Book Title: Ovavaiya Suttam
Author(s): N G Suru
Publisher: N G Suru

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Page 23
________________ Sut. 29-1 औपपातिकसूत्रम् १९ सूरो' इव दित्ततेया सागरो इव गंभीरा विहग इव सव्वओ विप्पमुक्का मंदरो इव अप्पकंपा सारयसलिलं इव सुद्धहियया खग्गविसाणं इव एगजाया भारंडपक्खी व अप्पमत्ता कुंजरो व सोंडीरा वसभो इव सीहो इव दुद्धरिसा वसुंधरा इव सव्वफासविसहा सुहु- 5 यहुयासणो इव तेयसा जलता ।। जायत्थामा SUTRA 28. नत्थि णं तेसिणं भगवंताणं कत्थइ पाडबंधे भर्व । से य पडिबंधे चउव्विहे पण्णत्ते । तं जहा - दव्वओ खेतओ कालओ भावओ । दव्वओ णं सचित्ताचित्तमीसिएस दव्वेसु । खेत्तओ गामे वा णयरे वा रण्णे वा खेत्ते वा खले वा 10 घरे वा अंगणे वा । कालओ समए वा आवलियाए वा जाव [ यावच्छन्दादिदं दृश्यम् - आणापाणु वा थोवे वा लवे वा मुहुत्ते वा अहोरत्ते वा पक्खे वा मासे वा ] अयणे वा अण्णय वा दीहकालसंजोगे । भावओ कोहे वा माणे वा मायाए वा लोहे वा भए वा हासे वा । एवं तेसिं ण भवइ | 15 SUTRA 29. ते णं भगवंतो वासावासवज्जं अठ्ठ गिम्हहेमंतियाणि मासाणि गामे एगराइया णयरे पंचराइया वासीचंदणसमाणकप्पा समलेठ्ठकंचणा समसुहदुक्खा इहलोगपरलोगअप्पडिबद्धा संसारपारगामी कम्मणिग्घायणढाए अब्भुट्टियों विहरति । [ ( अण्ड (अंडजे ) इ वा पोयए ( बोंडजे ) 20 इ वा उम्गाईप इ वा परगाईए वा )" जं णं जं णं दिसं १ A सूर. २ B, L खग्ग - ३ A भारंड ४ L विव. ५ L सोडीरा. ६ Read only in A ७ L भवइ. ८ A खित्तओ. ९मीसएस . १० B अब्भुट्टेता. ११ Noted only in Com

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