Book Title: Ovavaiya Suttam
Author(s): N G Suru
Publisher: N G Suru

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Page 40
________________ औपपातिकसूत्रम् [ Sut. 38 लफासाओं वचगयकलिकलुसाओ घोयनिद्धंतर यमलाओ सोमाओ कंताओ पियदसणाओ सुरूवाओ जिणभत्तिदंसणारागेणं हरिसियाओ ओवइयाओ यावि जिणसगासं दिव्वे - णं सेसं तं चैव नवरं ठियाओ चेव । ३६ SUTRA 38. 5 सणं. चंपाए णयरीए सिंघाडगतिगचउक्कचच्चरचउम्मुहमहापहप महया जणसद्दे इ वा [ क्वचित् बहुजणसदे इ वा जगवाए इ वा नकुलावे इवा ]' जणवृद्दे इ वा जणबोले इ वा जणकलकले इ वा जणुम्मीइ वा जणुकलिया इ वा जणसणिवा इ वा बहुजणो अण्णमण्णस्स एव - 10 माइक्खइ एवं भासइ एवं पण वेइ एवं परूवेई – “ एवं खलु देवाणुपिया ! समणे भगवं महावीरे आइगरे तित्थगरे संयंसंबुद्धे पुरिसुत्तमे जाव संपादिकामे पुव्वाणुपुविं चरमाणे गामाणुरगामं दूइज्माणे इहमा गए इहसंपत्ते इह समोसढे इहेवं चंपाएँ णयre वहिं पुorn दे चेहए अ15 हापडिरूवं उग्गहं उग्गिण्हित्ता संजमेणं तवस अप्पाणं भावेमाणे विहरइ । तं महाफलं खलु भो देवाप्पिया ! तहारूवाणं अरहंताणं भगवंताणं णामगोयस्स वि सवणयाए, किमंग उण अभिगमणवंदणणमंसणपडिपुच्छणपज्जु-' वासणयाए ? एगस्स वि आयरियस्स धम्मियस्स सुव20 यणस्स सवणयाए, किमंग पुण विउलस्स अट्ठस्स गहण - याए ? तं गच्छामो णं देवाणुप्पिया ! समणं भगवं महावीरं वंदामो णमंसामो सकारेमो सम्माणेमो कल्लाणं मंगलं देवयं चयं [ विणणं ] पज्जुवासामो एयं णे पेच्चभवे भवे मैं हियाए सुहाए खमाए निस्सेयसाए आणु १. Noted in L & Com. २ Lसह ३ L. ४ B° चंपानगरीए. ५ B° बहिया. ६ B पुण. ७ A एक्स्स. ८ A अत्थस्स. ९ Noted in A. १० B नो. ११ पाठान्तरे इह भवे य परभवे य - Noted in L & Com. Breads. पिच्चर भवे इह भवे वा.

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