Book Title: Mahimna Stotra Tika
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir नंसमवायिकारणक्षवनाकारणनिष्याद्यमस्येतिकिमुपादानः सर्वत्रकिशब्दआक्षेपे इतिशब्दःप्रकारा र्थ: चशब्दशंकांतरसमुच्चयार्थः कुलालोहि घटकुर्वनस्वशरीरेणव्याप्रियमाणेनचक्रमणादिचेष्ट पासलिलसूभाछपायेनचकादावाधारेमृदमुपादानभूतांघटालारांकरोतिएवंजगत्कापिवाच्यात थाचकुलालादिवदनीश्वरएवेत्यभिप्रायः घटादिदृष्टांतेनरखलक्षित्यादेःसकर्तृकंसाधते तथाच|| अतर्येश्वर्येत्वय्यनवसरदुस्थोहतधियःकुतऊर्यकांश्चिन्मुरवरयतिमोहायजगतः५ घटादिकतरिकर्तृत्वोपायिकंयावदृष्टंक्षित्यादिक-पितावदवश्यखीकर्तव्यदृष्टांतस्यतुल्यत्वा द तथाचोभयतः पाशारज्जः तदंगीकारेऽस्मदादितुल्यत्वादनीश्वरत्वंतदनंगीकारेचकर्तृत्वानुप पत्याऽसिदिरेवेत्येवंरूपःकुतर्क इत्यर्थः सिद्धांतंदकुतर्कविशिष्टि अनवसरदस्थ नास्त्यव सरोऽवकाशोऽस्येत्यनवसंरःअतएव दुस्थ दुष्टत्वेनस्थितः विचित्रनानाशक्तिमायावशेनसर्वनिन For Private and Personal Use Only

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