Book Title: Mahavira ka Jivan Sandesh
Author(s): Rajasthan Prakruti Bharati Sansthan Jaipur
Publisher: Rajasthan Prakrit Bharti Sansthan Jaipur
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महावीर का जीवन सदेश
मनुष्य-जाति के सामने रखनी तो जरूर चाहिए। जो अहिंसा-सिद्धि के क्रम को नही पहचानेंगे, उनका जीवन विफल होगा। वे आगे बढ़ने के बदले पिछड जायेंगे। परन्तु, ज्ञान के अभाव से या साधना की त्रुटि के कारण साध्य को छिपाकर नहीं रख सकते।
जिसे अहिंसा का अधिक से अधिक साक्षात्कार हुआ था और जिसने अहिंसा की साधना सिद्ध करने के लिये अपनी और अपने साथियो की जिन्दगी श्रद्धापूर्वक न्योछावर करदी, उस महावीर की वाणी जहाँ सुनाई दी, उस स्थान के दर्शन होते ही यह स्वाभाविक है कि मन अहिंसामय हो जाय और अहिंमा के बिना मनुष्यता किस तरह निस्तेज हो रही है, इसकी तरफ ध्यान जाय।
जो जीवन-देवता का स्वरूप और उसका हृदय जानकर उसकी अखण्ड उपासना तथा अनन्य भक्ति करना चाहता है, उसके लिए महावीर का जीवन और उनकी वाणी हमेशा आकर्पक रहेगी। हॉ, परन्तु इतनी सावधानी रखनी होगी कि कही यह सव यान्त्रिक और कृत्रिम न बन जाय, उपासना केवल धूप-दीप वाली पूजा न बन जाय और भक्ति केवल नामधारी अभियान मे ही परिणत न हो। ज्ञान और तपस्या मे ही जग लग जाय तो किसकी शरण ले?