Book Title: Navpada Prakaran
Author(s): Devguptasuri
Publisher: Devchand Lalbhai Pustakoddhar Fund

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Page 76
________________ श्री नवपद प्रक० वृत्तौ ॥ ३१ ॥ Jain Education I पेम अहं ससुरसमवनं संदेहो ॥ १५ ॥ समुरो वसुमित्ताविय दोणिवि उज्जेणिहुत्त यपयट्टा । जीयहरंमि द्वाणे माहणभट्टस्स हम ॥ १६ ॥ विहाणाईया संझासमयम्मि पिढग कथम्मि । ति ( तीमण) कढिजमाणे उर सप्पेण नेव्वस्स ॥१७॥ उंदरदंसण हेलाए धाविओ वाहिऊण पडिओ सो । तत्तयतीमणमज्झे डोएणं खंड खंडिकआ ।। १८ ।। रयणीभूए ताहे वसुमित्तान ras ससुरो । माहणभट्टोविडिओ असारओ परियणो जिमिओ ॥ १९ ॥ सत्पविसपभावेगं मओ पभाए पहहु दंसणओ । जाये बहुमार्ग से वसुमित्ता उवरि जमतं ॥ २० ॥ जीयहरणाउ दसउर चाउलदत्तस्स पाविया गेहं । पारद्धं कत्तवं रयणी जाया य ताणं तु ॥ २१ ॥ चाउलदत्तस्स उ तस्स पुतो आइचसोम स परदाररओ | कुलपुत्तयमहिलाए रत्तो सो पाविओ तेणं ||२२|| हासेr बद्धो ऊरुच्छेतूण दावियं स घरे । महिलं घितुं नो रयणीए अन्नगामम्मि ||२३|| तं मंसंमिय सिद्धं वसुमत्ता मंसमेलियं रद्धं । न य भुंज चाउलेगवि पुत्तो हु गवेसिओ दिहो || २३ || तयवत्थं दहूणं समुरेण पसंसिया वसूमित्ता । रयणीभत्तं अह विवज्जियं निबं ||२४|| सोहणधम्मो लद्बो अम्हे हिवि एस चेत्र पडिवण्णो। ता गच्छामो सगिहं भत्ता अवि सावओ जाओ || २५ || सिध भोत्तणं कालं काउं तओ य सोहम्मे । देवा तिष्णिवि जाया सामू ससुरा य वसुमित्ता ॥ २६ ॥ ऊण तओ ससुरो सिरिधम्मो रायउत्तओ जाओ । वसुमित्ता सिरिदेवी से कुलंनी समुप्पन्ना ||२७|| सेट्ठो वद्धावणयं कारावह तंमि दिवसजायाणं । पण्णरस दारियाणं रूववईणं घणो सेट्ठी || २८ || अट्ठवरिसाओ अक्खरकलाओ गाइ तत्थुवज्झाओ | सासू जीवोचविधं देवजसा ताण मज्झमि || २ || सिरिधम्मो देवजता गहिया कोढेग दोवि कालेणं । देवजसा व्हाणुदएण सिरिदेवीए उपगतं ॥ ३० ॥ सिरिधम्मनिमितेगं पिउणा नीणाविओ पडओ से। देवजसाए छित्तो नेमित्तियवयण For Private & Personal Use Only भोगोपभोग परिमाण व्रतम् ॥ ३१ ॥ w.jainelibrary.org

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