Book Title: Ovavaiya Suttam
Author(s): N G Suru
Publisher: N G Suru
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७४ ]
औपपातिकसूत्रम्
$ Sutra 97
क्खभत्ते इ वा गिलाणभत्ते इ वा वद्दलियाभत्ते इ वा पाहुणगभत्ते इ वा भोत्तर वा पाइत्तए वा । अम्मडस्स णं परिव्वायगस्स णो कप्पर मूळभोयणे वा जावं बीयभोयणे वा भोत्तर वा पाइत्तए वा ।
SUTRA 97.
अम्मडस्स णं परिव्वायगस्स चउन्विहे अणहादंडे पच्चक्खाए जावज्जीवाए । तं जहा : – अवज्झाणायरिए पमायायरिए हिंसप्पयाणे पावकम्मोवएसे |
SUTRA 98.
"
अम्पड स कप्पइ मागहए अद्धाढए जलस्स पडिग्गाहित्तए से वि य वहमाणए णो चेव णं अवहमाणए 10 जाव से विय परिपूए णो चेव णं अपरिपूए से वि य सावज्जे ति काऊं णो चेव णं अणवज्जे से वि य जीवा ति काउं णो चेव णं अजीवा से विय दिण्णे णो चैव णं अदिण्णे से वि य इत्थपाय- ' चरुचमस पक्खालणट्ट्याए पिबित्तए वा णो चेव णं सिणा15 इत्तए । अम्मडस्स कप्पड़ मागहए यें आढए जलस्स पडिग्गाहित्तए, से वि य वहमाणए जात्र णो चेवणं अदिण्णे, सेविय सिणाइत्तए णो चेव णं हत्यपायचरुचमसपक्खालणयाए पिवित्तए वा ।
SUTRA 99.
अम्मडस्स णो कप्पइ अण्णउत्थियाँ वा अण्णउत्थिय20 देवया । ण वा अण्णउत्थियपरिग्गहियाणि वा चेहयाई
१ L, B. पातए २ A अणत्थ. ३ A, B. कट्टु. ४ Not read in L. 4 LB ° उत्थिए

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