Book Title: Mahimna Stotra Tika
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir टी. ह कादृशीसा खात्मा स्वःसच्चिदानंदात्मकस्त्वमेधात्मस्वरूपंयस्याःसातथा त्वय्यध्यस्तासास्वसत्तास्फू निप्रदत्वाकर्थव्यामोहयेदित्यर्थः अत्रापिचकादीनांभगवद्विभूतित्वं विष्णुपुराणादीप्रसिद्धम् 8 एवं स्तत्ययोर्हरिहरयोर्निर्गुणंसगुणचस्वरुपंनिरुपितंसंप्रतिस्ततःप्रकारंनिरुपयन्स्तोति हेपुरमथन तेःस्ततिप्रकारेस्त्वांस्तवन्नजिहेमिनाहंलज्जेविस्मितइवजातचमत्कारइव यथाकश्चिद्भुतंदृष्ट्या प्रवकश्चित्सर्वसकलमपरस्त्वदुवमिदंपरोधीव्याधीव्येजगतिगदतिव्यस्तविषये विस्मितस्तत्परपशवालोकोपहासमगणयित्वाविचेष्टनेतथाहमपिस्तोतुमयनजानातीतिजनोमांड पहसिष्यतीतिलज्जामगणयन्तस्ततोपत्तोस्मीत्यर्थः तै:कै प्रकारेरित्याह प्रयमित्यादि कश्चित्को पिसारव्यपातंजलमतानुसारीसर्वसमग्रंजगत्ज न्मनिधनरहितम् सदेवगदतिव्यक्तं वदतीत्यर्थः नासतःउत्पत्तिःसंभवतिनवासतोविनाशइत्याविर्भावतिरोभावमात्रमुत्पत्तिविनाशशब्दाभ्यामति For Private and Personal Use Only

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