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राजाने कहा कि तुझे क्या मालुम नापितने कहा कि हमारी ओरत दुसरेके उदरमें रहे हुवे बालबच्चोंका ख्याल कर लेती है कि इस्के पुत्र होंगा या पुत्री तो क्या हम औरत और मर्दकि पेच्छान नही कर सकते है उनोंकि चेष्टा और नेत्रोंसे साफ पाया जाता था. राजाने कहा अगर एसा हो तो इस च्यारोको में परणके इनके साथ सुख भोगवुं. परन्तु एसा कोई उपाय बतलाइये तांके इनो कि परिक्षा हो खत्रासने कहा कि इस्में क्या उपाय ? यह तो सि. द्विम बात है आपका परिक्षा ही करणी हो तो कल ही अश्वारूढ होइनों को साथ लिजिये मर्द होगा तो आपके बराबरो चलेगा और ओरतें होगी तो मर्दोंकी माफक अश्व कबी नहीं चला सकेगी । इस वातको राजाने ठीक समज एक दीन राजाने कहा कि सीरदारो क्या आप वणियोंकि माफीक दिनभर घरमें पड़े रहते है सुरसुन्दरने उत्तर दीया कि हम तो सदैव हवाखोरी करीया ही करते है आपकि कृपा हो तो हम आपके साथ चलनेको भी तैयार है. यह सुनते ही राजाने अपने च्यार अमूल्य कंबोज देशके अश्व थे वह च्यारा सीरदारोके लिये तैयार करवाके बहुत से उमरावोंके साथ च्यारों सीरदारोको साथ ले दरबार हवाखोरीको जंगलमें गये. उन च्यारोने तो पहलेसे ही प्रेकटीस कर रखा था. राजाके साथे चलते चलते सुरसुन्दरने आंख चोराके अभ्वको एडी मारी तो चंचल अश्व राजासे भी आगे निकल गया इधर उधर फोराके वापिस लाया. उन अश्वोको अधिक संकट होनेसे रस उतर गया राजा देख उन च्यारो सरदारोंका बडा सत्कार कर अश्व देख नेत्रों से आंसु टपकने लग गये कि मेरे प्राणसे प्यारे अभ्वाँकि यह क्या दशा हुइ । यह सब दोष नापितका है खेर यह तो अश्वोंसे ही छूटका हुवा किन्तु इनोंको में अगर ओरतों कह देता तो न जाने मेरे राजमें कीतना नुकशान होता इस विचार से राजा कोपित हो नापितको खानगीमें बुलाके बोले रे दुष्ट ! तुमने यह क्या
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