamanname
१L.ते. २ L. दिसं.
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Sut 62-]
औपपातिकसूत्रम्
SUTRA 62. तेणं कालेणं तेणं समएणं समणस्स भगवओ महावीरस्स जेठे अंतेवासी इंदभूई णामं अणगारे गोयमगोत्तेणं सत्तुस्सेहे समचउरंससंठाणसंठिए वइररिसंहणारायसंघयणे कणगपुलगणिघसपम्हगोरे उग्गतवे दित्ततवे तत्ततवे महातवे घोरतवे उराले घोरे घोग्गुणे घोरत- 5 बस्सी घोरबंभचेरवासी उच्छूढसरीरे संखित्तविउलतेअलेस्से समणस्स भगवओ महावीरस्स अदूरसामंते उजाणू अहोसिरे झाणकोहोवगए संजमेणं तवसा अप्पाणं भावेमाणे विहरह।
SUTRA 63. तए णं से भगवं गोयमे जायसड़े जायसंसए जायकोऊहल्ले उप्पण्णसड़े उप्पण्णसंसए उप्पण्णकोऊहल्ले 10 संजायसड़े संजायसंसए संजायकोऊहल्ले समुप्पण्णसड़े समुप्पण्णसंसए समुप्पण्णकोऊहल्ले उठाए उठेइ २त्ता जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छइ २ त्ता समणं भगवं महावीरं तिक्खुत्तो आयाहिणं पयाहिणं करेइ तिक्खुत्तो आयाहिणं पयाहिणं करेत्ता वंदइ णमंसइ २ ता 15 नचासण्णे नाइदुरे सुस्सूसमाणे णमंसमाणे अभिमुहे विणएणं पंजलिउडे पज्जुवासमाणे एवं वयासी ।
SUTRA 64. जीवे णं भंते ! असंजए अविरए अप्पडिहयपच्चक्खा.
१०.सगोत्तेणं. २A. वहरोसह. ३ A. निग्घस.
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औपपातिकसूत्रम्
[Sut. 69
यपावकम्मे सकिरिए असंवुडे एगंतदंडे एगंतबाले एगंतसुत्ते पावकम्मं अण्डाइ १-हंता अण्हाइ ।
SUTRA 65. जीवे णं भंते ! असंजए जाव एगंतसुत्ते मोहणिजं पावकम्मं अण्हाइ ?-हंता अण्हाइ ।
___SUTRA 66. 5 जीवे ण भंते ! मोहणिज्ज कम्मं वेदेमाणे किं मो
हाणज्ज कम्मं बंधइ ? वेयणिज्जं कम्मं बंधइ ? गोयमा । मोहणिज्जं पि कम्मं बंधइ वेयणिज्जं पि कम्मं बंधइ, णण्णत्य चरिममोहणिज्जं कम्मं वेदेमाणे वेअणिज्ज कम्म बंधइ णो मोहणिज्ज कम्मं बंधइ ॥
SOTRA 67. 10 जीवे णं भंते ! असंजए जाव एगंतसुत्ते उस्सण्णं तसपाणघाई कालमासे कालं किच्चा 'णेरइएसु उववज्जइ १, हंता उववजइ॥ .
SUTRA 68. जीवे णं भंते ! असंजए अविरए अप्पडिहयपच्चक्खायपावकम्मे इओ चुए पेच्च देवे सिया? गोयमा ! 15 अत्थेगइया देवे सिया अत्थेगइया णो देवे सिया॥
___ Not in L. २ A. ओसण्णतस. ३ A. णिरइएस. ४ A. विज्जंति. ५ L. अत्थेगइए.
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Sut 70-]
औपपातिकसूत्रम् SUTRA 69.
से केणठेणं भंते ! एवं वुच्चइ-अत्थेगइया देवे सिया अत्थेगइया णो देवे सिया ? गोयमा !, जे इमे जीवा गामागरणयराणगमरायहाणिखेडकब्बडमडंबदोणमुहपट्टणांगरसंबाइसण्णिवेसेसु अकामतण्हाए अकामछुहाए अकामबंभचरेवासेणं अकामअण्हाणगसीयायवदंसमसगसेयजल्लमेलपंकपरिता- 5 वणं अप्पतरो वा भुज्जतरो वा कालं अप्पाणं परिकिलेसंति अप्पतरो वा भुज्जतरो वा [कालं अप्पाणं परिकिलेसित्ता ] कालमासे कालं किच्चा अण्णयरेषु वाणमंतरेसु देवलोएसु देवत्ताए उववत्तारो भवंति, तहिं तेसिं गई तहिं तोस ठिई तहिं तेसिं उववाए पण्णत्ते । तेसि 10 णं भंते ! देवाणं केवइयं कालं ठिई पण्णत्ता ? गोयमा, दसवाससहस्साई ठिई पप्णत्ता, आत्थ णं भंते ! तेसिं देवाणं इडी इ वा जुई इ वा जसे इ वा बले इ वा वीरिए इ वा पुरिसकारपरक्कमे इ वा ? हंता आत्थि। ते णं भंते ! देवा परलोगस्सआराहगा ? णो इणठे समठे ५॥ 15
SUTRA 70.
से में इमे गामागरणयरणिगमरायहाणिखेडकब्बडमडंबदोणमुहपट्टणागरसंबाइसण्णिवेसेसु मणुया भवंति, तं जहाअंडबद्धगा णिअलबद्धगा हडिबद्धगा चारगबद्धगा हत्थछिण्णगा पायछिण्णगा कण्णछिण्णगा नक्कछिण्णगा
१ A. ' पट्टणासम. २ A. मल्ल. ३ not in L. ४.. तेहिं. ५A, परिकमे. ६ L. सेज्जे. ७ B° छत्तागा.
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औपपातिकसूत्रम्
[Sut. 70
ओट्टछिण्णगा जिन्भछिणगा जिन्भछिण्णगा सीसछिण्णगा मुखछिण्णगा मज्झछिण्णगा वहकच्छेछिण्णगा हियउप्पाडियगा णयणुष्पाडियगा दसणुष्पाडियगा वसणुष्पाडियगा गेवछिण्णगा तंडुलछिण्णगा कागणिमंसक्खावियेगा ओलं 5 बियगा लंबियगा घंसियगा घोलियगा फॉलियगा पीलियगा सूलाइयगा सूलभिण्णगा खारवत्तिया वज्झबत्तिया सीहपुच्छियगा दवग्गिदहूँगा पंकोसण्णगा पंके खुत्तगा वलयमयगा वसद्रुमयगा णियाणमयगा अंतोसल्लमयगा गिरिप्रडियगा तरुपडियगा मरुपडियगा गिरिपक्खंदोलंगा 10 तरुपक्खंदोलगा मरुपेक्खंदोलगा जलपवेसी" [ जळर्णपवेसिका ] विसभक्खियगा सत्थोवाडियगा वेहाणसिया गे
92
पगा कंतारमयगा दुब्भिक्खमयगा असंकिलिपरिणामा तं" कालमासे कालं किच्चा अण्णयरेसु वाणमंतरेसु देवलोएस देवत्ताए उववत्तारो भवति, तर्हि तेसिं गई तहिं 15 तेसिं ठिई तर्हि तेर्सि उववाए पण्णत्ते । तेसि णं भंते ! देवाणं केवइयं काळं ठिई पण्णत्ता ? गोयमा ! बारसवाससहस्साई ठिई पण्णत्ता ! अत्थि णं भंते ! तो देवाणं हड्डी इ वा जुई इ वा जसे इ वा बले इ वावीरिए इ वा पुरिसकारपरिकमे इ वा ? हंता अस्थि । ते 20 णं भंते! देवा परलोगस्सआराहगा ? णो इट्ठे समठ्ठे ॥
६२
१ L. reads 'murava
probably a misreading for 'mukha', २ A. वेकच्छ ३ not in IL. ४ L तंदुल ५ A क्खा इयया, ६ A फाडिया . B फोडियया. ७ A. दडिगा. ८ A° दोलिया, B° दोलया. ९ not in L. १० A पवेसिका ११ not in L. but read in Aand B. १२ A. गिद्धपिटका. १३ A ते.
१०
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Sut. -72] औपपातिकसूत्रम्
SUTRA 71. से जे इमे गामागर जाव संनिवेसेसु मणुया भवंति तं जहा-पगइभद्दगा पगइउवसंता पगइपतणुकोहमाणमायालोहा मिउमद्दवसंपण्णा अल्लीणा [कचित् भद्दगा] विणीया अम्मापिउसुस्सूसगा अम्मापिईणं अणइकमाणिज्जवयणा अप्पिच्छा 5 अप्पारंभा अप्पपरिग्गहा अप्पेणं आरंभेणं अपेणं समारंभेणं अप्पेणं आरंभसमारंभेणं वित्तिं कप्पेमाणा बहूई वासाई आउयं पालेंति पालित्ता कालमासे कालं किच्चा अण्णयरेसु वाणमंतरेसु तं चेव सव्वं णवरं ठिई चउद्दसवाससहस्साई।
10 ।
SUTRA 72.
से जाओ इमाओ गामागर जाव संनिवेसेसु इत्थियाओ भवंति, तं जहा-अंतोअंतेउरियाओ गयपइयाओ मयपइयाओ बालविहवाओ छड्डियल्लियाओ माइरक्खियाओ पियरक्खियाओ भायरक्खियाओ पइरक्खियाँओ कुलघररक्खियाओ ससुरकुलरक्खियाओ [क्वचित्-मित्तनाइ- 15 नियगसंबंधिरक्खियाओ] परूढण केसकक्खरोमाओ ववगयध्वपुप्फगंधमल्लालंकाराओ अण्हाणगसेयजल्लमलपंकपरितावियाओ ववगयखीरदहिणवणीयसप्पितेल्लगुललोणमहुमज्जमंसपरिचत्तकयाहाराओ अप्पिच्छाओ अप्पारंभाओ अप्पपरिग्गहाओ अप्पेणं आरंभेणं अप्पेणं समारंभेणं अपेणं 20
१.तणु. २ Noted in L.३ L. बहु वासाइं. ४ A. सहस्सा. ५ . से ज्जाओ. ६ L. पुरियाओ. ७ L. भाति ८ Not in A. ९ Noted in L. १० A °णहमंस-, notes also. केसमंसुरोमाओ.
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औपपातिकसूत्रम्
[ Sut. 74
आरंभसमारंभेणं वित्ति कप्पेमाणीओ अकामबंभचेरवासेणं तामेव पइसेज्जं णाइक्कमंति, ताओ णं इत्थियाओ एयारूवेणं विहारेणं विहरमाणीओ बहूई वासाई सेसं तं चेव जाव चउसंहिं वाससहस्साई ठिई पण्णत्ता ॥
SUTRA 73. 5 से जे इमे गामागर जाव सनिवसेसु मणुया भवंति, तं
जहा-दगबिइयां दगतइयाँ दगसत्तमा दगएकारसमा गोय. मगोव्वइयगिहिधम्मधम्मचिंतगअविरुद्धविरुद्धवुडसावगप्पभितयो तोस णं मणुयाणं णो कप्पति इमाओ नव
रसविगईओ आहारत्तएँ, तं जहा-खीरं दहिं णवणीयं 10 सप्पिं तेल्लं फाणियं महुँ मज्जं मंसं, णो अँण्णत्थ एकाए सरिसवविगईए, ते णं मणुया अप्पिच्छा तं चेव सव्वं णवरं चउरासीइं वाससहस्साई ठिई पण्णत्ता ९।
SUTRA 74. से जे इमे गंगाकूलगवाणपत्था तावसा भवंति, तं जहाहात्तिया पोत्तिया कोत्तिया जण्णई सडई वॉलई हुंबउठा 15 दंतुक्खलिया उम्मज्जगा सम्मज्जगा निमज्जगा संपक्खाला
दक्षिणकूला उत्तरकूलगा संखधमगा कूलधमगा मिगलुद्धगा हत्थितावसा उदंडगा दिसापोक्खिणो वाकवासिणो अंबुवासिणो वेलवासिणो जलवासिणो रुक्खमूलिया अंबुभाक्खणो
वाउभक्खिणो सेवालभक्खिणो मूलाहारा कंदाहारा तयाहारा 20 पत्ताहारा पुप्फाहारा बीयाहारा परिसडियकंदमूलतयपत्त
१सट्टि. २ B. दगबीया. ३ B.'ततीया. ४ A. °रित्तिए. ५ B. कप्पइ. ६ A. णण्णत्थ, ७A. सर.८ A. घालई.९ A डंप १० A. बिल ११ only in A. १२ Not in I
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§ Sutra 75 ] औपपातिकसूत्रम्
आयावणाहिं
पुप्फफलाहारा जलाभिसेयकढिणगायभूया पंचग्गितावेहिं इंगालसोल्लियं कण्डुसोल्लियं कटुसोल्लियं पिव अप्पाणं करेमाणा बहूई वासाईं परियागं पाउणंति, २ ता कालमासे काळं किच्चा उकोसेणं जोइसिएसु देवेसु देवत्ताए उववत्तारो भवंति । पलिओवमं वाससय सहस्स - 5 मन्महिय ठिई | - आराहगा ? - णो इणहे समठ्ठे । सेसं तं चैव ।
[ ६५
SUTRA 15.
से जे इमे जाव सन्निवेससु पव्वइया समणा भवंति । तं जहा — कंदप्पिया कुक्कुइया मोहरिया गीयरइप्पिया 'नच्चणसीला, ते णं एएणं विहारेण विहरमाणा बहूई 10 वासाई सामण्णपरियायं पाउणंति, २ ता तस्स ठाणस्स अणालोइयपेडिकंता कालमासे कालं किच्चा उक्कोसेणं सोहम्मे कप्पे कंदप्पिएस देवेसु देवत्ताए उववत्तारो भवंति । तेहिं तेसिं गई, सेसं तं चैव णवरं पछिओवमं वासस्यसहस्समम्भहियं ठिई ।
SUTRA 16.
से जे इमे जाव सन्निवेसेसु परिव्वाया भवंति । तं जहा - संखा जोगी कविला भिर्जेव्वा हंसा परमहंसा बहुउदगा कुलिव्वया कण्हपरिव्वाया । तत्थ खलु इमे अठ्ठ माहणपरिव्वाया भवति । तं जहा -
कण्णे य करकण्टे य अंबडे य परासरे । कण्हे दीवायणे चैव देवगुत्ते य नारए ॥
१ B. कोकुइया. २ A° B. अप्पाड ३ A कविला. 3 A भिउच्चा. श्रौ. सू. ९
15
20
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६६ ]
औपपातिकसूत्रम्
[g Sutra 79
तत्थ खलु इमे अट्ठ खत्तिय परिव्वाया भवंति । तं जहा - सीलाई मसिहारे नगई भगाई ति य । विदेहे रायां रामे बले ति य ।।
SUTRA 1.1.
ते णं परिव्वाया रिउवेद यजुव्वेद सामवेद अहव्वणवेदइति5 हासपंचमाणं निघण्टुछठ्ठाणं संगोवंगाणं सरहस्साणं चउन्हं बेदाणं सारगा पारगा धारगा सडंगवी सठितंतविसारया संखाणे सिक्खाकप्पे वागरणे छंदे निरुत्ते जोइसामयणे अण्णेसु य बहूसु बंभण्णएसु य सत्थेसु [ वाचनान्तरेपरिव्वासु य नएस ] सुपरिणिडिया यावि होत्था ।
SUTRA 18.
ते णं परिव्वाया दाणधम्मं च सोयधम्मं च तित्थाभिसेयं च आघवेमाणा पण्णवेमाणा परूवेमाणा विहरंति । • जं णं अम्हं किं चि असुई भवइ तं णं उदएण य मट्टियाए य पक्खालियं सुई भवइ । एवं खलु अम्हे चोक्खा चोक्खायारा सुई सुइसमायारा भवित्ता अभि15 सेयजलपूयप्पाणो अविघ्घेणं सग्गं गमिस्सामो' ।
SUTRA 19.
तेसि णं परिव्वायाणं णो कप्पइ अगडं वा तलायं वा नई वा वा वा पुक्खरिणि वा दीहियं वा गुंजालियं वा सरं वा [ कचित् - सरसिं वा] ओगाहित्तए णण्णत्थ अद्धाणगमणेणं ।
सागरं वा णो कप्पइ
१. ससिहारे. (य). 2 A. रायाराया. 3 A. णिग्घण्टु'
IO
/
४ A भवत्ता.
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$ Sutra 80 ]
औपपातिकसूत्रम्
[ ६७
1
सगड वा जाव संदमाणियं वा दुरूहित्ता णं गच्छित्तर । तेसि णं परिव्वायगाणं णो कप्पइ आसं वा हात्थं वा उट्टं वा गोणि वा महिसं वा खरं वा दुरुहित्ता णं गमित्तंए णण्णत्थ बलाभिओगेणं । सिणं परिव्वायगाणं णो कप्पड़ नडपेच्छा इ वा जाव मागह- 5 पेच्छा इ वा पेच्छित्तए । तेसिं परिव्वायगाणं णो कप्पइ हरियाणं लेसणया वा घट्टणया वा थंभणया वा लूसणया वा उप्पाडणाया वा करितए, तेसिं परिव्वायगाणं णो कप्पइ इत्थिकहा इ वा भत्तकहा इ वा देसकहा इ वा रायकहा इ वा चोरकहा इ वा जणवयकहा इ 10 वा अणत्थदंडं करित्तए । तेसि णं परिव्वायगाणं णो कप अयपायाणि वा अपायाणि वा तंबपायाणि वा जसदपायाणि वा सीसगपायाणि वा रुष्पपायाणि वा सुवण्णपायाणि वा अण्णयराणि वा बहुमुल्लाणि धारित्तए, णण्णत्थ अल उपाएण वा दारुपाएण वा मट्टियापारण वा । 15 तेसि णं परिव्वायगाणं णो कप्पइ अयबंधणाणि वा जाव बहुमुल्लाणि धारितए । तेसि णं परिव्वायगाणं णो कप्पर णाणाविहवण्णरागरत्तारं वत्थाई धारितए, णण्णत्थ एगाए धाउरत्ताए । तेसि णं परिव्वायगाणं णो कप्पइ हारं वा अद्धहारं वा एगावलिं वा मुत्ता - 20 वाल वा कणगावलिं वा रयणावलिं वा मुरविं वा कंठमुरविं वा पालंबं वा तिसरयं वा कडिसुतं वा दसमुद्दिआणतगं वा कडयाणि वा तुडियाणि वा अंगयाणि वा केऊराणि वा कुंडलाणि वा मउडं वा चूलामणि वा पणाद्धत्तए, णण्णत्थ एगेणं तंबिएणं पवित्त - 25
१ B. L. गोणं. २ L गच्छित्तए ३ . अणठ्ठा ४ A. लाउ
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६८ ]
औपपातिकसूत्रम्
[ § Sutra 81
1
एणं । तेसि णं परिव्वायगाणं णो कप्पर गंथिमवेढिमपूरिमसंघाइमे चउवि मल्ले धारित्तए, णण्णत्थ एगेणं कण्णपूरेणं । तोसि णं परिव्वायगाणं णो कप्पइ अगलुएण वा चंदणेण वा कुंकुमेण वा गायं अणुलिंपित्तए, 5 णणत्थ एक्काए गंगामट्टियाए ।
SUTRA 80.
तेसि णं परिव्वायगाणं कप्पड़ मागहए पत्थए जलस्स पडिग्गी हित्तए से वि य वहमाणे णो चेव णं अवहमाणे, से वि य थिमिओदए णो चेव णं कदमोदर, से वि य बहुपसणे णो चेव णं अबहुप्पसण्णे, से वि य परिपूए णो 10 चेव णं अपरिपूए, से वि य णं दिण्णे णो चेव णं अदिण्णे, सेविय विवित्तए णो चेव णं हत्थपायच रुचम सपक्खाळणढाए सिणाइत्तए वा । तेसि णं परिव्वायगाणं कपइ मागहए आए जलस्स पाडग्गाहित्तए, से वि य वहमाणे णो चेव णं अवहमाणे जाव णं अदिण्णे, से वियें इत्थपायच रुचमसपक्खा लणट्टयाए णो चेव णं पिबित्तए सिणाइत्तए वा ।
15
SUTRA 81.
ते णं परिव्वायगा एयारूवेणं विहारणं विहरमाणा बहूई वासाई परियायं पाडणंति, २ त्ता कालमासे काळं किच्चा कोसेणं बंभकोए कप्पे देवत्ताए उबवत्तारो भवति, तर्हि तेसिं 20 गई तर्हि तो ठिई दस सागरोवमाई ठिई पण्णत्ता, सेसं तं चैव ।
SUTRA 82.
तेणं कालेणं तेणं समएणं अम्मडस्स परिव्वायगस्स
1 A, 8 पडिगा. 2 L 0 माणए. 32. अद्धाढए. 4 L. reads से विय सिणाइत्तए णो चेव णं हत्थ... ठ्याए पिवित्तए वा ।
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$ Sutra 86 ] औपपातिकसूत्रम् सत्त अंतेवासिसयाइं गिम्हकालसमयांस ' जेहामूलमासमि गंगाए महानईए उभओकूलेणं कंपिल्लपुराओ जयराओ पुरिमतालं णयरं संपडिया विहाराए।
SUTRA 83. तए णं तेसिं परिव्वायगाणं तीसे अगामियाए छिण्णोवायाए दीहमद्धाए अडवीए कंचि देसंतरमणुपत्ताणं । से पुव्वग्गहिए उदए अणुपुव्वेणं परिभुंजमाणे झीणे ।
SUTRA 84. तए ण ते परिवाया झीणोदगा समाणा ताए पारम्भमाणा २ उदगदातारमपस्समाणा अण्णमण्णं सद्दावैति २ त्ता एवं वयासी।
SUTRA 85. " एवं खलु देवाणुप्पिया ! अम्हे इमीसे अगामिआए 10 जाव अडवीए कंचि देसंतरमणुपत्ताणं से उदए जाव झोणे तं सेयं खलु देवाणुप्पिया! अम्हं इमीसे अगामियाए जाव अडवीए उदगदातारस्स सबओ समंता मग्गणगवेसणं करित्तए" त्ति कट्ट अण्णमण्णस्स अतिए एयम पडिसुणेति २ ता तीसे अगामियाए जाव अड- 15 वीए उदगदातारस्स सव्वओ समंता मग्गणगवेसणं करेंति २ त्ता उदगदातारमलभमाणा दोचंपि अण्णमण्णं सद्दावेन्ति २ त्ता एवं वयासी।
SUTRA 86. " इह भणं देवाणुप्पिया! उदगदातारो णत्थि तं णो १. पारज्झ° २L अम्हं.
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७० ]
औपपातिकसूत्रम्
[ $ Sutra 86
खलु कपइ अम्ह अदिष्णं गित्तिए [ क्वचित्-अदिण्णं भुंजित्तए ]. अदिण्णं साइज्जित्तए, तं मा णं अम्हे इयाणि आवइकालं पि अदिष्णं गिण्हामो अदिष्णं साइज्जामो मा णं अहं तवलोवे भविस्सइ । तं सेयं खलु 5 अम्हं देवाणुपिया ! तिदंडयं कुंडियाओ य कंचणियाओ य करोडियाओ य भिसियाओ छण्णालए य अंकुसए य केसरियाओ य पवित्तए य गणेत्तियाओ य छत्तए य वाहणाओ य पाउँयाओ य धाउरत्ताओ एगंते एडित्ता गंगं महाणई ओगाहित्ता वालुयासंथारए संथरिता संदेह10 णाझूसियाणं भत्तपाणपडियाइक्खियाणं पाओवगयाणं कालं अणवर्कखमाणाणं विहरित्तए त्ति कट्टु अण्णमण्णस्स अंतिए एयपठ्ठे पडसुर्णेति, २ ता तिदंडए य जाव एगंते एर्डेति २त्ता गंगं महाणई ओगाहति २त्ता वालुआसंथारए संथति २त्ता वालुयासंथारयं दुरुर्हिति २त्ता पुरत्थाभिमुहा संपलियं15 कनिण्णा करयल जाव कट्ट एवं वयासी ।
SUTRA 87.
नमो त्थु णं अरहंताणं जाव संपत्ताणं, नमो त्थु णं समणस्स भगवओ महावरिस्स जाव संपाविउकामस्स, नमो त्थु णं अम्मडस्स परिव्वायगस्स अहं धम्मायरियस्स धम्पोवदेसगस्स । पुव्वि णं अम्हेहिं अम्मडस्स पार - 20 व्वायगस्स अंतिए थूलैगपाणाइवाए पच्चक्खाए जाबजीवाए, मुसावाए अदिण्णादाणे पच्चक्खाए जावज्जीवाए, सव्वे मेहुणे पच्चक्खाए जावज्जीवाए, थूलए परिग्गहे
46
१. गण्हत्ते. 2 Road in L. ३ L. दंड ४ Read in A ५A.
थूलए.
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$ Sutra 87 ]
औपपातिकसूत्रम्
भग
पच्चक्खाए जावज्जीवाए, इयाणि अम्हे समणस्स ओ महावीरस्स अंतिए सबं पाणाइवायं पच्चक्रखामो जावज्जीवाए, एवं जाव सव्वं परिग्गदं पच्चक्खामो जावज्जीवाए, सव्वं कोहं माणं मायं लोहं पेज्जं दोसं कलहं अब्भक्खाणं पेसुण्णं परपरिवार्यं अरइरई माया - 5 मोसं मिच्छादंसणस अकरणिज्जं जोगं पच्चकखामो जावज्जीवाए, सव्वं असणं पाणं खाइमं साइमं चउत्रिहं पि आहारं पच्चक्खामो जावज्जीवाए । जंपिय इमं सरीरं इछं कंतं पियं मणुण्णं मणामं पेज्जं थेज्जं बेसासियं समयं बहुमयं अणुमयं भंडकरंडगसमाणं माणं 10 सीयं मा णं उन्हें मा णं खुहा मा णं पिवासा मा णं वाला मा णं चोरा मा णं दंसा मा णं ममुगा मा णं वाइयपित्तियसिंभियसंनिवाइयविविहा रोगायंका परीसहोसंगा फुसंतु त्ति कट्ट एयंपिणं चरमेहिं ऊसासणीसासेहिं बोसिरामि त्ति कट्ट संलेहणासणाझूसिया 15 भत्तवाणपडियाइक्खिया पाओवगया काळं अणवखमाणा विहरंति ।
[ ७१
SUTRA 88.
तए णं ते परिव्वाया बहूई भत्ताई अणसणाए छेदेन्ति छेदित्ता आलोइयपडिक्कंता समाहिपत्ता कालमासे कालं किच्चा बंगलोए कप्पे देवत्ताए उबवण्णा । तहिं तेसिं गई 20 दससागरोवमाई ठिई पण्णत्ता, परलोगस्स आराहगा, सेसं तं चैव ।
SUTRA 89.
बहुजणे णं भंते ! अष्णमण्णस्स एवमाइक्खड़ एवं
Read in L, and B. २ B. L. चरिमेहिं.
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७२] औपपातिकसूत्रम्
[ Sutra 89 भासइ एवं परूवेई । “ एवं खलु अंबडे परिव्वायए कंपिल्लपुरे णयरे घरसए आहारमाहरेइ, घरसए वसहिं उवेइ, से कहमेयं भंते ! एवं "।
SUTRA 90. "गोयमा ! जं णं से बहुजणे अण्णमण्णस्स एवमा5 इक्खइ जाव एवं परूवेइ-'एवं खलु अम्मडे परिव्वायए कंपिल्लपुरे जाव घरसए वसहिं उवेइ, सच्चे णं एसमठे, अहंपि णं गोयमा ! एवमाइक्खामि जाव एवं परूमि 'एवं खलु अम्मडे परिव्वायए जाव वसहिं उवेइ"।
SUTRA 91. से केणटेणं भंते ! एवं वुच्चइ-अम्मडे परिव्वायए 10 जाव वसहिं उवेइ ?
SUTRA 92. "गोयमा! अम्मडस्स णं परिवायगस्स पगइभद्दयाए जाव विणीययाए छंछटेणं अनिक्खित्तेणं तवोकम्मेणं उड़े बाहाओ पगिज्झिय २ सूराभिमुहस्स आयावण
भूमीए आयावेमाणस्स सुभेणं. परिणामेणं पैसत्थेहिं 15 अज्झवसाणेहिं पसत्थाहिं लेसाहिं विसुज्झमाणीहिं अन्नया
कयाइ तदावरणिज्जाणं कम्माणं खओवसमेणं ईहावूहामग्गणगवेसणं करेमाणस्स वीरियलद्धीए वेउन्वियलद्धीए ओहिणाणलद्धीए समुप्पण्णाए जणविम्हावणहेउं कंपिल्लपुरे गगरे घरसए जाव वसहिं उवेइ, से तेणटणं गोयमा! 20 एवं वुच्चई-अम्मडे परिवायए कंपिल्लपुरे णयरे घर
सए जाव वसहिं उवेइ। १ B अम्मडे. २ B छठं. ३ Not in A. ४ L° पूह. ५ Read in B.
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औपपातिकसूत्रम्
[ ७३
$ Sutra 93 ]
SUTRA 93.
पहू णं भंते ! अम्पडे परिव्वायए देवाणुप्पियाणं अंतिए मुंडे भावेत्ता अगाराओ अणगारियं पव्वइत्तए ?
SUTRA 94.
णो इणट्ठे समट्ठे, गोयमा ! अम्मडे णं परिव्वायए समणोवासए अभिगयजीवाजीवे जाव अप्पाणं भावेमाणे विहरइ, णवरं ऊसियफलिहे अवंगुदुवारे चियत्तंते उरघरदार- 5 पवेसी [ क्वचित्- चियत्तघरंते उरपवेसो ] एयं णं वुच्चइ ।
SUTRA 95.
पाणाइवाए
अम्मडस्स णं परिव्वायगस्स धूल ए पच्चक्खाए जावज्जीवाए जाव परिग्गहे णवरं सब्वे मेहुणे पच्चक्खाए जावज्जीवाए ।
SUTRA 96.
अम्मडल्स णं परिव्वायगस्स णो कप्पइ अक्खसोयप्पमाण- 10 तंपि जलं सयराहं उत्तरित्तए, णण्णत्थ अद्धाणगमणेण । अम्मडस्स णं णो कप्पइ सगडं वा एवं तं चैव भाणियन्त्रं जाव णण्णत्थ एगाए गंगा मट्टियाए । अम्मडस्स णं परिव्वायगस्त णो कप्पड़ आहाकम्मिए वा उदेसिए वा मी सजाए इ वा अज्झोयरए इ वा पूइकम्मे इ वा 15 कीयगडे इ वा पामिच्चे इ वा अणिसिहे इ वा अभिडे इ वा उत्तए वा रईत्तए वा कंतारभत्ते इवा दुब्भि
१ B अहि. २ Noted in L ३ L उवियर, B ठवेइत्तए रइयए. औ. सू. १०
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७४ ]
औपपातिकसूत्रम्
$ Sutra 97
क्खभत्ते इ वा गिलाणभत्ते इ वा वद्दलियाभत्ते इ वा पाहुणगभत्ते इ वा भोत्तर वा पाइत्तए वा । अम्मडस्स णं परिव्वायगस्स णो कप्पर मूळभोयणे वा जावं बीयभोयणे वा भोत्तर वा पाइत्तए वा ।
SUTRA 97.
अम्मडस्स णं परिव्वायगस्स चउन्विहे अणहादंडे पच्चक्खाए जावज्जीवाए । तं जहा : – अवज्झाणायरिए पमायायरिए हिंसप्पयाणे पावकम्मोवएसे |
SUTRA 98.
"
अम्पड स कप्पइ मागहए अद्धाढए जलस्स पडिग्गाहित्तए से वि य वहमाणए णो चेव णं अवहमाणए 10 जाव से विय परिपूए णो चेव णं अपरिपूए से वि य सावज्जे ति काऊं णो चेव णं अणवज्जे से वि य जीवा ति काउं णो चेव णं अजीवा से विय दिण्णे णो चैव णं अदिण्णे से वि य इत्थपाय- ' चरुचमस पक्खालणट्ट्याए पिबित्तए वा णो चेव णं सिणा15 इत्तए । अम्मडस्स कप्पड़ मागहए यें आढए जलस्स पडिग्गाहित्तए, से वि य वहमाणए जात्र णो चेवणं अदिण्णे, सेविय सिणाइत्तए णो चेव णं हत्यपायचरुचमसपक्खालणयाए पिवित्तए वा ।
SUTRA 99.
अम्मडस्स णो कप्पइ अण्णउत्थियाँ वा अण्णउत्थिय20 देवया । ण वा अण्णउत्थियपरिग्गहियाणि वा चेहयाई
१ L, B. पातए २ A अणत्थ. ३ A, B. कट्टु. ४ Not read in L. 4 LB ° उत्थिए
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$ Sutra 102] औपपातिकसूत्रम्
[७५ वंदित्तए वा णमंसित्तए वा जाव पज्जुवामित्तए वा, णण्णत्थ अरिहंते वा अरिहंतचेइयाइं वा।
SUTRA 100. अम्मडे णं भंते ! परिव्वायए कालमासे कालं किच्चा कहिं गच्छिहिति ? कहिं उववन्जिहिति ? गोयमा! अम्मडे गं परिव्वायए उच्चावएहिं सीलव्वयगुणवेरमण- 5 पच्चक्खाणपोसहोववासेहिं अप्पाणं भावमाणे बहूई वासाई समणोवासयपरियायं पाऊणिहिति, २ ता मासियाए संलेहणाए अप्पाणं झूसित्ता सैष्टिं भत्ताइ अणसणाए छदित्ता आलोइयपडिकते समाहिपत्ते कालमासे कालं किच्चा बंभलोए कप्पे देवत्ताए उववज्जिहिति । तत्थ णं अत्थेग- 10 इयाणं देवाणं दस सागरोवमाइं ठिई पण्णत्ता । तत्थ णं अम्मडस्स वि देवस्स दस सागरोवमाइं ठिई ।
SUTRA 101. से णं भंते ! अम्मडे देवे ताओ देवलोगाओ आउक्खएणं भवक्खएणं ठिइक्खएणं अणंतरं चयं चइत्ता, कहिं गच्छिहिति कहिं उववज्जिहिति ?
SUTRA 102. ___गोयमा ! महाविदेहे वासे जाई कुलाई भवंति अड़ाई दित्ताइं वित्ताई वित्थिण्णवि उलभवणसयणासणजाणवा हणाई बहुधणजायख्वरययाइं आओगपओगसंपउत्ताई विच्छड्डियपउरभत्तपाणाई बहुदासीदासगोमहिसगवेलगप्पभूयाई बहुजणस्स अपरिभूयाइं तहप्पगोरसु कुलेसु पुमत्ताए 20 पच्चायाहिति ।
15
१L. B. अरहते. २ । सठ्ठिभत्ताई. ३ A विच्छिण्ण.
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७६ ]
औपपातिकसूत्रम् [ $ Sutra 103
SUTRA 103. तए णं तस्स दारगस्स गब्भत्थस्स चेव समाणस्स अम्मापिईणं धम्मे दढा पइण्णा भविस्सइ ।
SUTRA 104. से णं तत्थ णवण्हं मासाणं बहुपडिपुण्णाणं अद्धमाणराइंदियाणं वीइक्ताणं सुकुमालपाणिपाए जाव ससि5 सोमाकारे कंते पियदंसणे सुरुवे दारए पयाहिति ।
SUTRA 105. तए णं तस्स दारगस्स अम्मापियरो पढमे दिवसे ठियवडियं काहिति, बिइयदिवसे चंदसूरदंसणियं काहिति,
छठे दिवसे जागरियं काहिंति, एकारसमे दिवसे वीइकंते णिवत्ते असुइजायकम्मकरणे संपत्ते बारसाहे दिवसे 10 अम्मापियरो इमं एयाख्वं गोणं गुणणिफण्णं णामधेनं
काहिति–'जम्हा णं अम्हं इमंसि दारगंसि गम्भत्थंसि चेव समाणंसि धम्मे दर्दंपइण्णा तं होउँ णं अम्हं दारए दढपइण्णे णामेणं" तए णं तस्स दारगस्स अम्मापियरो णामधेज्जं करोहिंति दढपइण्णत्ति ।
[SUTRA 105 ). 15 तए णं तस्स दृढपइण्णस्स अम्मापियरो अणुपुव्वेणं ठिइवडियं चंदसूरदरिसणं च जागरिय नामधेजकरणं परंगमणं च पचंकमणगं च पच्चक्खाणगं च जेमणगं च पिंडवद्धावणं च पजपावणं च कण्णवेहणगं च संवच्छरपडिलेहणगं च चोलोवणयणं च उवणयणं च अण्णाणि
१L °माण य. २ B. ठिइवडियं, L ठिइपडियं. ३ B बिइए L तइय.४ A निम्वित्ते. 11 गोण्ण. ६ L दढा. ७. होऊ. ८ Noted in L.
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F Sutra To7 ] औपपातिकसूत्रम् [७७ य बहूणि गब्भादाणजम्मणमाइयाइं कोउयाई महया इड्डिसकारसमुदएणं करिस्संति । तए णं से दढपइण्णे दारए पंचधाइपरिक्खित्ते, तं जहाः-खीरधाईए मज्जणधाईए मंडणधाईए अंकधाईए कीलारणधाईए अण्णाहि य बहूहिं खुज्जाहिं चिलाइयाहि विदेसपरिमंडियाहिं सदेसनेव 5 च्छगहियवेसाहिं विणीयाहिं इंगियचिंतियपत्थियवियाणियाहिं निउणकुसलाहिं चेडियाचक्कवालवरतरुणिवंदपरियालसंपरिवुडे वरिसवरकंचुइज्जमहत्तरगवंदपरिक्खित्ते हत्थाओ हत्थं साहरिज्जमाणे २ अंकाओ अंकं परिभुज्जमाणे २ उवनचिज्जमाणे २ उवगाइज्जमाणे २ उवलालिज्जमाणे २ 10 उवगूहिज्जमाणे २ अवयासिज्जमाणे २ परियंदिज्जमाणे २ परिचुंबिज्जमाणे २ रम्मेसु मणिकुट्टिमतलेसु परांगज्जमाणे २ गिरिकंदरमल्लीणे विव चंपगवरपायवे निव्वायनिवाघायं सुहं सुहेणं परिवढिस्सइ ।
SUTRA 106. त दढपइण्णं दारगं अम्मापियरो साइरेगठवासजायगं 15 जाणित्ता सोभणंसि तिहिकरणदिवसणक्खत्तमुहुत्तसि कलायरियश्स उवणेहिंति ।
___SUTRA 107. तए णं से कलायरिए तं दढपइण्णं दारगं लेहाइयाओ गणियप्पहाणाओ सउणरुयपज्जवसाणाओ वावत्तरिकलाओ सुत्तओ य अत्थओ य करणओ य सेहाविहिति 20 सिक्खाविहिति, तं जहा-लेहं गणियं रूवं गट्ट गीयं वाइयं सरगयं पुक्खरगयं समतालं जयं जणवायं पासगं
? Only in L.
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७८ ]
औपपातिकसूत्रम् [s Sutra 108 अहावयं पोरेकच्चं दगमट्टियं अण्णविहिं पाणविहिं [ वत्थविहिं विलेवणविहिं] सयणविहिं अज्जं पहेलिय मागहियं गाह गीइयं सिलोय हिरण्णर्जुत्तिं सुवण्णजुत्तिं गंधजुत्तिं चुण्णजुर्ति
आभरणविहिं तरुणीपडिकम्मं इत्थिलक्खणं पुरिसलक्षण 5 हयलक्खणं गयलक्खणं गोणलक्खणं कुकडलक्खणं चक्क
लक्खणं छत्तलक्खणं चम्मलक्खणं दंडलक्खणं असिलक्खणं माणलक्खणं कागणिलक्खणं वत्थुविज्जं खंधारमाणं नगरमाणं वत्थुनिवेसणं [नगरनिवेसणं खंधार
निवेसणं संभवं ] वृहं पडिवूहं चारं पडिचारं चक्कवृहं 10 गरुलवूह सगडवूहं जुद्धं निजुद्धं जुद्धाइजुद्धं मुडिजुदं
बाहुजुद्धं लयाजुद्धं ईसत्थं छरुप्पवाहं धणुव्वेयं हिरण्णपागं सुवण्णपागं [माणपागं धाउपागं] वट्टखेड्डु मुत्ताखेडं णालियाखेड़े पत्तच्छज्जे कगच्छेज्ज सज्जीवं निज्जीवं सउणरुयामति बावत्तरिकलाओ सेहावित्ता सिक्खावेत्ता 15 अम्मापिईणं उवणहिति । ।
SUTRA 108.
तए णं तस्स दढपइण्णस्स दारगस्स अम्मापियरो तं कलायरियं विउलेणं असणपाणखाइमसाइमेणं वत्थगंधमल्लालकारेण य सकारोहिति सम्माहिति २ ता विउल जीवियारिहं पीइदाणं दलइस्सीत, २ त्ता पडिविसज्जेहिंति ।
SUTRA 109. 20 तए णं से दढपइण्णे दारए बावत्तरिकलापंडिए ववंगसुत्त
पडिबोहिए अठारसदेसभिासाविसारए गायरई गंधव्वणट्ट
Not read in L., who reads instead लेणविहिं. २ A जुत्ती. ३ Noted in L. ४ Nated in L. ५ A. B कडव'.
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$ Sutra 113] औपपातिकसूत्रम् . [ ७९ कुसले हयजोही गयजोही रहजोही बाहुजोही बाहुप्पमही वियालचारी साहसिए अलंभोगसमत्थे यावि भविस्सइ ।
. SUTRA 110. __ तए णं दढपइण्णं दारगं अम्मापियरो बावत्तरिकलापंडियं जाव अलंभोगसमत्थं वियाणित्ता विउलेहिं अण्णभोगेहिं पाणमोगेहिं लेणभोगेहिं वत्थभोगेहिं सयणभोगेहिं 5 कामभोगेहिं उवाणिमंतेहिति । ।
- SUTRA 111. तए ण से दढपइण्णे दारए तेहिं विउळेहिं अण्णभोगेहिं जाव सयणभोगेहिं णो सन्जिहिति णो राज्जिहिति णो गिज्झिहिति णो मुज्झिहिति णो अज्झोववन्जिहिति ।
SUTRA 112. से जहा णामए उप्पले इ वा पउमे इ वा कुसुमे इ 10 वा नलिणे इ वा सुभगे इ वा सुगंधे इ वा पोंडरीए इ वा महापोंडरीए इ वा सयपत्ते इ वा सहस्तपत्ते इ वा सयसहस्सपत्ते इ वा पंके जाए जले संवुड़े गोवलिप्पइ पंकरएणं णोवलिप्पइ जलरएणं, एवामेव दढपइण्णे वि दारए कामेहिं जाए भोगेहिं संवुड़े गोवलिप्पिाहीत 15 कामरएणं णोवलिप्पिहिति भोगरएणं गोवलिप्पिहिति मित्तगाइणियगसयणसंबंधिपरिजणेणं ।
SUTRA 113. से णं तहारूवाणं थेराणं अंतिए केवलं बोहिं बुज्झिहिति २ ता अगाराओ अणगारियं पइवाहीत।
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८८०]
औपपातिकसूत्रम् [Sutra II4
SUTRA 114. सेणं भविस्सइ अणगारे भगवंते ईरियांसमिए जाव गुत्तभयारी ।
SUTRA 115. तम्स णं भगवंतस्स एएणं विहारणं विहरमाणस्स अणते अणुत्तरे णिवाघाए निरावरणे कसिणे पडिपुण्णे 5 केवलवरणाणदसणे समुप्पज्जहिति ।
[SÚTRA 115] तए णं से भगवं अरहा जिणे केवली भविस्सइ सदेवमणुयासुरस्स लोगस्स परियागं जाणिहिति पासिहिति, तं जहा:--आगई गई ठिई चवणं उववायं तकं पच्छा
कडं पुरेकडं मणो माणसियं खइयं भुत्तं कडं पडिसेवियं 10 आवीकम्मं रहोकम्मं अरहा अरहस्स भागी तं तं कालं
मणोबयकायजोगे वट्टमाणाणं सव्वलोए सव्वजीणं सव्वभावे जाणमाणे पासमाणे विहरिस्सइ ।
SUTRA 116., तए णं से दढपइण्णे केवली बहूइं वासाइं केवलिपरियागं पाउणिहिति, २ त्ता मासियाए संलेहणाए अप्पाणं 15 झूसित्ता सहि भत्ताई अणसणाए छेदित्ता जस्सहाए
कीरइ नग्गभावे मुंडभावे अण्हाणए अदंतवणए केसलोए बंभचेरवासे अच्छत्तगं अणोवाहणगं भूमिसेज्जा फलहसेज्जा कहसेज्जा परघरपवेसो लद्धावलद्धं [वित्तीए माणावमाणणाओ] परेहि हीलणाओ खिसणाओ निंद
१. इरिया'. २ Noted in L. ३ A छेएत्ता. ४ B°सिज्जा. ५ Noted in L.
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$Sutra 117 ]
औपपातिकसूत्रम्
[
णाओ गरहणाओ तालणाओ तज्जणाओ परिभवणाओ पव्वहणाओ उच्चावया गामकंटगा बावीस परीसहोवसग्गा अहियासिज्जति तमहमारा हित्ता चरिमेहिं उस्सासणिसासेहिं सिज्झिहिति बुज्झिहिति मुच्चिहिति परिणिव्वाहिति सव्वदुक्खाणमतं करेहिति ।
5
SUTRA 111.
सेज्जे इमे गामागर जात्र सण्णिवेसेसु पव्वइया समणा भवंति तं जहांः- आयरियपडिणिया उवज्झायपडिणीया कुलपडिणीया गणपडिणीया आयरियउवज्झायाणं अयसकारगा अवण्णकारगा अकित्तिकारगा बहूहिं असब्भावुब्भावणाहिं मिच्छत्ताभिणिवेसेहि य अप्पाणं च परं च 10 तदुभयं च बुग्गाहेमाणा वुप्पाएमाणा विहरिता बहूई वासाईं सामण्णपरियागं पाउणंति, २ त्ता तस्स ठाणस्स अणालोइय अप्पडिकंता कालमासे कालं किच्चा उक्कोसेणं लंतए कप्पे देवब्बिसिएस देवकिब्बिसियत्ताए उववत्तारो भवति, तहिं तेसिं गई, तेरस सागरोत्र माई ठिई, 15 अणाराहगा, सेसं तं चेव ।
SUTRA 118.
सेज्जे इमे सष्णिपंचिंदियतिरिक्ख जोणिया पज्जत्तया भवति, तं जहाः - जलयरा थलयरा खहयरा तेसि णं अत्थेगइयाणं सुभेणं परिणामेणं पसत्थेहिं अज्झवसाणेहिं लेस्साहिं विसुज्झमाणीहिं तैयावणिज्जाणं कम्माणं खआ - 20 वसमेणं ईहा हमग्गणगवसणं करेमाणाणं सण्णीपुब्बजाईसरणे समुपज्जई ।
१ Bपडि. २ L तदा ३ समएणं. ४ A वह . श्रौ.सू. ११
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८२ ] औपपातिकसूत्रम् [ Sutra 121
SUTRA 119. तए णं समुप्पण्णजाइसरणा समाणा सयमेव पंचाणुव्वयाई पडिवंज्जति २ त्ता बहूहिं सीलव्वयगुणवेरमणपच्चक्खाणपोसहोववासेहिं [आहापरिग्गहिएहिं तवोकम्मेहिं ]
अप्पाणं भावेमाणा बहूई वासाई आउयं पालेंति २ त्ता 5 भत्तं पच्चक्खंति बहूई भत्ताई अणसणाए छेदेति २ त्ता
आलोइयपडिकंता समाहिपत्ता कालमासे कालं किच्चा उक्कोसेणं सहस्सारे कप्पे देवत्ताए उववत्तारो भवंति, तहिं तेसिं गई, अठारस सागरोवमाइं ठिई पण्णत्ता परलोगस्स आराहगा, सेसं तं चेव ।
: SUTRA 120. 10 से जे इमे गामागर जाव संनिवेसेसु आजीवियाँ भवंति,
तं जहा--दुघरंतरिया तिघरंतरिया सत्तघरंतरिया उप्पलबेटियाँ घरसमुदाणिया विज्जुयंतारया उट्टियासमणा, ते णं एयारूवेण विहारेणं विहरमाणा बहूई वासाइं परियायं पाणित्ता कालमासे कालं किच्चा उक्कोसेणं अच्चुए 15 कप्पे देवत्ताए उववत्तारो भवंति, तेहिं तेसिं गई बावीसं सागरोवमाइं ठिई, अणाराहगा, सेसं तं चेव ।
SUTRA 121. . सेज्जे इमे गामागर जाव सण्णिवेसेसु पवइया समणा - भवंति, तं जहा--अत्तुकौसिया परपरिवाइया
भूइकम्मिया भुज्जो भुज्जो कोउयकारगा, ते णं एयारवेणं 20 विहारेणं विहरमाणा बहूई वासाइं सामण्णपरियागं पाउणति
___ १ Noted in L. २ A छेयंति. ३. समाहि. ४ B°वका. L वेंटिया B विंटिया. ६ A कोसिया; B°कसिया.
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$Sutra taa] औपपातिकसूत्रम् [ ८३ २ ता तस्स ठाणस्स अणालोइयपडिकंता कालमासे कालं किच्चा उक्कोसेणं अच्चुए कप्पे आभिओगिएम देवेसु देवत्ताए उव उत्तारो भवंति, तेहिं तेसिं गई बावीसं सागरोवमाई ठिई परलोगस्स अणाराहगा, सेस तं चेव ।
SUTRA 122. सेज्जे इमे गामागर जाव सण्णिवेसेसु णिण्हगा भवंति, 5 तं जहा-१ बहुरया २ जीवपएसिया ३ अव्वत्तिया ४ सामुच्छेइँया ५ दोकिरिया ६ तेरासिया ७ अवधिया इच्चेते सत्त पवयणणिण्हगा केवळचरियालिंगसामण्णा मिच्छदिठी बहूहिं असम्भावुब्भावणाहिं मिच्छत्ताभिणिवेसेहि य अप्पाणं च परं च तदुभयं च बुग्गाहेमाणा 10 वुप्पाएमाणा विहारित्ता बहूई वासाइं सामण्णपरियागं पाउणति २ ता [....तस्स ठाणस्स अणालोइय अप्पडिकंता] कालमासे कालं किच्चा उक्कोसेणं उवरिमेसु गेबेज्जेसु देवत्ताए उववत्तारो भवति। तेहिं तेसिं गई एकतीसं सागरोवमाइं ठिई परलोगस्स अणाराहगा, सेसं 15 तं चेव।
SUTRA 123. से ज्जे इमे गामागर जाव सण्णिवेसेसु मणुया भवंति, तं जहा-अप्पारंभा अप्पपरिग्गहा धाम्मया धम्माणुया धम्मिटा घम्मक्खाई धम्मपलोई धम्मपलज्जणा धम्मसमुदायारा धम्मेणं चेव वित्तिं कप्पेमाणा सुसीला 20 सुव्वया सुप्पडियाणंदा साहूहिं एगच्चाओ पाणाइवायाओ
धमिया
वित्तिलाई
१ A °अपडिकंता. २ L & B°पदेसिया. ३ B° च्छित्तियाः ४ B इच्चेए. ५ B 'दिठ्ठीहिं. ६ Noted in L. ७ अपरि. ९°प्पलोइया Read in A & B.
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८४]
औपपातिकसूत्रम् [FSutra 124 पडिविरया जावज वार, एगच्चाओ अपडिविरया एवं जाव परिंगहाओ २ एगच्चाओ कोहाओ माणाओ मायाओ लोहाओ पेज्जाओ दोसांओ कलहाओ अब्भ
क्खाणाश्रो पेसुण्णाभो परपरिवायाओ अरइरईओ माया5 मोसाओ मिच्छादसणसल्लाओ पडिविरया जावज्जीवाए
एगच्चाओ अपडिविरया, एगच्चाओ आरंभसमारंभाओ पडिविरया जावज्जीवाए एगच्चाओ अपडिविरया, एगच्चाओ करणकारावणाओ पडिविरिया जावज्जीवाए एगच्चाओ
अपडिविरया, एगच्चाओ पयणपयावणाओ पडिविरया 10 जावज्जीवाए एगच्चाओ पयणपयावणाओ अपडिविरया,
एगच्चाओ कोट्टणपिट्टणतज्जणतालणवबंधपरिकिलेसाओ पडिविरया जावज्जीवाए एगच्चाओ अपडिविरया, एगच्चाओ पहाणमहणवण्णगविलेवणसहफारिसरसरूवगंधमल्लालंकाराओ प
डिविरया जावज्जीवाए एगच्चाओ अपडिविरया, जे 15 यावण्णे तहप्पगारा सावज्जजोगोहिया कम्मंता परपाण
परियावणकरा कज्जति तओ वि एगच्चा पडिविरिया जावज्जीवाए एगच्चाओ अपडिविरया।
SUTRA 124. तं जहा:--समणोवासगा भवंति, अभिगयजीवाजीवा उवलद्धपुण्णपावा आसवसंवरनिज्जरकिरियाअहिगरणबंधमो20 क्खकुसला असहेजा देवासुरणागजक्खरक्खसकिन्नरकिंपरिसगरुलगंधव्वमहोरगाइएहिं देवगणेहिं निग्गंथाओ पावयणाओ अणइक्कमणिज्जा निग्गंथे पावयणे णिस्संकिया णिकखिया निव्वतिगिच्छा लद्धहा गहियठा पुच्छियहा अभि
१B पडि. २ Not in A. ३ सावज्जा अबोहिया Noted in L. ५ से जहा णामए Noted in L. ५A °ज्जाओ.
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5 Sutra 125] औपपातिकसूत्रम् (८५ गयहा विणिच्छियहा आहिपिंजपेमाणुरागरत्ता " अयमाउसो! निग्गंथे पावयणे अहे अयं परमठे सेसे अंण" ऊसियफलिहा अवंगुयदुवारा चियत्तंतेउरपुरघरदारप्पवेसा चउद्दसमुदिट्टपुण्णमासिणीसु पडिपुण्णं पोसहं सम्मं अणुपालेत्ता समणे निग्गंथे फासुएसणिज्जेणं असणपाणखाइमसाइमेणं वत्यैपडिग्गहकंबळपायपुंछणेणं ओसहभेसज्जेणं पडिहारएँण य पीढफलंगसेज्जासंथारएणं पडिलाभेमाणा विहरंति २ त्ता भत्तं पच्चक्खंति ते बहूई-भत्ताई अणसणाए छेदेति २ त्ता आलोइयपडिकंता समाहिपत्ता कालमासे कालं किच्चा उक्कोसेणं अच्चुए कप्पे देवत्ताए उववत्तारो भवंति, तेहिं 10 तेसिं गई बावीसं सागरोवमाइं ठिई आराहगा सेसं तहेव ।
SUTRA 125. सेज्जे इमे गामागर जाव सण्णिवेसेसु मणुया भवंति, तं जहा:-अणारंभा अपरिगहा धम्मिया जाव कप्पेमाणा सुसीला सुव्वया सुपडियाणंदा साहू सयाओ पाणाइवायाओ पडिविरया जाव सव्वाओ परिग्गहाओ पडिविरया 15 सव्वाओ कोहाओ माणाओ मायाओ लोभाओ जाव मिच्छादसणसल्लाओ पडिविरया सम्बाओ आरंभसमारंभाओ पडिविरया सव्वाओ करणकारावणाओ पडिविरया सव्वाओ पयणपयावणाओ पडिविरया सव्वाओ कोट्टणपिट्टणतज्जणताल वहबंधपरिकलेसाओ पडिविरया सव्वाओ 20 व्हाणमहणवण्णगविलेवणसद्दफरिसरसरूवगंधमल्लालंकाराओ पडिविरया जे यावण्णे तहप्पगारा सावज्जजोगविहिया
१ A पेम्मा. २ कत्तित्-इणमो...अणठे Noted in L. ३A पर.° ४B°वत्थगंध. ५ L & B °हारिएण. ६ 1 °फलहग'. ७ A कुट्टण.
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८६]
औपपातिकसूत्रम् [Sutra 126 कम्मंता परपाणपरियावणकरा कज्जति तओ वि पडिविरया जावज्जीवाए ।
SUTRA 126. से जहा णामर अणगारा भवतिः--इरियासमिया भासासमिया जाव इणमेव निग्गंथं पावयणं पुरओकाउं 5 विहरति ।
SUTRA 121. तेसि णं भगवंताणं एएणं विहारेणं विहरमाणाणं अत्थेगइयाणं अणते जाव केवलवरनाणदंसणे समुप्पज्जइ । ते बहूई वासाई केवलिपरियागं पाउणंति २ ता भत्तं पच्च
क्खंति भत्तं २ ता बहूई भत्ताई अणसणाए. छेदेन्ति २ 10 ता जस्सहाए कीरइ नग्गभावे जाव अंतं करंति ।
SUTRA 128. जेसि पि य णं एगइयाणं णो केवलवरनाणदंसणे समुप्पज्जइ ते बहूई वासाई छउमत्थपरियागं पाउणंति २ त्ता आंबाहे उप्पण्णे वा अणुप्पण्णे बा भत्तं पच्चक्खंति ।
ते बहूई भत्ताई अणसणाए छेदेति २ त्ता जस्सहाए 15 कीरइ नग्गभावे जाव तमहमाराहित्ता चरिमेहिं ऊसासणी
सासेहिं अणंतं अणुत्तरं निवाघायं निरावरणं कसिणं पडिपुण्णं केवलवरनाणदंसणं उप्पादेति, तओ पच्छा सिज्झिहिंति जाव अंतं करोहिति ।
SUTRA 129. एगच्चा पुण एगे भयंतारो पुव्वकम्भावसेसेणं काल
1 Not read in L. 2 L. & B. आवाहे. 3 L. उस्सासनिस्सासेहिं.
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s Sutra 1341 औपपातिकसूत्रम् [८७ मासे कालं किच्चा उक्कोसेणं सबठसिद्ध महाविपाणे देवत्ताए उववत्तारो भवंति, तेहिं तेसिं गई तेत्तीसं सागरोवमाई ठिई , आराहगा, सेसं तं चेव ।
SUTRA 130. सेजे इमे गामागर जाव सण्णिवेसेसु मणुया भवंति, तं जहा-सव्वकामविरया सन्चरागविरया सव्वसंगातीता 5 सव्वसिणेहाइकंता अकोही निकोहा खीणकोही एवं माणमायालोहा अणुपुव्वेणं अट्ठ कम्मपयडीओ खवेत्ता उप्पिं लोयग्गपइटाणा हवंति।
SUTRA 131. अणगारे णं भंते भावियप्पा केवलिसमुग्घाएणं समोहाणित्ता केवलकप्पं लोयं फुसित्ता णं चिहइ ? 10 हंता चिटइ।
SUTRA 132. से गूणं भंते केवलकप्पे लोए तेहिं निज्जरापोग्गलेहिं फुडे ? हंता फुडे।
SUTRA 133. छउमत्थे गं भंते मणुस्से तेसि णिज्जरापोग्गलाणं किंचि वण्णेणं वणं गंधेणं गंधं रसेणं रसं फासेणं फासं 15 जाणइ पासइ ? [ गोयमा], णो इणहे समहे ।
SUTRA 134. से केणटेणं भंते एवं वुच्चइ--'छउमत्थे णं मणुस्से तेसिं
१८ तेतीसं.२ . अकोहा. ३ कोहा. ४ B केवल ५ Read in A and B.
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८८] औपपातिकसूत्रम् [Sutra 135 णिज्जरापोग्गलाणं णो किंचि वण्णेणं वणं जाव जाणइ पासइ ?'
SUTRA 135. गोयमा, अयं णं जंबुद्दीवे दीवे सव्वदीवसमुदाणं सव्वन्भंतराए सव्वखुड्डाए बट्टे तेल्लापूयसंठाणसंठिए बट्टे रहचकवाल 5 संठाणसंठिए वट्टे पुक्खरकण्णियासंठाणसंठिए बट्टे पडिपुण्ण.
चंदसंठाणसंठिए एक जोयणसयसहस्सं आयामविक्खंभेणं तिणि जोयणसयसहस्साई सोलससहस्साहं दोणि य सत्तावीसे जोयणसए तिण्णि य कोसे अठावीसं च धणुसयं तेरस य अंगुलाई अद्धंगुलियं च किंचि विसे साहिए [ परि10 क्खेवेणं पण्णत्ते]।
___SUTRA 136. देवे णं महिडीए महजुतीएं महब्बले महाजसे महासुक्खे महाणुभावे सविलेवणं गंधसमुग्गयं गिण्हई २ ता तं अबदालेइ २ त्ता जाव इणामेवत्ति कट्ट केवलकप्पं जंबुद्दीवं
दीवं तिहिं अच्छराणिवाएहि तिसत्तखुत्तो अणुपरियहित्ता 15 णं हव्वमागच्छेज्जा।
SUTRA 131 से पूर्ण गोयमा! से केवलकप्पे जंबुद्दीवे दीवे तेहिं घाणपोग्गलहिं फुडे ? हंता फुडे ।
SUTRA 138. छउमत्थे णं गोयमा! मणुस्से तेसिं घाणपोग्गलाणं १ Not read in L. २ A °जुइए. ३ L & B गेहइ. ४ A जंबूदीवं.
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$ Sutra 142 ]
औपपातिकसूत्रम्
[ ८९
किंचि वण्णेणं वण्णं जाव जाणइ पासइ ? भगवं णो इण समहे ।
SUTRA 139.
से तेणद्वेणं गोयमा ! एवं वुच्चइ – छउमत्थे णं मणुस्से तोर्स णिज्जर। पोग्गलाणं णो किंचि वण्णेणं वण्णं जाव जाणं पासइ ।
5
SUTRA 140.
एसुहुमा णं ते पोग्गला पण्णत्ता, समणाउसो ! सव्व
.
कोयं पि य णं ते फुसित्ता णं चिठ्ठति ।
SUTRA 141.
कम्हा णं मंते ! केवली समोहणंति ? कम्हा णं केवली समुग्धायं गच्छति १ गोयमा ! केवलीणं चत्तारि कम्मंसा अपलिक्खीणा भवति, तं जहा :- १ वेयणिज्जं 10 २ आउयं ३ णामं ४ गौत्तं । सव्वबहुए से वेयणिज्जे कम्मे भवइ । सव्वत्थोवे से आए कम्मे भवइ, । विसमं समं करेइ बंधणेहि ठिईहि य; विसमसमकरणयाए बंधणेहिं ठिईहि य ।
एवं खलु केवळी समोहणांत एवं खलु केवळी समुग्धार्य गच्छति ।
15
SUTRA 142.
सव्वे वि णं भंते! केवळी समुग्धायं गच्छति १ णो इणठ्ठे समठ्ठे,
१. मणूसे. २ A. जाणंति पासंति. ३ क्वचित् - अवेश्या अणिज्जिण्णा Noted in L. ४ A गुत्तं.
बौ. सू. १२
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९० ]
औपपातिकसूत्रम्
'अकितां णं समुग्धायं, अणंता केवली जिणा जरामरणविप्पमुक्का, सिद्धिं वरगई गया ॥ १ ॥
5
[§ Sutra 143
SUTRA 143.
कईसमए णं भंते! आउज्जीकरणे पण्णते ? गोयमा ! असंखेज्जसमइए अतोमुहुत्तिए पण्णत्ते ।
SUTRA 144
केवलिसमुग्धाए णं भंते ! कइसमइए पण्णत्ते ? गोयमा ! असम पण्णत्ते । तं जहा - पढमे समए दंड करे । बिईए समए कवाडं करेइ । तइए समए मंथं करेइ । चत्थे समए लोय पूरेइ । पंचमे समए लोयं पडिसाहरइ । छठे समए मंथं पडिसाहरइ । सत्तमे समए कवाडं 10. पडिसाहरइ । अहमे समझ दंडं पडिसाहरइ । तथ पच्छा
सरीरत्थे भवइ ।
SUTRA 145.
से णं भंते! तहा समुग्धायं गए किं मणजोगं जुंजइ १ वैयजोगं जुंजइ ? काययोगं जुजइ १ गोयमा ! णो मणजोगं जुजइ णो वयजोगं जुंजइ, कायजोगं जुजइ ।
SUTRA 146.
15 कायजोगं जुजमाणे किं ओरालियसरीरकायजोगं जुजइ ? ओरालियामि ससरीरकायजोगं जुजइ १ वेडव्वियसरीरका - यजोगं जुंजई १ वेउच्चिय मिस्सरीरका यजोगं जुजइ १ आहारगसरीरकायजोगं जुजइ ९ आहारगमिस्स सरीर
L
१ अकियाणं. २L कति. ३ L आवज्जी. ४ ग्वायगए. ५ द ६ L °मीसा, B ‘मीस',
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$ Sutra 149 ]
औपपातिकसूत्रम्
[ ९१
कायजोगं जुंजइ ! कम्मसरीरकायजोगं जुजइ १ गोयमा ! ओरालियसरीरकायजोगं जुजइ, ओरालिय मिस्ससरीरकायजोगं पि जुजइ, णो वेडव्विसरीरकायजोगं जुंजइ णो वेडब्बियमिस्ससरीरकायजोगं जुंजइ, णो आहारगसरीरकायजोगं जुंजइ णो आहारगमिस्स सरीरकायजोगं जुजइ 5 कम्मसरीरकायजोगं पि जइ । पढममेसु समएसु ओरालियसरीरकायजोग जुंजइ, बिइयछ सत्त मेसु समएसु ओरालियमिस्स सरीरकायजोगं जुंजइ, तइयचउत्थपंचमेहिं कम्पसरीरकायजोगं जुंजइ ।
SUTRA 147.
/
से णं भंते! तहा समुग्धायगए सिंज्झइ बुज्झर मुच्चइ 10 परिणिव्वाइ सव्वदुक्खाणमंतं करेह ? णो इणठ्ठे समट्ठे, सेणं तओ पडिणियत्तइ, २ त्ता इहमागच्छर, २ त्ता तओ पच्छा मणजोगं पि जुंजह वयजोगं पि जुंजइ कायजोग पि जुंजइ ।
SUTRA 148.
15
मणजोगं जुंजमाणे किं सच्चमणजोगं जुजइ । मोसमणजोगं जुंजइ ? सच्चामोसमणजोगं जुजइ ? असच्चामो समणजोगं जुंजइ ? गोयमा ! सच्चमणजोगं जुजइ, णो मोसमणजोगं जुजइ, णो सच्चामोसमणजोगं जुंजइ असच्चामोसमणजोगं पि जुंजइ ।
SUTRA 149.
वयजोगं जुंजमाणे किं सच्चवइजोगं जंजर १ मोसवइजोगं जुंजइ ? सच्चामोसवइजोगं जुंजइ ? असच्चामोसव - 20 जोगं जुंजइ । गोयमा, सच्चव जोगं जुंजइ णो मोसवइजोगं
१ A & B कम्मा. २ A & B read सिज्झिहिर बुज्झिहिर, मुच्चहिर, परिनि
व्वाहिर.
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९२ ]
औपपातिकसूत्रम्
[ $Sutra 150
जुजइ, णो सच्चामोसवइजोगं जुंजइ, असच्चामोसवइजोगं पि
जुंजइ ।
SUTRA 150.
कायजोगं जुंजमाणे आगच्छेज्ज वा चिठ्ठेज्ज वा णिसीएज्ज वा तुयट्टेज वा उल्लंघेज्ज वा पल्लवेज्ज 5 वा उक्खेवणं वा पंक्खेवणं वा तिरियक्खेवणं बा करेज्जा पाडिहारियं वा पीढफळगसेज्जासंथारंगं पच्चपिणेज्जा ।
SUTRA 151.
से णं भंते! तहासजोगी सिज्झइ जाव अंत करेइ १ णो इण समहे ।
SUTRA 152.
से णं पुव्वामेव संणिस्स पंचिदियस्स पज्जत्तगस्स जहण्णजोगिस्स हेठ्ठा असंखेज्जगुणपरिहीणं पढमं मणजोगं निरंभ, तयाणंतरं च णं बिंदियस्स पज्जत्तगस्स जहणजोगिस्स हेट्ठा असंखेज्जगुणपरिहीणं विइयं बड़जोगं निरुभइ, तयाणंतरं च णं सुहुमस्स पणगजीवस्स अपज्जत्त15 गस्स जहण्णजोगस्स हेट्ठा असंखेज्जगुणपरिहीण तइयं कायजोगं रुिभइ |
IO
SUTRA 153.
सेणं एएणं [ पत्ते ] उवाएणं पढमं मणजोगं णिरुभइ २ त्ता वयजोगं णिरुभइ २ त्ता कायजोगं णिरंभइ २ त्ता जोगनिरोहं करेइ, २ त्ता अजोगत्तं पाउणइ, २ ता ईसिंहस्स पंचक्ख
१ A & B अव २ A 'जोगस्स. ३ Read in I
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$Sutra 156 ]
औपपातिकसूत्रम्
[ ९३
रुच्चारणद्ध|ए असंखेज्जसमइयं अतोमुहुत्तियं सेलेसि पडिवज्जइ, पुव्वरइयगुणसेढीयं च णं कम्मं तीसे सेलेसिमद्धाए असंखेज्जाहिं गुणसढीहिं अणते कम्मंसे खवयंते' वेयणिज्जाउयणामगाएँ इच्चेते चत्तारि कम्मंसे जुगवं खवेइ, २ त्ता ओरालियतेकम्माई सव्वाहिं विप्पज हैणाहिं विप्पजहइ, २ त्ता उज्जैसे- 5 ढीपडिवण्णे अफुसमा गई उर्दू एकसमएणं अविग्गण [उड् ]" गंता सागारोवउत्ते सिध्झइ ।
SUTRA 154.
ते णं तत्य सिद्धा हवंति सादीया अपज्जवासिया असरीरा जीवघेणा दंसणनाणोवउत्ता निडियठ्ठा निरेयणा नीरया णिम्मला वितिमिरा विसुद्धा सासयमणागयद्धं 10 कालं चिट्ठति ।
SUTRA 155.
तत्थ
से केणणं भंते! एवं बुच्चइ ' ते णं सिद्धा भवंति सादीया अपज्जवसिया जाव चिठ्ठति' १ गोयमा ! से जहा णामए बीयाणं अग्गिदड्राणं पुणरवि अंकुरुपपत्ती ण भवद्द, एवामेव सिद्धाणं कॅम्पबीए दड्ढे 15 पुणरवि जम्मुप्पत्ती न भवइ । से तेणट्टेणं गोयमा ! एवं वुच्चइ-ते. णं तत्थ सिद्धा भवंति सादीया अपज्जवसिया जाव चिठ्ठति ।
SUTRA 156.
जीवा णं भंते! सिज्झमाणा कयरंमि कयरंमि संघयणे सिज्झति ? गोयमा ! वइरोभणारायसंघयणे सिज्झति । 20
१ A खवेति. २ A गुत्ते ३ A यह ४ उज्जु. ५Read in L.
L
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औपपातिकसूत्रम्
[ Sutra 157
SUTRA 151.
जीवा णं भंते! सिज्झमाणा कयरंमि संठाणे सिज्यंति ? छण्हें संठाणाणं अण्णयरे संठाणे सिज्झति ।
गोयमा !
९४ ]
SUTRA 158.
जीवा णं भंते ! सिज्झमाणा कयरम्मि उच्चत्ते सिज्झति १ गोयमा ! जहणेणं सत्तरयणीए उक्कोसेणं 5 पंचधणुसइ सिज्झति ।
SUTRA 159.
जीवा णं भंते! सिज्झमाणा कयरम्मि आउए सिज्ज्ञांति ? गोयमा ! जहण्णेणं साइरेगढवा साउए उक्कोसेणं पुव्वकोडियाउए सिज्यंति |
SUTRA 160.
अस्थि णं भंते! इमसे रयणप्पहार पुढवीए अहे 10 सिद्धा परिवसति ? णो इणठ्ठे समहे, एवं जाव अहे सत्तमाए ।
SUTRA-161.
अत्थि णं भंते! सोहम्मस्से कप्पस्स अहे सिद्धा परिवसंति ? - णो इणठ्ठे समट्ठे, एवं सव्वेसिं पुच्छा, ईसाणस्स सणकुमारस्स जाव अच्चुयस्स गेवेज्जविमाणाणं 15 अणुत्तरविमाणाणं ।
SUTRA 162.
अत्थि णं भंते ! ईसीप माराए पुढवीए अहे सिद्धा परिवसति णो इणठ्ठे समहे ।
"
१ Aीओ. २ 4 स्सए ३ B सोहम्मकप्पस्स..
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F Sutra 163 ]
औपपातिकसूत्रम्
SUTRA 163. . से कहिं खाइ णं भंते ! सिद्धा परिवसंति ? गोयमा ! इमीसे रयणप्पहाए पुढवीए बहुसमरमाणिज्जाओ भूमिभागाओ उड़े चंदिमसूरियग्गहगणणक्खत्तताराभवणाओ बहुई जोयणाई, बहूई जोयणसयाई बहूइं जोयणसहस्साई बहूई जोयणसयसहस्साई बहूओ जोयणकोडीओ वहूओ । जोयणकोडाकोडीओ उडुतरं उप्पइत्ता सोहम्मीसाणसणंकुमारमाहिंदबंभलंतगमहासुकसहस्सारआणयपाणयआरणअच्चुएं तिण्णि य अहारे गेविज्जविमाणावाससए वीईवइत्ता विजयवेजयंतजयंतअपराजियसवठसिद्धस्स य महाविमाणस्स सव्वउवारल्लाओ थूभियग्गाओ दुवालसजोयणाई अवाहाए 10 एत्थ णं ईसीभारा णाम पुढवी पण्णत्ता पणयालीसं जोयणसयसहस्साई आयामविक्खंभेणं एगा जोयणकोडी बायालीसं च सयसहस्साई तीसं च सहस्साई दोण्णि य अउणापण्णे जोशणसए किंचि विसेसाहिए परिरएणं ।
SUTRA 164. . ईसीभाराए णं पुढवीए बहुमज्झदेसभाए अहजोयणिए 15 खेत्ते अह जोयणाई बोहल्लेणं, तयाणंतरं च णं मायाए २ परिहायमाणी २ सव्वेसु चरिमपेरंतेसु मच्छियपत्ताओ तणुयतराँ अंगुळस्स असंखेज्जइभागं पाहल्लेणं पण्णत्ता ।
SUTRA 165. ईसीपब्भाराए णं पुढवीए दुवालस णामधेज्जा पण्णत्ता, तं जहा-ईसी इ वा ईसीपभारा इ वा तणू इ वा तणु- 20
१. रूवाणं. २ Aणच्चुय. ३ बीती . ४ A इसि. ५ A बाहुल्लेणं. ६ A पडि'. ७. तरी. ८० तणु B तणुअरी.
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९६]
औपपातिकसूत्रम् [Sutra 169 तणू इ वा सिद्धी इ वा सिद्धालए इ वा मुत्ती इ वा मुत्तालए इ वा लोयग्गे इ वा कोयग्गथूभिगा इ वा लोयग्गपडिबुज्झणा इ वा सव्वपाणभूयजीवसत्तसुहावहा इ वा।
. SUTRA 166. 5 ईसीपब्भारा गं पुढवी सेया संखतळविमलसोल्लिया गा
लदगरयतुसारगोक्खीरहारवण्णा उत्ताणयछत्तसंठाणसंठिया सव्वज्जुणसुवण्णयमई अच्छा सहा लण्हा घटा मट्ठा णीरया णिम्मलो णिप्पका णिकंकडच्छाया समरीचिया सुप्पभा पासादीया दरिसणिज्जा अभिरूवा पडिरूवा।
SUTRA 167. 10 ईसीपब्भाराए णं पुढवीए सीयाए जोयणांम लोगते ।
तस्म जोयणास जे से उवरिले गाउए तस्स णं गाउ. यस्स जे से उवरिल्ले छभागे तत्थ णं सिद्धा भगवंतो सादीया अपज्जवसिया अणेगजाइजरामरणजोणिवे
यणं संसारकलंकलीभावपुणब्भवगब्भवासवसहीपवंचं अइ15 कंता सासयमणागयंद चिंठति ।
SUTRA 168. कहिं पडिहया सिद्धा? कहिं सिद्धा पदिठिया । कहिं बोदि चइत्ता णं, कत्थ गंतूण सिल्झई ?
' SUTRA 169. अलोगे पडिहया सिद्धा, कोयग्गे य पडिट्टियाँ । इहबोंदि चइता गं, तत्थ गंतुण सिज्झई ॥२॥ १ कचिनू-आयंस Noted in L. २ जण. ३ . लोगंतो. ४ A छभागिए, ५ B°वंता.६ A °वेयण'. ७ A °पवंचसम'. ८A गयमद्धं. ९L & B बोंदि... 1 पई'
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FSatra 176] औपपातिकसूत्रम्
[९७ SUTRA 170. जं संठाणं तु इहं भवं चयं तस्स चरिमसमयमि । आसी य पएसघणं तं संठाणं तहिं तस्स ॥३॥
SUTRA 171. एलिई वा हस्सं वा जं चरिमभवे हवेज्ज संठाणं । "तत्तो तिभागीणं सिद्धाणोगाहणा भणिया ॥४॥
SUTRA 172. तिण्णि सया तेत्तीसा धणुत्तिभागो य होइ बोद्धव्वों। 5 एसा खलु सिद्धाणं उक्कोसोगाहणा भणिया ॥५॥
SUTRA 113. चत्तारि य रयाओ रयाणितिभागूणिया य बोद्धव्वा । एसा खलु सिद्धाणं माज्झमओगाहणा भणिया ॥६॥
SUTRA 114. एका य होइ रयणी साहीया अंगुलीइ अह भवे । एसा खलु सिद्धाण जहण्णओगाहणा भणिया ॥७॥ 10
SUTRA 175. ओगाहणाए सिद्धा भवत्तिभागेण होति परिहीणा । संठाणमणित्थत्थं जरामरणविषमुक्काणं ॥ ८॥
SUTRA 176. नत्य य एगो सिद्धो तत्थ अणंता भवक्खयविमुक्का । अण्णोण्णसमोगाढा पुटा सव्वे य लोगते ॥९॥ १. हुस्सं, B रहस्सं. २ वा ३ A°त्ति. ४०°लाइं. ५ A होइ ६ A°समव.
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भोपपातिकसूत्रम् [Sutra 177
SUTRA 171. फुसइ अणंते सिद्धे सव्वपएसेहि' णियमसा सिदों। ते वि असंखेजगुणा देसपएसेहिं जे पुट्टा ॥१०॥
SUTRA 178. असरीरा जीवघणा उवउत्ता दसणे य णाणे य । सागारमणागारं लक्खणमेयं तु सिद्धाणं ॥११॥
SUTRA 179. 5 केवलणाणुव उत्तों जाणंती सव्वभावगुणभावे । पासंति सनो खलु केवलदिठीहिणताहि ॥ १२ ॥
SUTRA 180. ण वि अस्थि माणुसाणं तं सोक्खं ण वि य सव्वदेवाणं । जं सिद्धाणं सोक्खं अव्वाबाई उवगयाणं ॥ १३ ॥
. SUTRA 181. . जं देवाणं सोक्खं सव्वद्धापिडियं अणंतगुणं । . 10 ण य पावइ मुत्तिसुहं प्रताहिं वग्गवग्गृहि ॥ १४ ॥
SUTRA 182. सिद्धस्स सुहो रासी सम्बद्धापिंडिओ जई हवेजा। सोणंतवग्गभइओ सव्वागासे ण माएज्जा ॥१५॥
SUTRA 183. जह णाम कोइ मिच्छो नगरगुणे बहुविहे वियाणते । न चएइ परिकहे उवमाए तहिं असंतीए ॥ १६ ॥
160.
१ Aहिं. २ Aणियमसो सिद्धा. ३ B°गारा. ४ B°उत्ते. ५ A जाणिति; ६ A 'दट्टी अणंताहिं. ७ L Beads अणंताहि वि. ८. पि भवेज्जा ९L मेच्छो.
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F Sutra 189]. भोपपातिकसूत्रम्
SUTRA 184. इय सिद्धाणं सोक्खं अणोवमं णत्थि तस्स ओवम्म । किंचि विसेसेणेत्तो ओवम्ममिणं सुणह वोच्छे ।। १७॥
SUTRA 185. जह सव्वकामगुणियं पुरिसो भोत्तण भोयणं कोई। तण्हाछुहाविमुको अच्छेन्ज जहा अमियतित्तो॥१८॥
___SUTRA 186. इय सव्वकालतित्ता अउलं निव्याणमुवगया सिदा।। सासयमव्वाबाहं चिट्ठति सुही सुई पत्ता ॥ १९ ॥
SUTRA 187. सिद्धत्ति य बुद्धति य पारगयत्ति य परंपरगयत्ति । उम्मुक्ककम्पकवया अजरा अमग असंगा य ॥२०॥
SUTRA 188. णिच्छिण्णसव्वदुक्खा जाइजरामरणबंधणविमुक्का । अव्वाबाई सुक्खं अणु होती सासयं सिद्धा ॥ २१ ॥ 10
SUTRA 189. अतुलसुहसागरगया अव्वाबाई अणोवमं पत्ता। सव्वमणागयमद्धं चिठति सुही सुहं पत्ता ॥ २२ ॥
ओवाइयं सम्मत्तं ।।
१. सुक्खं. २ . बोच्छं. ३ B बोद्ध 'त्ति. ४ A° होति ५ A चिठ्ठति.
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