Book Title: Mahasati Sur Sundari Author(s): Gyansundar Publisher: Ratna Prabhakar Gyan Pushpamala View full book textPage 4
________________ __ श्री रत्नप्रभाकरमानपुष्पमाला पुष्प नं. ७५ नप्रमाकर अथश्री जैन कथाओं संग्रह.. भाग १ ला. -xoxप्यारे वाचक वृन्द ! यह बात तो आप वखुखी जानते हो कि जैन साहित्य में : धर्मकथानुयोग " भी विशाल स्थानकों रोक रखा है एक ज्ञातसूत्रमें पचवीस कोड कथाओथी जिस कथाओं के अन्दर राजनीति, धर्मनीति, सदाचार, गृहस्थाचार, मुनिश्राचार, दानशील तपभाव, क्षमादया ब्रह्मचर्य ज्ञानध्यान पुरुषार्थ उद्योग हिम्मत संकटसहन वीरता और भाग्यपरीक्षा आदि अनेक हितबोधकारक होनेसे वह कथाश्रो भी दुनियों के कल्याणमें एक साधनकारण बनके अन्य रहस्ते जाते हुवे मुग्ध अज्ञानी जीवों के अत्याचार दुराचार कुविश्नों कों रोक के सन्मार्ग पर ला सक्ते है पूर्वमहाऋषियोंने बालजीवों के हितार्थ अनेक विषयोंपर भिन्न भिन्न कथानो लीखके जनतापर वडा भारी उपकार कीया था. परंतु उन कथानोकि भाषा संस्कृत प्राकृत होनेसे तया भाषामे भी पद्यबन्ध होनेसे जमाना हालके सीदी सरल भाषाके पाठकों को सम्पुरण लाभ न मीलनेके कारण प्रचलीत . भाषामे वह कयामों लिखनेकि परम पावश्यक्ता है उस तूटि कि पुरति के लिये ही यह प्रयत्न किया गया है, किमधिकम् । Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.comPage Navigation
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