Book Title: Mahimna Stotra Tika
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Page 18
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir महिः // टी. व तथाजगताक्षित्यादीनां भवविधिरुत्पत्तिक्रियाधिष्ठातारंकतारमनाहत्यअनपेक्ष्यविभवति अपे ||क्ष्येवभवतीत्यर्थः तेनकार्यवसकर्दकत्वयोरव्यभिचारान्नानैकांतिकलंहेतोः तथाऽनीशोवाईश्वराद न्योवायदिकुर्यात्तर्हि वनजननेक परिकर-कासामग्रीअनीश्वरस्यस्वशरीररचनामप्यजानतोषिविश्व तुर्दशभुवनरचनासंभवादीश्वरएवरचनांकरोतीत्यर्थः परिकरमितिपाठेकोवानीश्वरोक्षवनजननेप अनीशोवाकुर्याद्भुपनजननेक परिकरोयतोमंदास्त्वांपत्यमरवरसंशेरतइमे 6 भिकरमारंभकुर्यात् अपित्तीश्वरवकर्यादित्यर्थः एतेनार्थीतरतापरिहताएवमनुमानदोषानुकृत्यशकि तदोषांतरनिराकुर्वन्नुपसंहरति यतइतियतूएवंसर्वप्रमाणसिहस्त्वंअतस्तेमंदा:मूढानतुविद्वांसःइ मेयेत्वांपतिसंशेरतेसंदेहवतःकिमुतविपर्यययंतइत्यर्थःजन्माद्यस्ययततिन्यायेनेयतोवाइमानिभ|| तानिजायंतेयेनजातानिजीवंतियत्ययंत्यक्षिसंविशंतितद्ब्रह्म आनंदोब्रह्मेतिव्यजानादित्यादिश्रुति For Private and Personal Use Only

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