Book Title: Nandanvan Kalpataru 2003 00 SrNo 10
Author(s): Kirtitrai
Publisher: Jain Granth Prakashan Samiti

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Page 123
________________ का Jain Education International दी तत्काल एव सिद्धराज्ञः सेवको रक्तपटपरिधानं गृहीत्वा समुपस्थितः । आर्यपुत्र इदं रक्तपटपरिधानं गृहाण, राज्या ते श्वश्र्वा प्रेषितं वर्तते । नूतनपरिणीतेन त्वयैतद् दशदिनपर्यन्तं परिधातव्यमित्याज्ञापयति । कार एक किमी ड) साम 811 114 For Private & Personal Use Only अहो मे सौभाग्यम् । योग्यकाले रक्तपटपरिधानमुपलब्धम् । राज्य मे गौरवाभिनन्दनमावेदय । TOTH www.jainelibrary.org

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