Book Title: Ovavaiya Suttam
Author(s): N G Suru
Publisher: N G Suru
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७२] औपपातिकसूत्रम्
[ Sutra 89 भासइ एवं परूवेई । “ एवं खलु अंबडे परिव्वायए कंपिल्लपुरे णयरे घरसए आहारमाहरेइ, घरसए वसहिं उवेइ, से कहमेयं भंते ! एवं "।
SUTRA 90. "गोयमा ! जं णं से बहुजणे अण्णमण्णस्स एवमा5 इक्खइ जाव एवं परूवेइ-'एवं खलु अम्मडे परिव्वायए कंपिल्लपुरे जाव घरसए वसहिं उवेइ, सच्चे णं एसमठे, अहंपि णं गोयमा ! एवमाइक्खामि जाव एवं परूमि 'एवं खलु अम्मडे परिव्वायए जाव वसहिं उवेइ"।
SUTRA 91. से केणटेणं भंते ! एवं वुच्चइ-अम्मडे परिव्वायए 10 जाव वसहिं उवेइ ?
SUTRA 92. "गोयमा! अम्मडस्स णं परिवायगस्स पगइभद्दयाए जाव विणीययाए छंछटेणं अनिक्खित्तेणं तवोकम्मेणं उड़े बाहाओ पगिज्झिय २ सूराभिमुहस्स आयावण
भूमीए आयावेमाणस्स सुभेणं. परिणामेणं पैसत्थेहिं 15 अज्झवसाणेहिं पसत्थाहिं लेसाहिं विसुज्झमाणीहिं अन्नया
कयाइ तदावरणिज्जाणं कम्माणं खओवसमेणं ईहावूहामग्गणगवेसणं करेमाणस्स वीरियलद्धीए वेउन्वियलद्धीए ओहिणाणलद्धीए समुप्पण्णाए जणविम्हावणहेउं कंपिल्लपुरे गगरे घरसए जाव वसहिं उवेइ, से तेणटणं गोयमा! 20 एवं वुच्चई-अम्मडे परिवायए कंपिल्लपुरे णयरे घर
सए जाव वसहिं उवेइ। १ B अम्मडे. २ B छठं. ३ Not in A. ४ L° पूह. ५ Read in B.

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