Book Title: Navpada Prakaran
Author(s): Devguptasuri
Publisher: Devchand Lalbhai Pustakoddhar Fund
View full book text
________________
परिपाल्य मोक्षं च, ब्रह्मदत्तोऽपि निदानफलेनापरित्यक्तविषयानुरागो मृत्वा सप्तमनरकपृथिव्यां त्रयस्त्रिंशत्सागरोपमस्थितिनारकः समुत्पनः, पुनः संसार भ्रमिष्यतीति ॥
पंडुरज्जाकहाण-सिरिदेवीनविहि हत्विणिरुवेग रंगमज्झम्मि । दाएंई छेरंती गोयम चरहिं सहस्से हि ॥१॥ दाऊण गया सगं गोयमपुच्छा य करण पुन्वभवे । राबगिहे भू एसा धुया य सुदंसणपियाए ॥२॥ जोवणपत्तावि केणइ विवाहिया
नेव कम्मदोसे । वडकुमारी जाया भत्तारविवजिया तइया ॥ ३ ॥ पासस्स समोसरणं बंदणवडियाए निग्गया सा उ। अम्मा| पिइयापुच्छण महया इऔर निकलंता ॥ ४ ॥ अह फुल्लचूलपासे कम्मुदएणं च बउसपरिणागो। जेट्टाले मासे मलेण घत्था
इमं कुणइ ॥ ५॥ कक्खयणगुज्झपाया धोयइ सय तहेव अविहोर। चौराणि अकालम्मी निवारणं मयदरी कुणइ ॥६॥ ! मणिधाउ परेगं हत्थे पार य धोय सपा । वसंतरगुज्झतरथ गंतराई य राधा ॥७॥ जं जं सहावही गं अगं किर किंपि दूसग कुणइ । तस्स हत्याइ । उपजइ दूस तसा ८॥ अच्छउ ता अण्णजणो अंगुप्पन्नाई पंच दिवाई। तेसि चियलजिजइ पारद्धं परिहरंदि ॥९॥ असुई अपेच्छणि दुगंध मुत्तोणिपदुवारं । धोवंति खगं सुदं एकारससोयसंजुत्तं ॥१०॥ बहुसोवि भण्णमाणा न जाव छडे हटगोणिव्य । ताहे मंडलिबहिया सा उ कया सेसरक्खट्टा ॥ ११ ॥ तंबोलपत्तना अणवट्ठ तहा थठाणठवगं च । कहिय तीए पा सारणचइया पुढो पहिया ॥ १२ ॥ सच्छंदठाणगवेसयस्स सच्छंदगहियभिक्खस्स । साणादिपरिभवो तंमा मे सबवि एगागी ॥१३॥ तिम्हारेणं अजा भिक्खविवाराइएसु पडिसिद्धा । संकाईया दोसा जेणित्थी एक वयरिसया ॥ १४ ॥ तवनियमसंजमागं जहियं हाणि न कप्पर तत्व । तिगबुडी तिगसोही पंचविमुद्धी मुसोक्खाय
JanEducation in
For Private sPersonal use Only
Niainelibrary.org

Page Navigation
1 ... 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138