Book Title: Ovavaiya Suttam
Author(s): N G Suru
Publisher: N G Suru

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Page 73
________________ $ Sutra 86 ] औपपातिकसूत्रम् सत्त अंतेवासिसयाइं गिम्हकालसमयांस ' जेहामूलमासमि गंगाए महानईए उभओकूलेणं कंपिल्लपुराओ जयराओ पुरिमतालं णयरं संपडिया विहाराए। SUTRA 83. तए णं तेसिं परिव्वायगाणं तीसे अगामियाए छिण्णोवायाए दीहमद्धाए अडवीए कंचि देसंतरमणुपत्ताणं । से पुव्वग्गहिए उदए अणुपुव्वेणं परिभुंजमाणे झीणे । SUTRA 84. तए ण ते परिवाया झीणोदगा समाणा ताए पारम्भमाणा २ उदगदातारमपस्समाणा अण्णमण्णं सद्दावैति २ त्ता एवं वयासी। SUTRA 85. " एवं खलु देवाणुप्पिया ! अम्हे इमीसे अगामिआए 10 जाव अडवीए कंचि देसंतरमणुपत्ताणं से उदए जाव झोणे तं सेयं खलु देवाणुप्पिया! अम्हं इमीसे अगामियाए जाव अडवीए उदगदातारस्स सबओ समंता मग्गणगवेसणं करित्तए" त्ति कट्ट अण्णमण्णस्स अतिए एयम पडिसुणेति २ ता तीसे अगामियाए जाव अड- 15 वीए उदगदातारस्स सव्वओ समंता मग्गणगवेसणं करेंति २ त्ता उदगदातारमलभमाणा दोचंपि अण्णमण्णं सद्दावेन्ति २ त्ता एवं वयासी। SUTRA 86. " इह भणं देवाणुप्पिया! उदगदातारो णत्थि तं णो १. पारज्झ° २L अम्हं.

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