Book Title: Ovavaiya Suttam
Author(s): N G Suru
Publisher: N G Suru

View full book text
Previous | Next

Page 34
________________ औपपातिकसूत्रम् . [Sut. 33 संवरवेरग्गतुंगकूवयसुसंपउत्तेणं णाणसियविमलमूसिएणं सम्मत्तविसुद्धलद्धणिज्जामएणं धीरा संजमपोएण सलिकलिया पसत्थज्झाणतववायपणोल्लियपहाविएणं उज्जमववसायग्गहियणिज्जरणजयणउवओगणाणदंसण [ चरित्त ]' विसुद्धवय5 [वर ] भंडभरियसारा जिणवरवयणोवदिठमग्गेण अकुडिलेण सिद्धिमहापट्टणाभिमुहा समणवरसत्थवाहा सुसुइसुसंभाससुपण्हसासा गामे गामे एगरायं णगरे णगरे पंचरायं देइज्जंता जिइंदिया णिब्भया गयभया सचित्ताचित्तमीसिएसु दव्वेसु विरागयं गया संजया [विरता] मुत्ता लहुया 10 णिरवकंखा साहूणिहुया चरंत धम्मं ॥ SUTRA 33. तेणं कालेणं तेणं समएणं समणस्स भगवओ महावीरस्स बहवे असुरकुमारा देवा अतियं पाउभवित्था, कालमहाणीलसरिसालगुलियगवलअयसिकुसुमप्पगासा वि यसियसयवत्तमिव पत्तलनिम्मला ईसासियरत्ततंबणयणा 15 गरुलाययउज्जुतुंगणासा ओयवियसिलप्पवालाबिंबफलसाण्ण भाहरोठा पंडुरससिसयलविमलणिम्मलसंखगोखीरफेणदगरयमुणालियाधवलदंतसेढी हुयवहणिद्धतधोयतत्ततवणिज्जरत्ततलतालुजीहा अंजणघणकसिणरुयगरमणिज्जणिद्धकेसा वा मेगकुंडलधरा अदचंदणाणुलित्तगत्ता ईसीसिलिंधपुष्फप्पगोसाई 20 असंकिलिठाई सुहुमाइं वत्थाई पवरपरिहिया वयं च पढमं समइकंता विइयं चै असंपत्ता भद्दे जोव्वणे वट्टमाणा तलभंगयतुडियपवरभूसणनिम्मलमणिरयणमंडियभुया १ Noted in L. २ L notes it. ३ B दुइज्जंता, ४ B_L मसिएस ५ Read in B. ६ A° निम्मलईसिं ७ A उअचि ८ Not in L ९ B, साइयअसं १० A च वयं.

Loading...

Page Navigation
1 ... 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104