Book Title: Mahimna Stotra Tika
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Page 17
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir तिरिसर्वतर्कागोचरेत्वयिनास्तिकतर्कायसरइत्यर्थः तथाचोक्तम् अचिंत्याःरवलयेभावानतांस्त णियोजयेदिति नचघटादिकरियावदृष्टंतावक्षित्यादिकपिसाधनीयम् व्याप्तिविनासा मानाधिकरण्यमानस्यासाधकत्वात् अन्यथामहानसेधूमबह्मााप्तिग्रहणसमयेव्यंजनादिमत्त्व मपिदृष्टमितिपर्वतादावपितदनुमानस्यात्तस्मात्साधर्म्यसमाजातिरेषास्वव्याघातकत्वादनुत्तरम् अजन्मानोलोकाःकिमवयववंतोपिजगतामधिष्ठातारंकिंभवविधिरनादृत्यभवति परांझोतंचात्रसूरिभिरित्युपरम्यते हरिपक्षेप्येवम् 5 एवंप्रतिकूलतर्कपरिहत्यानुकूलतर्क मुझा वयन्तोति अजति हेअमरवरसर्वदेवश्रेष्ठअवयववंतोपिसावयवाअपिलोकाःक्षित्यादयःकि, अजन्मानः जन्म हीना किंतुजन्याएवेत्यर्थः तेनसावयत्वेनक्षित्यादेर्नजन्यत्वहेतोरसिद्धत्वम् यावहिकारंतुविभागोलोकवदिदिन्यायाद ससमानसत्ताकोदप्रतियोगित्वेनैवजन्यत्वनियमा For Private and Personal Use Only

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