Book Title: Mahavira ka Jivan Sandesh
Author(s): Rajasthan Prakruti Bharati Sansthan Jaipur
Publisher: Rajasthan Prakrit Bharti Sansthan Jaipur
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महावीर का जीवन सदेश
पर चढाया गया। कितने आश्चर्य की बात थी कि वह दस तोले से भी कम दूध वढ कर वाहुबलि के मस्तक से पैर तक ही नहीं पहुंचा वरन् और भी आगे तक बहने लगा। लोगो ने अनुभव किया की गुल्लकायजी का हृदय निस्सदेह सच्चा भक्त-हृदय है । आदर और प्रतिष्ठा की भावना उनके हृदय मे है ही नही। चामुण्डराय ने देखा कि इतना श्रम, इतना व्यय और इतना वैभव एक छिलके पर दूध की भक्ति के आगे तुच्छ है। चामुण्डराय ने गुल्लकायजी की भी एक मूर्ति इस पहाडी पर स्थापित कराई और इस प्रकार अपनी विनम्रता प्रदर्शित की। हम प्राधी दूर गये थे कि वहाँ 'अखण्ड बागलु' नामक दरवाजा पाया।
यह दरवाजा एक ही पत्थर से खोद कर यहाँ खडा किया गया है। यह भी हो सकता है कि कोई मोटा पत्थर इस जीने के बीच में बाधा डालता हो और लोगो ने उसे हटाने या तोडने की अपेक्षा उसे ही खोद कर दरवाजा बना दिया हो । उस दरवाजे पर गजलक्ष्मी की प्रतिमा खोदी गई है । लक्ष्मीजी पद्मासन पर बैठी हुई है और दोनो ओर के हाथी घडो से उन पर अभिषेक कर रहे है। दूसरे स्थान पर लक्ष्मा जी के एक ओर हाथी और दूसरी ओर गाय अथवा सवत्स-गाय खोदी गई है । इसके पौराणिक रहस्य को भी समझ लेना चाहिए।
हम सीढियां पूरी करके दीवाल के नीचे आ पहुंचे। यहां हम भीतर जाकर बाहुबलि की दिगम्बर मूर्ति के दर्शन करने के लिए अधीर हो रहे थे, फिर भी हम ऊपर से पीछे का तालाब और सामने के चन्द्रगिरि को देखने का लोभ सवरण न कर सके। हवा सनसना रही थी। यदि उसे हम लोगा को उडा देने का अवसर मिलता तो वह कभी न चूकती। सूरज देख रहा था कि वादलो के आंचल से हाथ फैला कर वह हमे सहला सकता है या नही ? और वर्षा स्वय आकर हमे आश्वासन दे रही थी कि तुम घबरानो नही । तुम लोग जब तक दर्शन करके मोटर तक नहीं पहुंचते नव तक मै वरसने की नहीं।
हमने फिर चढना प्रारम्भ किया तो गुल्लकायजी वागले ने कहाकेवल दर्शक बनकर टूरिस्ट (यात्री) वन कर आगे मत जाना । हिन्दू हो,
आत्मार्थी हो, श्रद्धालु हो, भक्त हो, तीर्थ यात्री बन कर जाना । मूर्ति में व्यक्त होने वाले चैतन्य के दर्शन करके जाना।
प्राधे रास्ते पर थे कि प्रखण्ड वागलु (दरवाजा) कहने लगा-'जव और वैष्णव, शाक्त और जैन सव भेद नाम मात्र के हैं- व्यर्थ है। भारत की साम्फतिक लक्ष्मी एक है, अखण्ड है, शक्तिशाली है । जिस दिन इस एकता का साक्षात्कार