Book Title: Nandanvan Kalpataru 2003 00 SrNo 10
Author(s): Kirtitrai
Publisher: Jain Granth Prakashan Samiti

View full book text
Previous | Next

Page 52
________________ सदा पश्यामः सहर्षम्, ख्खे सवायुस्पन्दनन्ते, ___भारतध्वज ! वन्दनन्ते ॥३॥ प्रभाते सह जयतुकारैरुत्त दक्षिणे पूर्वे, पश्चिमे।सह पुष्पहारैः । हिमकणैः सामुद्रभङ्गैः, समं कुर्मः सिञ्चनन्ते । भारतध्वज ! वन्दनन्ते ॥४॥ freit }}} 9414¥¥¥¥¥¥¥¥¥¥¥¥¥¥¥¥¥¥¥¥¥¥¥¥¥¥¥¥¥¥¥¥ यशो नस्तव यशसिकेतो ! त्वदपमाने नोऽपमानः, जयं याहि सदेति हेतोः । तव कृते संत्यक्तप्राणाः, वीरपुरुषास्त्वयि रमन्ते । भारतध्वज ! वन्दनन्ते ॥५॥ ** ** नभोभूषा पूषा कमलवनविभूषा मधुकरो वचोभूषा सत्यं वरविभवविभूषा वितरणम् । मनौभूषा मैत्री मधुसमयभूषा मनसिजः सदोभूषा सूक्तिः सकलगुणभूषा च विनयः ॥ (वचनामृतशास्त्रनीतौ) 43 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140