Book Title: Ovavaiya Suttam
Author(s): N G Suru
Publisher: N G Suru

View full book text
Previous | Next

Page 49
________________ Sut. 49-] औपपातिकसूत्रम् ४५ जायसंगयाहिं अमलियसियकमलविमलुज्जलियरययगिरिसिहरविमलससिकिरणसरिसकलघोयनिम्मलाहिं पवणाहयचवलललियतरङ्गहत्थनच्चंतबीइपसरियखीरोदगपवरसागरुप्पूरचंचलाहिं माणससरपरिसरपरिचियावासविसयवेसाहिं कणगगिरिसिहरसंसियाहिं ओवश्य उप्पइयतुरियचवलजइणसिग्घवेगाहिं 5 हंसवधूयाहिं चेव कालिए णाणामाणिकणगरयणविमलमहरिहतवणिज्जुज्जलविचित्तदण्डाहिं विल्लियाहिं नरवइसिरिसमुदयपगासणकरीहिं वरपट्टणुग्गयाहिं समिद्धरायकुलसेवियाहिं कालागुरुपवरकुन्दुरुकवरवण्णवासगन्धुदुयाभिरामाहिं सललियाहिं उभओपासं उक्खिप्पमाणाहिं चामराहिं कलिए सुह-10 सीयलवायवीइयंगे] मंगलजयसदकयालोए मजणघराओ पडिणिक्खमइ२त्ता अणेगगणनायगदंडनायगराईसरतलवरमाडंबियकोकुंबियइन्भसेठिसेणावइसत्यवाहदयसंधिवालसद्धिं संपरिबुडे धवलमहामेहाणग्गए इव गहगणदिप्पंतरिक्खतारागणाण मज्झे ससिव पिअदंसणे णरवई जेणेव बाहिरिया उवहाणसाला 15 जेणेव आभिसे के हत्थिरयणे तेणेव उवागच्छइ उवागच्छित्ता अंजणगिरिकूडसण्णिभं गयवई गरवई दुरूढे ॥ ___SUTRA 49. तरु णं तस्स कूणियस्स रण्णो भंभसारपुत्तस्स आभिसेकं हत्थिरयणं दुरूढस्स समाणस्स तप्पढमयाए इमे अष्ट मंगलया पुरओ अहाणुपु-वीए संपठिया । तं जहाः- 20 सोत्थिय-सिरिवच्छ-णंदियावत्त-वद्धमाणग-भदासण-कलस-मच्छ-दप्पणा। तयाणंतरं च णं पुण्णकलसभिंगारं दिव्वा य छत्तपडागा सचामरा दंसणरइयआलोयदरिसणिज्जा वाउँद्धयविजयवेजयंती य सिया गगणतलमणु १ Noted in L. २ B सोत्थिय'. ३ . दय.

Loading...

Page Navigation
1 ... 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104