Book Title: Mahasati Sur Sundari
Author(s): Gyansundar
Publisher: Ratna Prabhakar Gyan Pushpamala

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Page 34
________________ (३१) धोखाबाजी करी. हजामने कहा कि खाविंद मेरी परिक्षा असत्य नही है किन्तु इन लोगोंने पहले में अभ्यास कर रखा था. आप मेहरबानी कर एक परिक्षा और करावे । राजाने कहा कि वह कोनसी ? नापिनने कहा कि आप बगीचे में सब लोगोंको मीजमानी देवे उस्में सब कीम्मका भोजन बनाव पुरुषों का यदस्वभाव है वह प्रथम मिष्टान पदार्थ जीमेगा बाद शाकादि चरका फरका खावेगा और ओरतीका स्वभाव है कि प्रथम शाकके झाल या चरका फरका बाके बादमें मिष्टान खावेगा आप अपने पास बेठाके इनोकि परीक्षा कर लिजिये । राजाने कहा कि ठीक है दो च्यार रोज के बाद सभामे सबकि मंजुरी ले राजाने धगेवाके अन्दर भोजनकि तैयारी करी सब उमराव तथा च्यारा सारदारोंको बुलवा लिया भोजन तैयारी होने पर सब लोग जीमनेका बेठा. गजा अपने पासमे उन च्यारोको बेठा लिये अब पुरुषगारी करनेवाले लोग पुकार करते हुवे छाबों हाथमे लिये फीर रहाथा. जिस्मे विदाम पाक पोस्तापाक गुंदपाक द्राक्षणक खोपरापाक नुकतीपाक चुरमो वैसण लहु पैटे गुंजे घेबर गुलाब जामनु रसगुला विदामकेहलवा दालकाहलवा इत्यादि कि पुरुषगारी तो च्यागे सीरदारोने करवाली बादमे मुरबा आया-बादमे शाक भुजीये पापड पकोटा मुरमुरी रामफलीये इत्यादि चरखा फरका आया उस बखत दरबार बोला कि इन सीरदारोके पहला रखो इस पर सुरसुन्दर समज गये कि न जाणे कोर तोतक कीया हो वास्ते बोलाकि इस बस्त हम यह तामसी पदार्थ लेना नही चाहते है आप दरवारके पुरषगारी करीये वसाधरसे आवेनी उधर नोकाल देवे और उपरसे बाये तो इधर निकाल देवे मोजन इतनी नो शीघ्रतासे किया कि राजा दो च्यार प्रास लिया इतनेमे तो सुरसुन्दरने कहा कि क्या महाराज चलु करें. राजा सुनक विचारमे पहा कि मेने हजारो हायो द्रव्य भी बरच किया परिक्षा भी कुच्छ नहुइ और भुखे Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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