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आप च्यारोको पचवीस पचवीस रूपैयकी माहावारी तनखा और कपडे रसाइ हमारे सिर है वह च्यारो भाइ खुशी के साथ वहां रह गये है परन्तु उन च्यारे को प्रत्येक जुदे जुदे काम भोलादि या कि वह आपसमे एक दुसरे के साथ मील नही सके। कह दिनोके बाद अपने सासु सुसराजा को देख उनोको भी अपने मकानपर ले आये सब हाल पुच्छा तो बारवार मुरछीत होते वह ही अपना हाल कहा एक लाल हमारी यहां सेठने छीन लीथी उनोकों भी-खातर तब जा के साथ रख लिया. अपने मुनिमजीसे कहा कि उस मुमण सेठको बुलवाके उसके रकमका हीसाब कर रकम देदो ओर तीन लालो अपनि है वह उनसे मगवालो । मुनिमजी सेठको बुलवाके हिसाब कर रकम दे के बोले कि तीन लालो हमारी जो तुमारे वहाँ है वह भेजदे सेठजीने कहा कि हमारे पास आपके हाथ कि चीठी मोजुद है एक लाल हमीरे वहां रखी है सोलेलिजिये कुंवरजीने कहा की सेठजी तुम लखो पचाइडा करते है परन्तु मे पाछो कडाइडा पाठ सीखा हुवाहुं याद राखिये तुमारी नशे नशे सोध लुगा यह च्यारजीने कहते है यह दो बुडीये कहते है इस्की वातो को सुन सीधी रीतीसे लालों ले आवे सेठजी समज गये कि यहमाल पचनेका नही है वहांसे दुकान आके दोनो कुंडलोंसे लालो निकाल के घरपर तीसरी लाल लेनेकों गये. सेठाणीथी अपने बापके वहां सेठजी वहां जा के सेठाणीसे लाल मांगी तो क्रोधातुर हो सेठाणीजी वोली कि क्या तुमारे देवाला निकल गया कि मेरी नथपर आप काहाथ पडा सेठजीने कहा कि वह लाल है दरबारके जमाइजी कि वह रहनेवाली नही है सीधी रीतीसे देदो तो ठीक है नहीं तो क. पडा तक लीलाम करवा के लाल ले लेगा इतनासे सेठाणीजी बडे भारी नाराजी हो लाल फेकदी सजनो देखीये संसारका माजना स्वर्था कैसी वस्तु हुवा करती है ओरतोका यही स्वभाव हुवा Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat
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