Book Title: Mahavir Vani
Author(s): Shreechand Rampuriya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 10
________________ भगवान महावीर ने इस प्रकार की अनेक अमानवीय एवं अन्यायपूर्ण प्रवृत्तियों का विरोध किया, जो सामाजिक और धार्मिक क्षेत्र में प्रचलित थीं । वर्तमान युग में निम्नलिखित मूल्यों की संस्थापना के संदर्भ में भगवान महावीर द्वारा प्रतिपादित उक्त सिद्धान्तों की महत्ता व सार्थकता और भी अधिक है १. अहिंसा और निःशस्त्रीकरण द्वारा विश्व- मैत्री और विश्व शान्ति की स्थापना । २. शोषण और हिंसा - रहित सामाजिक व्यवस्था । ३. परिग्रह - विसर्जन पर आधारित यथार्थ समाजवाद । ४. अनेकान्तवाद या स्याद्वाद के सिद्धान्तों के आधार पर विभिन्न धर्म-मतों, राजनैतिक दलों और जातीय (कौमी) विभागों के बीच सामंजस्य की स्थापना । ५. रागद्वेषरहित समता की साधना पर आधारित आध्यात्मिक विकास द्वारा मानसिक शान्ति की प्राप्ति । भगवान महावीर की वाणी को संकलित करने के पिछले वर्षों में अनेक महत्त्वपूर्ण प्रयास हुए हैं। भगवान महावीर २५००वां निर्वाण महोत्सव महासमिति के प्रथम प्रकाशन के रूप में महावीर वाणी का यह संकलन प्रस्तुत करते हुए मुझे प्रसन्नता हो रही है। अपने ढंग के इस सुन्दर संकलन को तैयार करने में श्री श्रीचंद जी रामपुरिया ने जो अथक परिश्रम किया है, उसके लिए वे बधाई के पात्र हैं । यह ग्रन्थ दिगम्बर, श्वेताम्बर ग्रंथों से संकलित वाणी के आधार पर तैयार किया गया है; अतः इसका रूप सार्वजनीन है । मेरा विश्वास है कि संकलन अत्यन्त उपयोगी एवं लोक कल्याणकारी सिद्ध होगा । महावीर निर्वाण दिवस ३ नवम्बर, १९७५ दीपावली संवत् २०३२ शान्तिप्रसाद जैन कार्याध्यक्ष भगवान महावीर २५००वां निर्वाण महोत्सव महासमिति, नई दिल्ली।

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