Book Title: Kundakundadeva Acharya
Author(s): Rajaram Jain, Vidyavati Jain
Publisher: Prachya Bharti Prakashan

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Page 10
________________ वारस अणुवेक्खा भत्तिसगहो रयणसार कुन्दकुन्द साहित्य का काव्य-सौष्ठव कुन्दकुन्द की भाषा /29 प्राकृत के तीन प्रमुख स्तर एव जैन शौरसेनी प्राकृत /29 कुन्दकुन्द की भाषा की कुछ प्रमुख प्रवृत्तियाँ / 30 अलकार-प्रयोग | 32 रहस्यवाद की झाकी / 35 कूटपद-प्रयोग / 35 छन्द-योजना /36 राष्ट्रीय भावात्मक एकता एवं अखण्डता के क्षेत्र मे आचार्य कन्दकुन्द समकालीन जन-भाषा का प्रयोग / 40 सर्वोदयी सस्कृति का प्रचार /41 राष्ट्रीय भावात्मक एकता एव अखण्डता के लिए प्रयत्न / 43 ब्रज-भाषा की अखण्ड समृद्धि के लिए कुन्दकुन्द साहित्य का अध्ययन अत्यावश्यक / 43 5 कुन्दकुन्द साहित्य का सास्कृतिक मूल्याकन समकालीन भारतीय-भूगोल एव प्राचीन जैन तीर्थभूमियां /46 कुन्दकुन्द एव कालिदास | 47 राजनीति सम्बन्धी सन्दर्भ /48 कुन्दकुन्द-साहित्य मे सम्राट सम्प्रति, खारवेल, शु ग एव शक राजाओ के कार्यकलापो की झाकी / 48 कुन्दकुन्द-साहित्य मे राजतन्त्रीय प्रणाली की झलक/50 सप्ताग राज्य षडग बल चतुरगिणी सेना धनुर्विद्या

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