Book Title: Ovavaiya Suttam
Author(s): N G Suru
Publisher: N G Suru
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$ Sutra 87 ]
औपपातिकसूत्रम्
भग
पच्चक्खाए जावज्जीवाए, इयाणि अम्हे समणस्स ओ महावीरस्स अंतिए सबं पाणाइवायं पच्चक्रखामो जावज्जीवाए, एवं जाव सव्वं परिग्गदं पच्चक्खामो जावज्जीवाए, सव्वं कोहं माणं मायं लोहं पेज्जं दोसं कलहं अब्भक्खाणं पेसुण्णं परपरिवार्यं अरइरई माया - 5 मोसं मिच्छादंसणस अकरणिज्जं जोगं पच्चकखामो जावज्जीवाए, सव्वं असणं पाणं खाइमं साइमं चउत्रिहं पि आहारं पच्चक्खामो जावज्जीवाए । जंपिय इमं सरीरं इछं कंतं पियं मणुण्णं मणामं पेज्जं थेज्जं बेसासियं समयं बहुमयं अणुमयं भंडकरंडगसमाणं माणं 10 सीयं मा णं उन्हें मा णं खुहा मा णं पिवासा मा णं वाला मा णं चोरा मा णं दंसा मा णं ममुगा मा णं वाइयपित्तियसिंभियसंनिवाइयविविहा रोगायंका परीसहोसंगा फुसंतु त्ति कट्ट एयंपिणं चरमेहिं ऊसासणीसासेहिं बोसिरामि त्ति कट्ट संलेहणासणाझूसिया 15 भत्तवाणपडियाइक्खिया पाओवगया काळं अणवखमाणा विहरंति ।
[ ७१
SUTRA 88.
तए णं ते परिव्वाया बहूई भत्ताई अणसणाए छेदेन्ति छेदित्ता आलोइयपडिक्कंता समाहिपत्ता कालमासे कालं किच्चा बंगलोए कप्पे देवत्ताए उबवण्णा । तहिं तेसिं गई 20 दससागरोवमाई ठिई पण्णत्ता, परलोगस्स आराहगा, सेसं तं चैव ।
SUTRA 89.
बहुजणे णं भंते ! अष्णमण्णस्स एवमाइक्खड़ एवं
Read in L, and B. २ B. L. चरिमेहिं.

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