Book Title: Mahimna Stotra Tika
Author(s):
Publisher:
View full book text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir भूतार्थवादस्तदानादर्थवादस्त्रिधामतइति तत्रधिविधानामप्यर्थवादानांविधिस्ततिपरत्वेसमाने पिभूतार्थवादानांस्वापिप्रामाण्यम् देवताधिकरणन्यायात अबाधिताज्ञातार्थज्ञापकलंहियामा ग्यम् तच्चबाधितविषयत्वावज्ञापकत्वाचनगुणवादानुवादयोःभूतार्थवादस्यतस्वार्थतात्पर्यरे हितस्याप्योत्सर्गिकंप्रामाण्यनविहन्यते तदेवं निरूपितार्थवादमाग:विध्यर्थवादोभयषिलक्षणे तुवेदांतवाक्यंतच्चाज्ञातज्ञापकत्वेष्यनुष्ठानाप्रतिपादकत्वान्नविधिःस्वतःपुरुषार्थपरमानंदज्ञाना मकब्रह्मणिस्वार्थेउपक्रमोपसंहारादिषड़ियतापर्यलिंगवत्तयास्वतःप्रमाणभूतसर्वानपिषि धीनंतःकरणशविहारास्वशेषतामापादयंदन्यशेषत्वाभावाचनार्थवादः तस्मादुभयविलक्ष णमेववेदांतवाक्यम तच्चकचिदज्ञातज्ञापकत्वमात्रेणविधिरितिव्यपदिश्यते विधिपदहि / तप्रमाणवाक्यत्वेनचकचितार्थवादतिव्यवहियतेइतिनदोषः तदेवनिरूपितंत्रिविधं ब्राह्म णम् एवचकमकाडब्रह्मकांडात्मकोवदाधमार्थकाममोक्षहेतुः सचण्योगत्रणयज्ञानियोहार्यमृग्य। For Private and Personal Use Only

Page Navigation
1 ... 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101