Book Title: Nandanvan Kalpataru 2009 10 SrNo 23
Author(s): Kirtitrai
Publisher: Jain Granth Prakashan Samiti
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_(४)
रचयिता यथाऽहं काव्यानाम्, त्वं भवेः शिशूनां रचयित्री । शैशवकलरवकेलिभिरनिशम्, भव भवने प्रहर्षजनयित्री ॥
कविरहं भवेस्त्वं कवयित्री ॥४॥
यदहं वदामि निजमनसि तथा, त्वं भव मम भावचित्रयित्री । अनुकूलाऽऽचरणं कुर्वाणा, सुभगे ! भव मनोभावयित्री ॥
कविरहं भवेस्त्वं कवयित्री ॥५॥
-२९५/१४, पट्टीरामपुरम्, खेकड़ा (बागपत) उ.प्र. २५०१०१
दूरभाषाङ्काः ०१२१२२३३५२७
२०
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