Book Title: Mahavira ka Jivan Sandesh
Author(s): Rajasthan Prakruti Bharati Sansthan Jaipur
Publisher: Rajasthan Prakrit Bharti Sansthan Jaipur
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जैन समाज के साथ मेरा परिचय
रहता हूँ, उनमे से कुछ गरीब भाइयो के साथ ।
है
का मै सदा लाभ उठाता मेरे जीवन का मुख्य कार्य शिक्षा | विद्यापीठ, मेरे साथी, मेरे विद्यार्थी और मै- यही मेरी दुनिया है । इन सबके होते हुए भी मुझे जो थोडे से जैन मित्र मिले है, वे बडे अच्छे - प्रेमल, उदार और पूरे सहिष्णु है और उनके कारण मेरा जैन समाज के विषय मे हमेशा बहुत ऊचा खयाल रहा है । मैने तो उन मित्रो मे ऊचा जैनत्व और अहिंसक वृत्ति देखी है । यहाँ अहिंसकता का अर्थ मैं उदार सहिष्णुता करता हूँ । मेरा विश्वास है कि यही एक ऐसी चीज है, जिसकी आज की दुनिया को बडी आवश्यकता है, और जैन लोग यदि चाहे तो दुनिया को यह चीज दे भी सकते है । आज आप दुनिया मे प्रचलित मासाहार को नही रोक सकते, क्योकि श्राज तो कुछ स्थानो मे इसके विपरीत बडी विचित्र हवा बह रही है। जैन शास्त्रो का सर्वत्र खूब अध्ययन हो, इसके लिए जैन मित्र बहुत आतुर रहते है । मुझे कोई भी जैन पुस्तक छपवानी हो तो उसके लिए पैसे प्राप्त करने मे मुझे बहुत कठिनाई नही हो सकती। लेकिन श्राज हमे यह काम नही करना है । श्राज तो हमे दुनिया की पीडा जाननी है और उसे दूर करने का उपाय सुझाना है । यह उपाय अहिंसा मे है, और यदि जैन धर्म का समुचित निरूपण किया जाय, तो दुनिया उससे बहुत स्वस्थता प्राप्त कर सकती है ।
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आज जब मै जैन शब्द का प्रयोग करता हूँ तब जैन नाम धारण करने वाले को जैन मानकर मै इस शब्द का प्रयोग नही करता, इस शब्द का प्रयोग मैं ऐसे लोगो के लिए करता हूँ, जिनमे जैन भावना ओतप्रोत हो गई है । ‘Hindu view of Life' के लेखक श्री राधाकृष्णन् के शब्दो मे मैं भी यह मानता हूँ कि धर्म परिवर्तन कराने का प्रयत्न जब तक रुकेगा नही तब तक जगत मे शान्ति नही होगी । प्रत्येक धर्म मे अपना विकास करने की पूरी गु जाइश और पूरी सामग्री होती ही है । प्रत्येक धर्म कम या अधिक मात्रा मे अहिंसा परायण है और उतने अश मे उसमे जैनत्व है ।
मुझे तो आपसे दो ही बातें कहनी है आप सहिष्णु बनिये, और जीवन की जरूरतो को यथासभव कम कीजिये । आप अपनी जरूरते कम नही करेंगे तब तक आप सच्चे अहिंसक बन ही नही सकते । हमारा साधारण जीवन तरह-तरह के द्रोहों से भरा है । धन-सम्पत्ति प्रद्रोह से मिल ही नही सकती । अपने मे से कुछ लोगो के लिए आप जप-तप करने की सुविधा जुटा दे और