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औपपातिकसूत्रम्
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$ Sutra 93 ]
SUTRA 93.
पहू णं भंते ! अम्पडे परिव्वायए देवाणुप्पियाणं अंतिए मुंडे भावेत्ता अगाराओ अणगारियं पव्वइत्तए ?
SUTRA 94.
णो इणट्ठे समट्ठे, गोयमा ! अम्मडे णं परिव्वायए समणोवासए अभिगयजीवाजीवे जाव अप्पाणं भावेमाणे विहरइ, णवरं ऊसियफलिहे अवंगुदुवारे चियत्तंते उरघरदार- 5 पवेसी [ क्वचित्- चियत्तघरंते उरपवेसो ] एयं णं वुच्चइ ।
SUTRA 95.
पाणाइवाए
अम्मडस्स णं परिव्वायगस्स धूल ए पच्चक्खाए जावज्जीवाए जाव परिग्गहे णवरं सब्वे मेहुणे पच्चक्खाए जावज्जीवाए ।
SUTRA 96.
अम्मडल्स णं परिव्वायगस्स णो कप्पइ अक्खसोयप्पमाण- 10 तंपि जलं सयराहं उत्तरित्तए, णण्णत्थ अद्धाणगमणेण । अम्मडस्स णं णो कप्पइ सगडं वा एवं तं चैव भाणियन्त्रं जाव णण्णत्थ एगाए गंगा मट्टियाए । अम्मडस्स णं परिव्वायगस्त णो कप्पड़ आहाकम्मिए वा उदेसिए वा मी सजाए इ वा अज्झोयरए इ वा पूइकम्मे इ वा 15 कीयगडे इ वा पामिच्चे इ वा अणिसिहे इ वा अभिडे इ वा उत्तए वा रईत्तए वा कंतारभत्ते इवा दुब्भि
१ B अहि. २ Noted in L ३ L उवियर, B ठवेइत्तए रइयए. औ. सू. १०