Book Title: Mahasati Sur Sundari
Author(s): Gyansundar
Publisher: Ratna Prabhakar Gyan Pushpamala

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Page 40
________________ (३७) च्यारो अश्वको मरवाये दूसरी हजारो लाखोका खरचा करवाके मोजमानी दीरवाह तीसरी दफे मैलाके बांने वजार के लिये लाखो कोडोका खरचा करवाया अब चोथी बख्त मेरे बाइजीको तेरे कहनेसे विगर पुच्छ गाच्छ परणानी पडी अब तेरा क्या कीया जावे राजा कोपित हों शुलीका हुकम कर दीया यह वात कुंवर साबको मालुम हो तो ही सोचा कि विचारा नापित सत्य होने पर भी मेरी चातुर्य से आज शुली दीया जाता है यह ठीक नही है तब कुंवरजी कहलाया कि इस नापितको निजर केद कर देना ठीक होगा. तदानुस्वार दरबारने नापितको निजर केद कर दीया. कुंवर साहिब ने सोचा कि अबी तक तो अपने सब काम ठीक ही ठीक होते है परन्तु अब ज्यादा यहां पर ठेरना उचित नही है परन्तु अपने कुटम्बको सोदके साथ लेना भी तो जरूरी है इस आशासे आप सदैव नगरमे गुमा करते थे. एक दिन वह च्यारो भाई अपनि पीठ पर सकरकि बोरीयों उठाइ है और सड़क पर चल रहे थे सुरसुन्दर उनोकी सूरत देख पैच्छाण लीये. तब मोदीको कहा क्यों मोदीजी हमारे घोड के दांणा अबी तक आपने भेजा नही है। मोदीने कहा कि गरीब नीवाज दाना तो तैयार है परन्तु मजुर आनेसे भेजुगा । कुंषरजीने कहा कि यह मजुर चल रहा है इनके साथ भेजवा दीजिये। मजरोने कहा कि दोलाहलबारके सकरकी बोरीयों डालके हम लेजायेंगे। राजाके जमाइका हुकम कोन नही मानता हैकुंवरजीने कहा कि पेस्तर हमारा दांणा पहुंचा दो सकरको परकीयो तो डाली सरकपर । और दाणा ले के कुंवरजीके साथ रखाने हुवे कुंवरजी आगे जाके दरवाजे वालोको सूचना करदी कि इस मजुरोको वापिस न नाना दो. वस । आप तो उपर बाके स्नान मजन देव पूजा कर भोजन कर लीया. वह मजुर दाणेकी बोरीयो डालके मजुरी मांगी तो दरवानोने कहा कि Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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