Book Title: Mahavira ka Jivan Sandesh
Author(s): Rajasthan Prakruti Bharati Sansthan Jaipur
Publisher: Rajasthan Prakrit Bharti Sansthan Jaipur
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महावीर का जीवन सदेश
प्रवाह में दूर तक वहने की शक्ति हो तो जहाँ तक वह पहुंचे वहाँ तक वगैर किसी पक्षपात के तमाम मानवो को अपनाना चाहिये ।
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और, जहाँ पक्षपात करना पड़े वहां अपनो को प्रथम याद करने के बजाय जिनके प्रति मेरे या मेरे लोगो के हाथो अन्याय हुम्रा हो, जो ज्यादा असहाय हो, दवे हुये या निराश हो, उनके प्रति दान का पक्षपात होना चाहिये ।
इस तरह की भावना जब उत्पन्न होगी, स्वीकृत होगी और सहज होगी तभी हिंसा धर्म का सस्थापन कायम होगा। तभी मानव जाति के वीच चलता सघर्ष और विग्रह शान्त होगा । उच्च-नीच भाव गायव होगा, प्रेम की भावना बढेगी और फैलेगी। और, विराट मानव के साथ मानवो के मे हृदय वसने वाले भगवान् का साक्षात्कार होगा ।